नई दिल्ली: पहले अरुणाचल प्रदेश और उसके बाद उत्तराखंड दो महीने के अंदर कांग्रेस की सत्ता वाले दो राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद कांग्रेस पार्टी के भीतर हड़कंप मचा हुआ है। हिमाचल प्रदेश से लेकर मणिपुर तक, मेघालय से लेकर कर्नाटक तक कांग्रेस अपना कुनबा संभालने की कोशिश में जुट गई है। कांग्रेस को अहसास हो गया है कि बागियों की नाराजगी को दरकिनार करना कितना महंगा पड़ सकता है।
क्या है सोनिया और राहुल का सबसे बड़ा डर ?
पहले अरुणाचल प्रदेश से शुरू हुआ, उत्तराखंड में पहुंचे हैं और अब पता नहीं अगला प्रदेश कौन सा ये इस तरह से गिराने का पूरा प्रयास करेंगे। सत्ता कब्जाना और चुनी हुई सरकारों का तख्ता पलटना, अब ये मोदी जी की नई पर्यायवाची और भाषा और रास्ता बन गया है। इनका जो प्रयोग अरुणाचल प्रदेश में था, वही उत्तराखंड में कर रहे हैं, वही प्रयोग बाकी जहां भी कांग्रेस की सरकारें हैं वही प्रयोग करेंगे।
ये है सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी का सबसे बड़ा डर। दो महीने के भीतर जिस तरह अरुणाचल और उत्तराखंड कांग्रेस के हाथ से फिसले हैं, उसके बाद कांग्रेस के अंदर हड़कंप मच गया है। कांग्रेस को अब बचे हुए राज्यों में भी बगावत का डर सता रहा है। रविवार को उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा, सोमवार को हिमाचल के सीएम वीरभद्र सिंह सोनिया गांधी से मिलने दिल्ली पहुंच गए। वीरभद्र सिंह की आवाज में भी वो डर साफ सुनाई दे रहा था वीरभद्र सिंह ने कहा, ‘जो उन्होंने उत्तराखंड में किया है, वैसी कोशिश दूसरे राज्यों में भी करेंगे। उत्तराखंड में सीधे तौर पर ताकत का दुरुपयोग हुआ है।’
उत्तराखंड के बाद हिमाचल का नंबर ?
सियासी गलियारों में चर्चा है कि उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के बाद हिमाचल प्रदेश का भी यही हश्र हो सकता है क्योंकि वीरभद्र सिंह पहले ही मनी लॉन्डरिंग जैसे आरोपों में घिरे हुए हैं। ऐसे में उनके खिलाफ भी बगावत की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
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