Friday, April 26, 2024
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कांग्रेस की कमान दोबारा संभालने के बाद सोनिया गांधी का पहला फैसला, मोबाइल फोन के साथ बैठक में नहीं आएंगे नेता

अंतरिम अध्यक्ष चुने जाने के बाद सोनिया गांधी ने सबसे पहला कदम पार्टी में अनुशासन सुधारने को लेकर लिया है और यही वजह है कि कार्यसमिति की बैठकों में मोबाइल फोन बंद कर दिए गए हैं

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: August 13, 2019 11:24 IST
Sonia Gandhi ordered party leaders to not come with Mobile phones during party meetings- India TV Hindi
Image Source : SONIA GANDHI Sonia Gandhi ordered party leaders to not come with Mobile phones during party meetings

नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष बनते ही सोनिया गांधी ने पहला बड़ा और सख्त फैसला किया है। सोनिया गांधी ने पार्टी नेताओं से कार्यसमिति की बैठक में मोबाइल फोन लेकर नहीं लेकर आऩे को कहा है। 10 अगस्त की रात को कांग्रेस नेताओं ने सोनिया गांधी को पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष चुना था, अंतरिम अध्यक्ष चुने जाने के बाद सोनिया गांधी ने सबसे पहला कदम पार्टी में अनुशासन सुधारने को लेकर लिया है और यही वजह है कि कार्यसमिति की बैठकों में मोबाइल फोन बंद कर दिए गए हैं।

सोनिया गांधी को आने वाले दिनों में कांग्रेस पार्टी के लिए कई अहम फैसले करने हैं, पार्टी में गुटबाजी को खत्म करना और सहयोगी दलों के साथ तालमेल बिठाना सोनिया गांधी के लिए मुश्किल चुनौती साबित हो सकता है।

आने वाले दिनों में दिल्ली, झारखंड, हरियाणा, महाराष्ट्र में चुनाव होने हैं। लोकसभा चुनावों में हार के बाद देशभर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में फिर से जोश भरकर उन्हें विधानसबा चुनावों में पूरी ताकत झोकने के लिए तैयार करना भी सोनिया गांधी के लिए बड़ी चुनौती हो सकता है। पार्टी के कई बड़े नेता और पदाधिकारी पार्टी छोड़कर दूसरे दलों में शामिल हो गए हैं। कांग्रेस में संगठनात्कम तौर पर प्रदेश स्तर के कई पद खाली पड़े हैं, ऐसे में उन पदों पर नए चेहरों की नियुक्ती को लेकर भी सोनिया गांधी को ही फैसला करना है। दिल्ली और झारखंड में चुनाव हैं और इन दोनो ही जगहों पर कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी खाली पड़ी हुई है, ऐसे में सोनिया गांधी आने वाले दिनों में इन दोनो जगहों के लिए प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर मुहर लगा सकती हैं।

हरियाणा में भी जल्द चुनाव होने वाले हैं लेकिन वहां पर पार्टी में अंदरूनी कलह बढ़ती जा रही है, चुनावों से पहले हरियाणा में संगठन को इकट्ठा करना सोनिया गांधी के लिए बड़ी चुनौती होगा। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों से पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ मिलकर लड़ना और सीटों का बटवारा करना भी सोनिया गांधी को ही देखना है।

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