Friday, April 19, 2024
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मायावती इस देश की राजनीति का सबसे बड़ा जातिवादी चेहराः निर्मल

राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त निर्मल ने कहा, जब मुख्यमंत्री रहते हुए मायावती ने बयान दिया था कि उनका उत्तराधिकारी उनकी ही जाति से होगा, तो इससे आंबेडकर मिशन को चोट पहुंची थी और प्रदेश ही नहीं देश के दलितों में भी टूट हो गई थी...

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: June 23, 2018 16:18 IST
mayawati- India TV Hindi
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इलाहाबाद: उत्तर प्रदेश के अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने बसपा प्रमुख मायावती को इस देश की राजनीति का सबसे बड़ा जातिवादी चेहरा बताते हुए आज कहा कि अब वह संपूर्ण दलित समाज की नेता नहीं रह गईं हैं। राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त निर्मल ने कहा, "जब मुख्यमंत्री रहते हुए मायावती ने बयान दिया था कि उनका उत्तराधिकारी उनकी ही जाति से होगा, तो इससे आंबेडकर मिशन को चोट पहुंची थी और प्रदेश ही नहीं देश के दलितों में भी टूट हो गई थी।"

उन्होंने कहा, "मायावती ने उत्तर प्रदेश में राजनीति करने की इच्छा जताने वाले रामविलास पासवान को बिहार का दुसाध बताते हुए उनका कद घटाने का प्रयास किया, जबकि दलित नेता उदित राज को खटीक समाज से बताते हुए कहा कि इनकी संख्या तो बहुत कम है।" निर्मल ने कहा, "सबसे दुखद बात तो राष्ट्रपति के चुनाव के समय हुई जब राजग के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद ने अपना पर्चा भरा तो मायावती ने बयान दिया कि ये कोरी जाति के हैं और देश में इनकी संख्या बहुत कम है।’’

सपा-बसपा गठबंधन को नापाक बताते हुए उन्होंने कहा, "जब सपा सत्ता में आई तो दलित हाशिए पर चले गए। आज ये लोग गठबंधन में हैं। प्रोन्नति में आरक्षण पर जब भारत सरकार का आदेश आया और इस पर अखिलेश यादव से जब पूछा गया तो वह आज तक अपना रुख साफ नहीं कर पाए।"

निर्मल ने दावा किया कि इन लोगों (सपा) ने अपने कार्यकाल में जब राजस्व संहिता विधेयक पारित किया, उसमें ग्राम समाज के पट्टे की जमीन पर दलितों को मिलने वाली प्राथमिकता को खत्म कर दिया। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, "अखिलेश सरकार ने महत्वपूर्ण पदों पर दलित अधिकारियों को लाइन हाजिर कर मुख्यालय से संबद्ध कर दिया। सैकड़ों की संख्या में यश भारती पुरस्कारों में दलितों को कोई भागीदारी नहीं दी। इस तरह से दलित विरोधी चेहरे के रूप में चिह्नित दल ने बसपा के साथ गठबंधन किया। यह एक नापाक गठबंधन है और यह बहुत दिनों तक चलने वाला नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव और मायावती को यह बताना चाहिए कि यह गठबंधन किन मुद्दों पर हुआ है। लूटपाट करने के लिए यह गठबंधन है या फिर दलित पिछड़ों की मजबूती के लिए है।

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