Tuesday, April 16, 2024
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गुजरात विधानसभा चुनाव: मुश्किलों के बावजूद BJP की जीत की ये हैं 5 बड़ी वजहें

आइए, आपको बताते हैं उन 5 बड़े कारणों के बारे में, जिनके चलते बीजेपी ने इन चुनावों में जीत दर्ज की...

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: December 18, 2017 13:51 IST
Representational Image | AP Photo- India TV Hindi
Representational Image | AP Photo

अहमदाबाद: गुजरात विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने तमाम आशंकाओं को दरकिनार करते हुए एक बार फिर से जीत दर्ज की है। बीजेपी इस बार 22 साल की सत्ता के बाद ऐंटि-इन्कंबैंसी से जूझ रही थी लेकिन वह इससे पार पाने में कामयाब रही। बीजेपी के लिए एक बुरी खबर यह है कि 2012 के विधानसभा चुनावों के मुकाबले उसकी सीटों में कटौती हुई है। नवीनतम रुझानों की बात करें तो बीजेपी आसानी से गुजरात में सरकार बनाने की तरफ बढ़ रही है। कांग्रेस ने इस बार पिछले चुनावों के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन किया है हालांकि जमीनी स्तर पर मजबूत न होने का खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा है। आइए, आपको बताते हैं उन 5 बड़े कारणों के बारे में, जिनके चलते बीजेपी ने इन चुनावों में जीत दर्ज की... 

1- नरेंद्र मोदी फैक्टर

गुजरात चुनावों में बीजेपी की नाव पार लगाने का सबसे बड़ा कारण निश्चित तौर पर नरेंद्र मोदी फैक्टर का बहुत बड़ा रोल रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुजरात की जनता का कनेक्शन आज भी बना हुआ है और वह इन चुनावों के नतीजों में भी साफ दिख रहा है। इसे इस तरह से देख सकते हैं कि जिन 36 जगहों पर नरेंद्र मोदी ने रैली की, उनमें से 90 प्रतिशत से भी ज्यादा सीटों पर बीजेपी ने अपना परचम लहराया। वहीं राहुल ने जिन 109 सीटों पर रैली की, उनमें से आधी से ज्यादा सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार पीछे रह गए।

2- बूथ लेवल तक बीजेपी की मजबूत मौजूदगी
बीजेपी की जीत और कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण जमीनी स्तर पर कांग्रेस का मजबूत न होना भी रहा। जहां बीजेपी की मौजूदगी बूथ लेवल पर भी काफी दमदार रही वहीं कांग्रेस इस मामले में काफी पीछे दिखी। कांग्रेस यदि जमीनी स्तर पर भी मजबूत होती तो निश्चित तौर पर नतीजों में बड़ा अंतर पैदा हो सकता था।

3- कांग्रेस नेताओं के विवादास्पद बयान
बीजेपी की जीत में कांग्रेस के नेताओं के विवादास्पद बयानों ने भी खासा अंतर पैदा किया। मणिशंकर अय्यर का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘नीच आदमी’ कहना कहीं न कहीं कांग्रेस को भारी पड़ गया। मणिशंकर अय्यर के बयान को लपकने में नरेंद्र मोदी ने जरा भी देर नहीं की और इसे गुजराती अस्मिता से जोड़ दिया। बाद में कांग्रेस ने अय्यर को पार्टी से सस्पेंड करके डैमेज कंट्रोल की कोशिश की थी, लेकिन कांग्रेस को नुकसान हो चुका था। अय्यर के अलावा अन्य कांग्रसी नेताओं द्वारा पीएम मोदी पर किए गए व्यक्तिगत हमले गुजरात की जनता को रास नहीं आए।

4- पाटीदार आंदोलन में सेंध
भारतीय जनता पार्टी की जीत में पाटीदार आंदोल में सेंध लगाने में कामयाब होना भी एक बड़ा फैक्टर रहा। शुरुआत में आंदोलन गैर-राजनैतिक होने की वजह से काफी मजबूत था, लेकिन जैसे ही हार्दिक ने कांग्रेस के प्रति झुकाव दिखाया, आंदोलन भी टुकड़ों में बंट गया। हार्दिक पटेल पर कई तरह के आरोप लगे, और आंदोलन के कई बड़े चेहरे या तो उनसे अलग हो गया या बीजेपी का दामन थाम लिया। एकजुट पाटीदार आंदोलन बीजेपी को जितना नुकसान पहुंचा सकता था, बिखरे हुए आंदोलन से उतना नुकसान पहुंचना मुमकिन नहीं था।

5- ऐंटि-इंकम्बेंसी से पार पाने में कामयाब होना
गुजरात में भारतीय जनता पार्टी इस बार 22 साल की ऐंटि-इन्कंबैंसी से जूझ रही थी, लेकिन किसी तरह इससे पार पाने में कामयाब रही। कांग्रेस के पास बेशक इस बार बीजेपी को पटखनी देने का अच्छा मौका था, लेकिन वह इसका फायदा उठाने में नाकाम रही। राहुल गांधी ने शुरू में तो सधे हुए कदमों से शुरुआत की थी और विकास को मुद्दा बनाकर आगे बढ़े थे, लेकिन उनके मंदिर दौरों ने बीजेपी को उनपर हमला बोलने का मौका दे दिया और विकास का मुद्दा पीछे छूटता गया। चुनाव में विकास के मुद्दे की जगह अन्य मुद्दों के हावी हो जाने की वजह से ऐंटि-इन्कंबैंसी से पार पाने में सफल रही।

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