Friday, April 26, 2024
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बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने की थी SC/ST एक्ट का दुरुपयोग रोकने की पहल, फिर विरोध क्यों?

बसपा प्रमुख मायावती ने उच्चतम न्यायालय के आदेश के खिलाफ प्रदर्शन को अपनी पार्टी का समर्थन जताते हुए आरोप लगाया था कि कुछ असामाजिक तत्वों ने हिंसा भड़कायी जिससे जान एवं माल की क्षति हुई।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: April 04, 2018 11:12 IST
Mayawati as Uttar Pradesh CM ensured no misuse of SC/ST Act- India TV Hindi
बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने की थी SC/ST एक्ट का दुरुपयोग रोकने की पहल, फिर विरोध क्यों?

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी ऐक्ट से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए इसमें तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाए जाने के बाद बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती दलित आंदोलन के समर्थन में उतर आईं लेकिन ऐसा करते वक्त वे भूल गईं कि वह जब उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं तो तब उन्होंने भी इस तरह के फैसले लिए थे। अपने मुख्यमंत्री काल के दौरान उनकी सरकार ने दो ऐसे ही आदेश जारी किए थे जो अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम (एससी/एसटी एक्ट) का दुरुपयोग को रोकने पर केंद्रित थे।

ये आदेश तब के मुख्य सचिव द्वारा जारी किए गए थे जिनमें कहा गया था कि इस अधिनियम के आधार पर कार्रवाई न हो बल्कि शुरूआती जांच में यदि आरोपी प्रथम दृष्ट्या दोषी पाया जाता है तो तभी गिरफ्तारी हो। 20 मई 2007 को जारी किए गए पहले पत्र में तत्कालीन मुख्य सचिव ने क्रम संख्या 18 में इस ऐक्ट के तहत पुलिस में दर्ज की जाने वाली शिकायतों का जिक्र किया था। सबसे मुख्य बात यह है कि यह निर्देश मायावती के मुख्यमंत्री बनने के महज एक हफ्ते के अंदर जारी हुआ था। इस निर्देश में स्पष्ट किया गया था कि केवल हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों को ही इस ऐक्ट के तहत दर्ज किया जाना चाहिए।

बसपा प्रमुख मायावती ने उच्चतम न्यायालय के आदेश के खिलाफ प्रदर्शन को अपनी पार्टी का समर्थन जताते हुए आरोप लगाया था कि कुछ असामाजिक तत्वों ने हिंसा भड़कायी जिससे जान एवं माल की क्षति हुई। मायावती ने यह भी कहा कि मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय का फैसला अदालत में नरेंद्र मोदी सरकार के निराशाजनक रवैये का परिणाम था। उन्होंने कथित रूप से हिंसा भड़काने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उच्चतम न्यायालय के आदेश का विरोध कर रहे बेगुनाह लोगों को परेशान नहीं किया जाए।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ दलति संगठनों ने 2 अप्रैल को भारत बंद का आयोजन किया था। बंद के दौरान व्यापक हिंसा हुई और 12 लोगों की मौत हो गई। विपक्ष और दलित संगठन इस ऐक्ट को कमजोर करने का आरोप लगा मोदी सरकार को घेर रहे हैं। बैकफुट पर नजर आ रही मोदी सरकार ने इसे लेकर रिव्यू पिटिशन दाखिल किया है, लेकिन सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया है।

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