Saturday, April 27, 2024
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब प्रमोशन में आरक्षण पर मायावती ने कही यह बात

मायावती ने आरोप लगाया कि पहले कांग्रेस और अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार प्रोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर अपना जातिवादी रवैया त्यागने को तैयार नहीं लगती है...

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: June 06, 2018 19:23 IST
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लखनऊ: भाजपा नीत नरेंद्र मोदी सरकार पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के सरकारी कर्मियों को प्रोन्नति में आरक्षण को लटकाने का आरोप लगाते हुए बसपा अध्यक्ष मायावती ने आज कहा कि उच्चतम न्यायालय के ताजा फैसले के बाद सरकार को पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था का लाभ देना चाहिए।

बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा कि ‘‘एससी-एसटी वर्ग के सरकारी कर्मचारियों को प्रोन्नति में आरक्षण को उच्चतम न्यायालय ने हमेशा ही सही व संवैधानिक माना है। परन्तु इसे लागू करने में जो जटिलता आई है उस कारण यह कानूनी व्यवस्था पूरे देश में और खासकर उत्तर प्रदेश में पिछले अनेक वर्षों से निष्क्रिय व निष्प्रभावी बनी हुई है।’’ उन्होंने कहा कि इसके सही समाधान के लिए ही संविधान संशोधन विधेयक राज्यसभा से काफी संघर्ष के बाद पारित कराया गया था, जो अभी लगभग पिछले चार वर्षों से लोकसभा में लंबित पड़ा हुआ है।

मायावती ने आरोप लगाया कि पहले कांग्रेस और अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ‘‘प्रोन्नति में आरक्षण‘‘ के मुद्दे पर अपना जातिवादी रवैया त्यागने को तैयार नहीं लगती है। यही कारण है कि इस सम्बन्ध में संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा से पारित नहीं कराया जा रहा है। मोदी सरकार व राज्यों में भाजपा की सरकारों पर कांग्रेस पार्टी की तरह केवल सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करने वाली सहानुभूति दिखाने का आरोप लगाते हुए मायावती ने कहा कि ख़ासकर एससी/एसटी व ओबीसी वर्गों के हित व कल्याण के लिए ठोस काम करने के मामले में इनकी सरकारों का रिकॉर्ड शून्य ही रहा है।

उन्होंने कहा कि कम-से-कम अब उच्चतम न्यायालय का ताज़ा निर्णय आ जाने के बाद केन्द्र व राज्य सरकारों को अपने पिछले तमाम निर्णयों की समीक्षा करनी चाहिए तथा एससी/एसटी वर्गों के सरकारी कर्मचारियों पर हुए अन्यायों को दुरुस्त करने के साथ-साथ उन्हें प्रोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था का लाभ देना चाहिए।

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणी के कर्मचारियों को ‘कानून के अनुसार’ पदोन्नति में आरक्षण देने के बाबत कल अनुमति दे दी। शीर्ष अदालत ने केंद्र की दलीलों पर गौर किया जिसमें कहा गया था कि विभिन्न उच्च न्यायालयों के आदेशों और शीर्ष अदालत द्वारा 2015 में इसी तरह के एक मामले में ‘यथास्थिति बरकरार’ रखने का आदेश दिए जाने की वजह से पदोन्नति की समूची प्रक्रिया रुक गई है।

न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अवकाशकालीन पीठ ने केंद्र की ओर से उपस्थित अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल (एएसजी) मनिंदर सिंह से कहा, ‘‘हम आपसे (केंद्र) कहते हैं कि आप कानून के अनुसार पदोन्नति में आरक्षण पर आगे बढ़ सकते हैं।’’

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