देहरादून: उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन को लेकर सोमवार को दिनभर सियासत हुई। राष्ट्रपति शासन लगने के एक दिन बाद उत्तराखंड के गवर्नर के के पॉल ने सचिवालय पहुंचकर कामकाज संभाल लिया। केंद्र सरकार ने CRPF के पूर्व डीजी प्रकाश मिश्रा और उत्तर प्रदेश काडर के रिटायर्ड सीनियर IAS अफसर रविंद्र सिंह को राज्यपाल का सलाहकार बनाया है। कामकाज संभालने के बाद गवर्नर ने अफसरों की मीटिंग ली। इस बीच राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले के खिलाफ कांग्रेस हाईकोर्ट पहुंच गयी है।
राज्यपाल के सामने 34 विधायकों की परेड
कांग्रेस की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी आज नैनीताल पहुंचे। अदालत मंगलवार को इस मामले में सुनवाई करेगी। दूसरी तरफ राष्ट्रपति शासन का विरोध कर रहे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक बार फिर सरकार बनाने का दावा किया। हरीश रावत कांग्रेस और पीडीएफ के 34 विधायकों के साथ राज्यपाल के के पॉल से मिलने पहुंचे। 34 विधायकों का हस्ताक्षर किया हुआ एक ज्ञापन गवर्नर को सौंपा। इसके साथ ही हरीश रावत ने गवर्नर से कहा कि 18 मार्च को पेश बजट विधानसभा ने नियमों के तहत पास किया गया है इसलिए गवर्नर को उसे मंजूरी देनी चाहिए।
हरीश रावत ने कहा कि 28 मार्च को बहुमत साबित करने का आदेश राज्यपाल ने दिया था। हम बहुमत साबित करने वाले थे लेकिन उससे पहले केंद्र ने राष्ट्रपति शासन लगा दिया। हरीश रावत ने कहा कि ये विधानसभा और उत्तराखंड के लोगों अपमान है।
उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन पर सियासत तेज
उत्तराखंड की पूर्व संसदीय कार्य मंत्री इंदिरा ह्रदयेश ने वित्त मंत्री अरुण जेटली की दलीलों पर सवाल उठाया। इंदिरा ह्रदयेश ने कहा कि वो हरीश रावत सरकार को अल्पमत की सरकार बता रहे हैं लेकिन बहुमत साबित करने से पहले उन्होंने ऐसा कैसे मान लिया। इंदिरा ह्रदयेश ने कहा कि देश की अदालत और जनता की अदालत में सब साफ हो जाएगा।
वहीं, उत्तराखंड बीजेपी के अध्यक्ष अजय भट्ट ने राष्ट्रपति शासन के खिलाफ कांग्रेस के हाईकोर्ट जाने पर सवाल खड़े किए। अजय भट्ट ने कहा कि खुद कांग्रेस ने संविधान की धज्जियां उड़ाई और अब अदालत का दरवाजा खटखटा रहे हैं।