Tuesday, March 19, 2024
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कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार के विश्वासमत पर फैसला सोमवार तक टला, विधानसभा की कार्यवाही स्थगित

कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार के विश्वासमत पर फैसला सोमवार तक टल गया है। आज दिनभर चली विधानसभा की कार्यवाही में भी जमकर हंगामा हुआ।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: July 20, 2019 0:05 IST
Former Karnataka chief minister and BJP State President B S...- India TV Hindi
Image Source : PTI Former Karnataka chief minister and BJP State President B S Yeddyurappa speaks during the assembly session at Vidhana Soudha in Bengaluru.
नई दिल्ली: कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार के विश्वासमत पर फैसला सोमवार तक टल गया है। आज दिनभर चली विधानसभा की कार्यवाही में भी जमकर हंगामा हुआ। बीजेपी जहां आज वोटिंग कराने की मांग करती रही वहीं सत्ता पक्ष की तरफ से इसे टालने का प्रयास किया जाता रहा। देर शाम स्पीकर ने विधानसभा की कार्यवाही सोमवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
 
करीब दो हफ्ते पहले सत्तारूढ़ गठबंधन के 15 बागी विधायकों के इस्तीफे से राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हुआ था। विधायकों को लेकर उच्चतम न्यायालय ने 17 जुलाई को निर्देश दिया था कि इन विधायकों को विधान सभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिये बाध्य नहीं किया जाए। उच्चतम न्यायालय के उस फैसले पर स्पष्टीकरण की मांग करते हुये मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी और कांग्रेस की कर्नाटक इकाई ने सर्वोच्च अदालत का रुख किया है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि न्यायालय का आदेश विधान सभा के चालू सत्र में अपने विधायकों को व्हिप जारी करने में बाधक बन रहा है। 
 
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि विधान सभा की सदस्यता से इस्तीफा देने वाले कांग्रेस-जद (एस) के 15 विधायकों को विधान सभा के चालू सत्र की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिये बाध्य नहीं किया जायेगा और उन्हें यह विकल्प दिया जाना चाहिए कि वे कार्यवाही में हिस्सा लेना चाहते हैं या बाहर रहना चाहते हैं। कुमारस्वामी ने कहा कि सदन की कार्यवाही को लेकर राज्यपाल विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश को कोई आदेश नहीं दे सकते। कुमारस्वामी ने विश्वास मत की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए राज्यपाल द्वारा एक के बाद एक निर्धारित की गई समय सीमा पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के निर्देश शीर्ष अदालत के पूर्व के फैसले के पूरी तरह विपरीत हैं। 
 
अपनी याचिका में उन्होंने कहा कि जब विश्वास प्रस्ताव पर कार्यवाही पहले से ही चल रही है तो राज्यपाल वजुभाई वाला इस पर कोई निर्देश नहीं दे सकते। उन्होंने कहा कि विश्वास प्रस्ताव पर बहस किस तरह से हो इसे लेकर राज्यपाल सदन को निर्देशित नहीं कर सकते। इस बीच, कर्नाटक के राज्यपाल वजु भाई वाला ने शुक्रवार को राज्य विधानसभा में विश्वास मत प्रक्रिया पूरी करने के लिए एक नई समय-सीमा तय की। विधानसभा के आज दोपहर डेढ़ बजे तक विश्वास मत प्रक्रिया पूरी करने में विफल रहने के बाद राज्यपाल ने कुमारस्वामी को दूसरा पत्र लिखा। उन्होंने विधानसभा में जारी विचार-विमर्श से विश्वास मत पारित होने में देरी की ओर इशारा किया। वाला ने विधायकों की खरीद-फरोख के व्यापक आरोपों का जिक्र करते हुए कहा कि यह संवैधानिक रूप से अनिवार्य है कि विश्वास मत प्रक्रिया बिना किसी विलंब के शुक्रवार को ही पूरी हो। 
 
वाला ने कुमारस्वामी को दूसरे पत्र में कहा, ‘‘ जब विधायकों की खरीद-फरोख के व्यापक स्तर पर आरोप लग रहे हैं और मुझे इसकी कई शिकायतें मिल रही हैं, यह संवैधानिक रूप से अनिवार्य है कि विश्वास मत बिना किसी विलंब के आज ही पूरा हो।’’ कुमारस्वामी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें ‘‘दूसरा प्रेम पत्र’’ मिला है और इससे वह आहत हैं।
 
इससे पहले समय सीमा के करीब आने पर सत्तारूढ़ गठबंधन ने ऐसा निर्देश जारी करने को लेकर राज्यपाल की शक्ति पर सवाल उठाया। कुमारस्वामी ने उच्चतम न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि राज्यपाल विधानमंडल के लोकपाल के रूप में कार्य नहीं कर सकते। कुमारस्वामी ने कहा कि वह राज्यपाल की आलोचना नहीं करेंगे और उन्होंने अध्यक्ष के आर रमेश कुमार से यह तय करने का अनुरोध किया कि क्या राज्यपाल इसके लिए समय सीमा तय कर सकते हैं या नहीं। 
जैसे ही सदन में डेढ़ बजा, भाजपा ने राज्यपाल द्वारा कुमारस्वामी को भेजे गये पत्र के अनुसार विश्वासमत प्रस्ताव पर मत विभाजन पर जोर दिया। इस पर, राज्यपाल की भूमिका को लेकर भाजपा और कांग्रेस के सदस्यों के बीच गरमागरम बहस हुई और व्यवधान के बीच सदन की कार्यवाही तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी थी। 
 
वजू भाई वाला ने बृहस्पतिवार को बहुमत साबित करने के लिए शुक्रवार डेढ़ बजे की समय सीमा तय की थी क्योंकि उससे पहले अध्यक्ष द्वारा सदन की कार्यवाही स्थगित कर देने के चलते विश्वासमत प्रस्ताव पर मत-विभाजन नहीं हो पाया था। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा था कि सत्तारूढ़ जनता दल (एस)-कांग्रेस गठबंधन के 15 विधायकों के इस्तीफे और दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापसी के बाद प्रथम दृष्टया कुमारस्वामी सदन का विश्वास खो चुके हैं। 
 
शुक्रवार को विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई और जब विश्वास प्रस्ताव पर समय सीमा करीब आयी, तब भाजपा नेता बी एस येदियुरप्पा खड़े हुए और मुख्यमंत्री द्वारा पेश किए गए विश्वास मत पर वोट कराने के लिए दबाव डाला। उनकी पार्टी ने इस बात पर जोर डाला कि कुमारस्वामी स्पष्ट करें कि वह राज्यपाल के निर्देश को मानेंगे या नहीं। अध्यक्ष ने कहा कि प्रक्रिया का पालन किया जाना है। चर्चा के बाद नियमों के अनुसार, अगर जोर दिया गया, तो इस पर मतदान कराया जाएगा। उन्होंने भाजपा सदस्यों से यह भी कहा कि जब तक चर्चा चलेगी, वे मतविभाजन के लिए दबाव नहीं बना सकते। इसके बाद हंगामे के बीच, सदन को तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया था। इससे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने कहा कि वह अपनी सरकार को बचाने के लिए सत्ता का दुरुपयोग नहीं करेंगे। 
 
राज्यपाल वजुभाई वाला ने उन्हें शुक्रवार दोपहर 1.30 बजे तक बहुमत साबित करने के लिए कहा था। कुमारस्वामी ने आरोप लगाया कि पहले दिन से ही एक माहौल बनाया गया कि ‘‘यह सरकार गिर जाएगी’’ और यह अस्थिर है। कुमारस्वामी ने कहा, ‘‘14 महीने (सत्ता में) के बाद, हम अंतिम चरण में आ गए हैं।’’ कुमारस्वामी ने भाजपा से कहा, ‘‘आइये चर्चा करते हैं। आप अभी भी सरकार बना सकते हैं। कोई जल्दबाजी नहीं है। आप इस काम को सोमवार या मंगलवार को भी कर सकते हैं। मैं सत्ता का दुरुपयोग नहीं करने जा रहा हूं।’’ 
 
कुमारस्वामी ने भाजपा से कहा, ‘‘जिस दिन से मैं सत्ता में आया हूं, मुझे पता है कि यह लंबे समय तक नहीं रहेगा ... आप कब तक सत्ता में बैठेंगे, मैं भी यहां देखूंगा कि ... आपकी सरकार उन लोगों के साथ कितनी स्थिर होगी जो अभी आपकी मदद कर रहे हैं।’’ उन्होंने भाजपा से यह भी पूछा कि अगर वह अपनी संख्या को लेकर इतने ही आश्चस्त हैं तो एक दिन में ही विश्वास मत पर बहस को खत्म करने की जल्दी में क्यों है। मुख्यमंत्री ने भाजपा पर दलबदल विरोधी कानून को दरकिनार करने के तरीकों का सहारा लेने का भी आरोप लगाया। राज्य की विपक्षी पार्टी पर निशाना साधते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि विधायकों को लुभाने के लिए 40-50 करोड़ रुपये की पेशकश की गई और इसके साथ ही उन्होंने यह भी पूछा कि यह पैसा किसका है। 
 
इसी बीच, जदएस विधायक श्रीनिवास गौड़ ने आरोप लगाया कि सरकार को गिराने के लिए उन्हें भाजपा ने पांच करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की थी। विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार ने जब सदन की कार्यवाही शुरू करते हुये स्पष्ट किया कि विश्वासमत के अलावा किसी अन्य चर्चा की कोई गुंजाइश नहीं है, तो कुमारस्वामी ने अपने भाषण की शुरुआत की। कुमारस्वामी ने अध्यक्ष से कहा कि उन्हें यह तय करना होगा कि क्या बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल उनके लिए समय सीमा (शुक्रवार दोपहर 1.30 बजे) निर्धारित कर सकते हैं या नहीं। 
 
कुमारस्वामी ने उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का हवाला दिया कि राज्यपाल विधानसभा के लोकपाल के तौर पर कार्य नहीं कर सकते। अध्यक्ष ने उन टिप्पणियों को खारिज कर दिया कि वह विश्वास प्रस्ताव पर वोट में देरी करने की कोशिश कर रहे हैं। उन टिप्पणियों पर नाराजगी जताते हुए कि वे विश्वासमत में देरी करने की कोशिश कर रहे हैं, कुमार ने कहा, ‘‘मैं पक्षपात नहीं कर रहा हूं।’’ उन्होंने बताया कि ऐसी चर्चा और ‘‘अप्रत्यक्ष टिप्पणियां’’ की गई कि वह प्रक्रिया (विश्वास मत पर मतदान) में देरी कर रहे हैं। अपनी टिप्पणी करने के बाद, अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को विश्वास मत पर चर्चा शुरू करने के लिए कहा। उन्होंने कहा, ‘‘मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं ... किसी अन्य चर्चा (विश्वास मत को छोड़कर) के लिए कोई गुंजाइश नहीं है।’’ ( इनपुट-भाषा)

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