Thursday, March 28, 2024
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राज्यसभा में सरकार की हुई फजीहत, दिग्विजय सिंह का संशोधन प्रस्ताव पास

राज्यसभा में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के लिए वोटिंग के दौरान उस वक्त दिलचस्प स्थिति पैदा हो गई जब विपक्ष का संशोधन प्रस्ताव पारित हो गया। ऐसे हालात में सरकार की फजीहत इसलिए हुई क्योंकि सदन में सत्ता पक्ष के सभी सदस्य मौजूद नहीं थे। ऐसा पहली बार हुआ

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: July 31, 2017 21:39 IST
rajya sabha- India TV Hindi
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नई दिल्ली: राज्यसभा में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के लिए वोटिंग के दौरान उस वक्त दिलचस्प स्थिति पैदा हो गई जब विपक्ष का संशोधन प्रस्ताव पारित हो गया। ऐसे हालात में सरकार की फजीहत इसलिए हुई क्योंकि सदन में सत्ता पक्ष के सभी सदस्य मौजूद नहीं थे। ऐसा पहली बार हुआ है कि वोटिंग के दौरान राज्यसभा की कार्रवाई को स्थगित करना पड़ा।

राज्यसभा में आज ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक पर विपक्ष के संशोधनों के पारित हो जाने के कारण यह विधेयक मूल स्वरूप में पारित नहीं हो सका। इससे एक ओर जहां सरकार की किरकिरी हुई वहीं ओबीसी वर्ग के हितों के साथ खिलवाड़ करने का सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एक दूसरे पर तीखे आरोप लगाए। उच्च सदन ने विधेयक के तीसरे महत्वपूर्ण खंड क्लॉज तीन को खारिज करते हुए शेष विधेयक को जरूरी दो तिहाई मतों से पारित कर दिया।

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने संबंधी संविधान (एक सौ तेइसवां संशोधन) विधेयक लोकसभा पहले ही पारित कर चुकी थी। आज उच्च सदन में चर्चा के बाद इसके तीसरे खंड में कांग्रेस के संशोधनों को संसद ने 54 के मुकाबले 75 मतों से मंजूरी दे दी। इन संशोधनों में प्रस्ताव किया गया है कि प्रस्तावित आयोग में एक सदस्य अल्पसंख्यक वर्ग से और एक महिला सहित पांच सदस्य होने चाहिए। मूल विधेयक में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित तीन सदस्यीय आयोग का प्रस्ताव किया गया है।

प्रस्ताव पारित होने के बाद सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। सदन के नेता अरूण जेटली ने कहा कि संविधान के किसी भी नियम में यह नहीं कहा गया है कि कानून में किसी एक वर्ग को शामिल कर अन्य वर्गों को बाहर कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार इस आयोग के गठन के मामले में भी वही नियम बनाये हैं जैसे कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति तथा राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोगों के लिए बनाये गये हैं।

नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पिछड़ा वर्ग से संबंधित यह महत्वपूर्ण विधेयक यदि पारित नहीं होता है तो इसके लिए सीधे तौर पर सरकार जिम्मेदार होगी। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि नेता सदन जो तर्क दे रहे हैं उन्हें यह संशोधन पारित होने से पहले देना चाहिए था।

संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सवाल किया कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि जिन पार्टियों ने इसी विधेयक का लोकसभा में समर्थन किया, वही यहां उच्च सदन में विरोध कर रही हैं। उन्होंने कांग्रेस पर विशेष रूप से हमला बोलते हुए कहा कि वह एक बडी गलती करने जा रही है तथा वे दशकों से चली आ रही पिछडे वर्ग की मांग को नकार रहे हैं। उन्होंने कहा, लम्हों ने खता की, सदियों तक सजा पाएंगे...।

बहरहाल, माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि सदन के दो बड़े दल आपस में जो कहें लेकिन इस सच्चाई को नहीं बदला जा सकता कि संशोधन को सदन ने स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही को कुछ देर रोक कर नेताओं को बात करने का मौका दिया जाए ताकि कुछ हल निकल सके।

कुरियन ने उनकी बात मानते हुए मत विभाजन प्रक्रिया को कुछ देर के लिए टाल दिया। पर कोई समाधान नहीं निकलते देख उन्होंने अंतत: संशोधित तीसरे खंड पर मत विभाजन करवाया। किंतु दो तिहाई मतों की अनिवार्यता पूरी नहीं होने कारण यह खंड नकार दिया गया। इसके बाद सदन ने शेष विधेयक को जरूरी दो तिहाई बहुमत से पारित कर दिया।

यह विधेयक पहले लोकसभा में पारित हो चुका था लेकिन राज्यसभा ने उसे प्रवर समिति के पास भेज दिया था। समिति की रिपोर्ट आने के बाद उच्च सदन ने इस विधेयक पर आज विचार किया। तीसरे खंड से रहित राज्यसभा द्वारा यथापारित यह विधेयक अब लोकसभा में जाएगा।

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