Saturday, April 20, 2024
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‘’जिस तरह से राफेल डील पर फैसले का स्वागत हुआ, उसी तरह बाबरी मस्जिद के फैसले का लोग करेंगे स्वागत’’

महबूबा ने कहा कि जब वाजपेयी प्रधानमंत्री थे तब उनके पिता जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री थे और जो संदेश गया, वह यह था कि केंद्र और राज्य सरकार एक ही पाले में हैं तथा 2002-05 का काल ‘स्वर्णिम काल’ बन गया।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: December 15, 2018 7:55 IST
‘’जिस तरह से राफेल डील पर फैसले का स्वागत हुआ, उसी तरह बाबरी मस्जिद के फैसले का लोग करेंगे स्वागत’’- India TV Hindi
‘’जिस तरह से राफेल डील पर फैसले का स्वागत हुआ, उसी तरह बाबरी मस्जिद के फैसले का लोग करेंगे स्वागत’’

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जब बाबरी मस्जिद मामले में कोर्ट का फैसला आएगा तो लोग उंगली नहीं उठाएंगे। राफेल डील पर आए फैसले का उदाहरण देते हुए महबूबा ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि जिस तरह से राफेल डील पर फैसले का स्वागत हुआ और इसपर कोई उंगली नहीं उठी, उसी तरह जब बाबरी मस्जिद पर फैसला आएगा तो लोग उसका स्वागत करेंगे और सुप्रीम कोर्ट पर उंगली नहीं उठाएंगे।'

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इसी के साथ उन्होंने कहा कि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने यह जानते हुए भी भाजपा के साथ गठबंधन किया कि यह ‘आत्मघाती’ होगा। उन्होंने कहा कि जब उनकी पार्टी ने जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने के लिए भाजपा के साथ गठजोड़ किया तब यह उम्मीद की गयी थी कि प्रधानमंत्री पाकिस्तान से दोस्ती का हाथ बढ़ायेंगे।

महबूबा ने कहा, ‘‘हमें मालूम था कि यह (भाजपा के साथ गठबंधन) आत्मघाती होगा। उसके बावजूद हमने सबकुछ दांव पर लगा दिया। एक ऐसी पार्टी के लिए, जिसे इस रूप में देखा जाता है कि वह अलगावादियों के साथ वार्ता को प्रोत्साहित करती है, हमने सोचा कि मोदी इस मौके पर आगे बढ़ेंगे और चूंकि (पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी) वाजपेयी को उस प्रकार का जनादेश प्राप्त नहीं था, ऐसे में हमने सोचा कि वह पाकिस्तान, जम्मू कश्मीर के लोगों के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ायेंगे और जहां से वाजपेयी ने छोड़ा था, वहां से वह आगे बढ़ेंगे।’’

उन्होंने कहा कि जब वाजपेयी प्रधानमंत्री थे तब उनके पिता जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री थे और जो संदेश गया, वह यह था कि केंद्र और राज्य सरकार एक ही पाले में हैं तथा 2002-05 का काल ‘स्वर्णिम काल’ बन गया। महबूबा ने ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि जब प्रधानमंत्री को कश्मीर घाटी में निमंत्रित किया गया तब पीडीपी ने 30,000 लोगों की भीड़ सुनिश्चित की, लेकिन वह इस मौके पर आगे नहीं बढ़ पाए।

उन्होंने कहा, ‘‘मोदी के पास जो जनादेश था, वह वाजपेयी के पास नहीं था। भाजपा के साथ गठजोड़ करते समय हमने सोचा था कि यदि वह कश्मीर के दुख-दर्द का हल कर सकते हैं तो हमें इस बात की फिक्र नहीं थी कि इसका मतलब पीडीपी का अंत होगा। हमने इसके लिए अपने ऊपर लोगों का भ्रम लिया।’’ जब उनसे पूछा गया कि क्या वह कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठजोड़ के लिए तैयार हैं तो उन्होंने कहा, ‘‘हमने कभी सोचा नहीं था कि हम भाजपा के साथ हाथ मिलायेंगे। लेकिन कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठजोड़ समय की मांग पर निर्भर करता है।’’

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