Friday, April 19, 2024
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जम्मू-कश्मीर में जल्द चुनाव हो, BJP के प्रवक्ता की तरह बयान नहीं दें राज्यपाल: कांग्रेस

गौरतलब है कि बुधवार की शाम महबूबा मुफ्ती ने पीडीपी के 29, नेकां के 15 और कांग्रेस के 12 विधायकों को मिलाकर 56 विधायकों का समर्थन हासिल होने का दावा करते हुए सरकार बनाने की पेशकश की थी। इसके बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग करने का फैसला किया।

India TV News Desk Edited by: India TV News Desk
Published on: November 22, 2018 20:51 IST
 Satya Pal Malik- India TV Hindi
J & K Governor Satya Pal Malik

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा विधानसभा भंग किए जाने के फैसले को ‘असंवैधानिक एवं अनैतिक’ करार देते हुए कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि राज्यपाल ‘भाजपा के प्रवक्ता’ की तरह राजनीतिक बयानबाजी करने की बजाय राज्य में जल्द चुनाव सुनिश्चित करें ताकि लोकतंत्र की बहाली हो सके। भाजपा के वरिष्ठ नेता राम माधव के एक बयान को लेकर भी उसने सत्तारूढ़ पार्टी एवं प्रधानमंत्री पर निशाना साधा और सवाल किया कि क्या पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के लिए सीमा पार से निर्देश मिले थे?

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान में कहा, ‘‘मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को हिंसा की आग में झोंक रखा है। पहले पीडीपी के साथ बेमेल गठबंधन किया, व्यापक भ्रष्टाचार किया तथा फिर अवसरवादिता के चलते सरकार से अलग हो गए। इसके बाद राज्यपाल के माध्यम से फिर सरकार बना ली।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारा यह स्पष्ट मानना है कि जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र की बहाली हो। अब वो बात बेमानी हो गई कि वहां सरकार बन सकती थी या नहीं। कांग्रेस ने कभी किसी को समर्थन का पत्र नहीं दिया। परंतु हमारा यह जरूर मानना है कि जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन यानी भाजपा शासन नहीं होना चाहिए। ’’

सुरजेवाला ने कहा, ‘‘जो लोग चुने गए हैं वो सरकार में आएं। चोर दरवाजे से जैसे मोदी जी ने सरकार बना ली थी, वैसे अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में शासन ना चलें।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ कांग्रेस और जम्मू-कश्मीर के लोगों की सीधी मांग है कि राज्य में जल्द चुनाव कराए जाएं ताकि लोकतंत्र की बहाली हो सके।’’ राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बयान का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘राज्यपाल भाजपा के प्रतिनिधि और प्रवक्ता के तौर पर बात कर रहे हैं या संवैधनिक पद पर बैठे एक जिम्मेदार व्यक्ति की तरह? वह बताएं कि भाजपा और पीडीपी का गठबंधन पवित्र था? राजनीतिक बयानबाजी की बजाय वह ये बताएं कि राज्य में चुनाव कब होगा। ’’

पार्टी के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, ‘‘जब तक सरकार बनाने के लिए कोई दावा नहीं किया गया था तब तक राज्यपाल विधानसभा को निलंबित रखकर खुश थे। जैसे ही किसी ने दावा किया, उन्होंने विधानसभा भंग कर दी। संसदीय लोकतंत्र शर्मिंदा है।’’ उन्होंने भाजपा पर तंज किया, ‘‘लोकतंत्र का वेस्टमिंस्टर मॉडल पुराना पड़ चुका है। अन्य सभी मामलों की तरह यहां भी गुजरात मॉडल ही जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल को पसंद आया।’’

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनीष तिवारी ने जयपुर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर में जिस तरह के असंवैधानिक, अनैतिक और अनुचित कार्य को वहां के राज्यपाल ने अंजाम दिया है, हम उसकी कड़े शब्दों में निंदा करते हैं।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि राज्यपाल मलिक ने भारत के संविधान के साथ खिलवाड़ किया है और यह सीधा सीधा प्रधानमंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय के इशारों पर हुआ है।

गौरतलब है कि बुधवार की शाम महबूबा मुफ्ती ने पीडीपी के 29, नेकां के 15 और कांग्रेस के 12 विधायकों को मिलाकर 56 विधायकों का समर्थन हासिल होने का दावा करते हुए सरकार बनाने की पेशकश की थी। इसके बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग करने का फैसला किया। उधर, विधानसभा भंग करने के फैसले के एक दिन बाद राज्यपाल मलिक ने बृहस्पतिवार को कहा कि उन्होंने राज्य के संविधान के अनुरूप और उसके हित में यह फैसला लिया। मलिक ने कहा कि विधायकों की खूब खरीद-फरोख्त हो रही थी। साथ ही उन्होंने कहा कि वह दल-बदल के जरिए सरकार बनाने की अनुमति नहीं दे सकते थे।

राज्य में सरकार बनाने की कवायद के पीछे ‘‘सीमा पार का आदेश होने’’ संबंधी भाजपा नेता राम माधव के आरोप पर भी सुरजेवाला ने पलटवार करते हुए कहा, ‘‘जब भाजपा ने पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी, तब क्या उन्हें सीमा पार से निर्देश मिले थे?’’ उन्होंने पूछा, ‘‘ भाजपा की तरफ से उप मुख्यमंत्री रहने के दौरान निर्मल सिंह ने बयान दिया था कि अगर ये मालूम होता कि अंदर बुरहान वानी है तो सुरक्षा एजेंसियां मुठभेड़ नहीं करतीं। क्या उस समय राम माधव जी और निर्मल सिंह जी को निर्देश मिल रहे थे? जब प्रधानमंत्री की मौजूदगी में पाकिस्तान और अलगाववादियों को धन्यवाद दिया जा रहा था तब भी पाकिस्तान से निर्देश मिले थे?’’

तिवारी ने भी इस मामले पर ट्वीट कर भाजपा पर निशाना साधा और कहा, ‘‘कांग्रेस-पीडीपी-नेशनल कॉन्फ्रेंस आतंकवाद के साथ हैं और भाजपा आतंकवादियों के विरोध में है? क्या बकवास है। भाजपा को चुनौती देता हूं कि वह अपने किसी एक नेता का नाम बताए जिसने आतंकवाद के खिलाफ लड़ते हुए बलिदान दिया हो।’’ उन्होंने कहा,‘‘ कांग्रेस अपने 500 नेताओं के नाम बता सकती है जिन्होंने आतंकवाद के खिलाफ लड़ते हुए बलिदान दिया है। मुझे भरोसा है कि नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी भी ऐसा कर सकती हैं।’’

गौरतलब है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता राम माधव ने कथित तौर पर कहा कि पीडीपी-नेकां ने पिछले महीने निकाय चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान किया था, वो आदेश भी उन्हें सीमा पार से आया था। ऐसा लगता है कि राज्य में सरकार बनाने को लेकर उन्हें नए आदेश मिले होंगे। इसी कारण राज्यपाल को यह फैसला लेना पड़ा। इस पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि माधव अपना दावा साबित करें या फिर माफी मांगें। अब्दुल्ला की चुनौती के बाद राम माधव ने अपने शब्द वापस ले लिए।

 

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