Saturday, April 20, 2024
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बिहार में प्रति व्यक्ति आय कम, विशेष दर्जे की जरुरत : नीतीश कुमार

नीतीश कुमार ने शुक्रवार को विधानसभा में कहा कि जब कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों को दी जाने वाली राशि बढ़ाने की बात आती है तो वह असमर्थ महसूस करते हैं, यही कारण है कि वह विशेष दर्जे की मांग करते रहे हैं।

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: July 12, 2019 17:24 IST
Nitish Kumar File Photo- India TV Hindi
Nitish Kumar File Photo

पटना:  बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को विधानसभा में कहा कि जब कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों को दी जाने वाली राशि बढ़ाने की बात आती है तो वह असमर्थ महसूस करते हैं, यही कारण है कि वह विशेष दर्जे की मांग करते रहे हैं। कुमार ने इस बात पर भी जोर दिया कि राज्य की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से ‘‘काफी कम’’ है। 

कुमार ने राजद विधायक अब्दुल बारी सिद्दीकी सहित कई विपक्षी नेताओं द्वारा लाये गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर जवाब देते हुए कहा, ‘‘आप हरियाणा और तमिलनाडु की बात करते हैं। वहां (सामाजिक कल्याण योजना के लाभर्थियों) दी जाने वाली राशि की तुलना करते समय कृपया उनकी और हमारी प्रति व्यक्ति आय भी देखें।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बिहार की प्रति व्यक्ति आय 40 हजार से कम है जो कि राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। यह प्रमुख कारण है कि क्यों हम विशेष दर्जे की मांग करते हैं।’’ 

प्रस्ताव में सरकार का ध्यान इस तथ्य की ओर आकर्षित किया गया था कि बिहार में कल्याणकारी योजनाओं के तहत भुगतान की जाने वाली राशि तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में दी जाने वाली राशि से काफी कम है। इसमें कहा गया कि एक पेंशन योजना के लिए राज्य में लाभार्थियों को जो राशि का भुगतान किया जाता है वह 400 रुपये प्रति महीना है जबकि यह तमिलनाडु और तेलंगाना में 1000 रुपये, हरियाणा में 1800 और आंध्र प्रदेश में 2000 रुपये है। 

बिहार के लिए विशेष राज्य की मांग वर्ष 2000 में झारखंड के निर्माण के साथ ही उठी थी जिससे राज्य अपने खनिज से भरपूर, अपेक्षाकृत अधिक औद्योगिक और शहरीकृत दक्षिणी जिलों से वंचित हो गया था। 2005 में कुमार के सत्ता में आने के बाद इसने और जोर पकड़ा और उन्होंने अक्सर विशेष दर्जे को एक चुनावी मुद्दा बनाया। 14वें वित्त आयोग द्वारा इस प्रावधान को समाप्त किये जाने के बाद मुख्यमंत्री ने कई मौकों पर केंद्र से जरूरी संशोधन करने का आग्रह किया जिससे बिहार को उसका यथोचित मिल सके। 

नीतीश कुमार ने कहा, ‘‘आप (सिद्दिकी) भी राज्य के वित्तमंत्री रहे हैं। आपको यह सवाल उठाने से पहले हमारी वित्तीय स्थिति पर गौर करना चाहिए था। आप बिहार की तुलना उन राज्यों से कर रहे हैं जिनकी प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से अधिक है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘साथ ही कृपया यह ध्यान में रखिये कि बिहार राज्य पहला ऐसा राज्य है जिसने अपनी स्वयं की पेंशन योजना मुख्यमंत्री वृद्धजन पेंशन योजना शुरू की।’’ उन्होंने कहा कि अन्य कार्यक्रमों से अलग पेंशन योजना गरीबी रेखा से ऊपर जीवन यापन करने वालों को बाहर नहीं करती। 

कुमार ने कहा, ‘‘सभी पुरुष और महिलाएं जो काई अन्य पेंशन नहीं प्राप्त कर रहे हैं वे इसके लाभ के हकदार होंगे। इससे हर वर्ष अट्ठारह सौ करोड़ रुपये का वार्षिक बोझ पड़ेगा। हालांकि हमें विकास योजनाओं के लिए धनराशि की जरुरत है लेकिन हम योजना लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’ यद्यपि सिद्दिकी विधानसभा के बाहर संवाददाताओं से बात करते हुए मुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट प्रतीत हुए। 

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि मुख्यमंत्री ने मेरे द्वारा उठाये गए मुद्दे को गंभीरता से लिया। यद्यपि इसमें राज्य की वित्तीय स्थिति पर जोर दिये जाने से हमारे प्रस्ताव में उठाये गए सवाल का उत्तर नहीं मिला। राज्य का इस वर्ष का बजट करीब 2.05 लाख करोड़ रुपये का है। राज्य के बजट में कुछ वर्ष पहले की तुलना में काफी बढ़ोतरी हुई है।’’ 

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