Friday, April 26, 2024
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नेहरू-पटेल के कारण हुआ विभाजन, जिन्ना नहीं चाहते थे बंटवारा- फारुख अब्दुल्ला

जम्मू और कश्मीर के पूर्व सीएम फारुख अब्दुल्ला हाल ही में कई तरह के ऐसे विवादास्पद बयान दे चुके हैं।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: March 04, 2018 8:17 IST
जम्मू और कश्मीर के...- India TV Hindi
Image Source : PTI जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला।

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला ने एक बार फिर विवादास्पद बयान दिया है। शनिवार को जम्मू के चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री में एक मीटिंग के दौरान भारत-पाकिस्तान बंटवारे पर बोलते हुए उन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना को क्लीन चिट थमा दी तो वहीं बंटवारे के लिए पं. नेहरू और सरदार पटेल को इसके लिए जिम्मेदार बताया। फारुख अब्दुल्ला ने बंटवारे पर बात करते हुए कहा कि जिन्ना नहीं चाहते थे कि भारत का बंटवारा हो और पाकिस्तान बने। फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना महज उस कमीशन की बात मानने के पक्ष में थे जिसमें, मुस्लिमों, सिखों सहित अन्य अल्पसंख्यकों को विशेष अधिकार देने की बात कही जा रही थी। उस वक्त पंडित जवाहरलाल नेहरू, मौलाना आजाद और सरदार पटेल ने अल्पसंख्यकों को विशेष अधिकार देने से मना कर दिया था, जिसके बाद मजबूरन देश का बंटवारा करना पड़ा। नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना साहब पाकिस्तान बनाने के पक्ष में नहीं थे।

कमीशन में फैसला हुआ था कि हिंदुस्तान का बंटवारा करने के बजाय मुसलमानों के लिए अलग से लीडरशिप रखेंगे। साथ ही अल्पसंख्यकों और सिखों के लिए अलग से व्यवस्था रखेंगे। कमीशन की ये बातें जिन्ना साहब को मंजूर थी, लेकिन जवाहरलाल नेहरू, मौलाना आजाद और सरदार पटेल ने इसे नहीं माना, जिसके बाद जिन्ना पाकिस्तान की मांग पर अड़ गए। अगर उस वक्त पंडित नेहरु, मौलाना आजाद और पटेल ने फैसला लेने में गलती न की होती तो आ न पाकिस्तान बनता और न ही बांग्लादेश साथ भी भारत का भी यह रूप नहीं देखने को मिलता। तीनों एक देश का हिस्सा होते। इसके बाद तीन राज्यों में कांग्रेस की प्रदर्शन पर बोलते हुए फारुख अब्दुल्ला ने राहुल गांधी को और समय देने की बात कही। फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि इन नतीजों के आधार पर मैं राहुल गांधी की सफलता या असफलता का आंकलन नहीं किया जा सकता है। राहुल कुछ दिन पहले ही पार्टी अध्यक्ष बने हैं, उन्हें पार्टी से जुड़ी सारी बातें समझने में थोड़ा वक्त लगेगा। अगर कांग्रेस जनहित में फैसले लेगी तो स्वभाविक है कि वह दोबारा सत्ता में वापसी करेगी।

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