देहरादून: राजनीतिक संकट में घिरे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आज विधानसभाध्यक्ष से मुलाकात की और सोमवार को होने वाले शक्ति परीक्षण के पहले कांग्रेस के 9 विद्रोही विधायकों को अयोग्य करने की मांग का समर्थन किया। उधर विरोधियों ने विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिए खरीद-फरोख्त का प्रयास किए जाने का आरोप लगाया।
विधानसभाध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल से मुलाकात करने के बाद रावत ने कहा कि उन्होंने संसदीय कार्य मंत्री इंदिरा हृदयेश की उस याचिका के समर्थन में दस्तावेज सौंपा जिनमें विद्रोही विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की गयी है।
कांग्रेस पार्टी ने हटाए गए मंत्री हरक सिंह रावत और पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा तथा सात अन्य विधायकों को इस आधार पर अयोग्य ठहराने की मांग की है कि उन्होंने विधानसभा में भाजपा के साथ सरकार विरोधी नारे लगाकर स्वैच्छिक रूप से कांगे्रस की सदस्यता छोड़ दी है। कांग्रेस ने इस आधार पर उनके खिलाफ दलबदल कानून के प्रावधान लागू करने की मांग की है।
कांग्रेस के 70 सदस्यीय विधानसभा में 36 विधायक हैं और उसके नौ विधायकों ने विद्रोह कर दिया है। इस बीच पार्टी के विद्रोही विधायकों ने आज आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री रावत ने विधानसभा के पटल पर 28 मार्च के शक्ति परीक्षण में उन्हें समर्थन देने के लिए रिश्वत की पेशकश की है। उन्होंने स्टिंग आपरेशन का एक वीडियो जारी किया जिसमें कथित रूप से मुख्यमंत्री को दिखाया गया है। वहीं रावत ने इसे झूठा करार दिया।
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यह भाजपा प्रमुख अमित शाह के डर्टी ट्रिक्स डिपार्टमेंट के कारनामे हैं वहीं भाजपा ने रावत सरकार को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की।