Tuesday, April 23, 2024
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हर आंदोलन का चेहरा सिर्फ 'अन्ना' नहीं हो सकते: राजगोपाल

राजगोपाल ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, "अन्ना हजारे लोकपाल, भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का चेहरा तो हो सकते हैं लेकिन किसान आंदोलन का चेहरा नहीं हो सकते। यह एक रणनीतिक चूक हुई है। ऐसा इसलिए क्योंकि एक व्यक्ति की समझ कुछ ही मुद्दों पर होती है, हर समस्या और मुद्दे को वह गहराई से नहीं समझता।"

IANS Reported by: IANS
Published on: April 14, 2018 12:39 IST
Anna Hazare cannot be the face of all agitations, says Rajgopal- India TV Hindi
हर आंदोलन का चेहरा सिर्फ 'अन्ना' नहीं हो सकते: राजगोपाल  

भोपाल: एकता परिषद के संस्थापक पी.वी राजगोपाल दिल्ली के रामलीला मैदान में हुए सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के आंदोलन को अपेक्षित सफलता न मिलने से व्यथित हैं, वे मानते है कि यह आंदोलन सिर्फ इसलिए असफल रहा क्योंकि कोई भी एक व्यक्ति हर आंदोलन का चेहरा नहीं हो सकता। राजगोपाल ने राजस्थान के भीकमपुरा में गरीबी, भुखमरी, सामाजिक आंदोलनों की स्थिति, सरकारों के रवैए और अमीरों की जारी लूट जैसे गंभीर मुद्दों पर खुलकर चर्चा की। राजगोपाल ने कहा, "अन्ना हजारे को लोकपाल विधेयक की बेहतर समझ है, वे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने में सक्षम हैं, मगर किसान नेता नहीं हैं। उन्हें दिल्ली में किसानों का नेता बनाकर अनशन कराया गया और वे सरकार के धोखे का शिकार हो गए।"

राजगोपाल ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, "अन्ना हजारे लोकपाल, भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का चेहरा तो हो सकते हैं लेकिन किसान आंदोलन का चेहरा नहीं हो सकते। यह एक रणनीतिक चूक हुई है। ऐसा इसलिए क्योंकि एक व्यक्ति की समझ कुछ ही मुद्दों पर होती है, हर समस्या और मुद्दे को वह गहराई से नहीं समझता।" उन्होंने अन्ना हजारे की सज्जनता और सरलता का जिक्र करते हुए कहा, "मै यह मानने को कतई तैयार नहीं हूं कि उन्होंने कोई चालाकी की या किसी तरह का कोई समझौता पहले से था। उन्होंने मुद्दे को समझने के लिए देशभर का दौरा किया लेकिन उतनी गहराई से समझ नहीं पाए और रणनीतिक चूक हो गई। इससे लोगों में निराशा का भाव है।"

उन्होंने आगे कहा, "देश में कई बड़े आंदोलन हुए हैं, कुछ सफल हुए तो कुछ में कमी रह गई। इस लिहाज से हर आंदोलन सीख देने वाला होता है। अन्ना का यह आंदोलन भी हमारे लिए एक सीख है कि रणनीति में किसी तरह की चूक नहीं होना चाहिए।" देश में बढ़ती गरीबी और बेरोजगारी के सवाल पर राजगोपाल ने कहा, "आज गरीब होना सबसे बड़ा अपराध हो गया है, सरकार उसकी माई-बाप है, मगर वह भी उसके साथ नहीं है, बल्कि अमीरों केा जल, जंगल, खनन की खुली लूट दिए हुए है। जब माई-बाप ही गरीब का साथ न दे तो क्या होगा, इसका अंदाजा लगाना कठिन है।"

उन्होंने आगे कहा, "गरीब को जब लगेगा कि वह हर तरफ से मारा जा रहा है तो उसे आंदोलन का रुख अपनाना पड़ेगा और सरकार इन गरीबों के आंदोलन को दबाने के लिए पुलिस व सेना का उपयोग करने में नहीं हिचकेगी। साथ ही उसे इस तरह की कार्रवाई को सही ठहराने का मौका भी मिल जाएगा।"

राजगोपाल ने कहा, "आज स्मार्ट सिटी और बुलेट ट्रेन की चर्चा हो रही है, मगर हो कुछ नहीं रहा। इससे गरीबों को लगने लगा है कि उनके लिए इस व्यवस्था में कुछ नहीं है, लिहाजा उनमें निराशा भी है। ताकतवर लोगों की मदद करने वालों की सरकार है। उन्हें लूट की खुली छूट है। देश में सीधे दो वर्ग हो गए हैं एक अमीरों का जिनके साथ सरकार है और दूसरा गरीब जिसके साथ कोई नहीं है।"

उन्होंने आगामी आंदोलनों का जिक्र करते हुए कहा, "वे 2 अक्टूबर 2018 से एक व्यापक आंदोलन करने वाले हैं, यह आंदोलन सिर्फ एकता परिषद का नहीं होगा। इस आंदोलन में सभी सामाजिक संगठनों की भागीदारी होगी । इसकी रणनीति कुछ इस तरह की है कि 50 जिलों से दलित अधिकार यात्रा, 50 जिलों से महिला यात्रा, 50 जिलों से आदिवासी यात्रा, 50 जिलों से भूमि अधिकार यात्रा निकाली जाएगी।"

राजगोपाल ने एक सवाल के जवाब में कहा, "वर्तमान समय सामाजिक आंदोलनों के लिए अनुकूल है, जरूरत है कि सभी संगठन एक होकर अहिंसात्मक आंदोलन का रास्ता चुने और व्यवस्था में बदलाव लाने की पहल करें। गरीबों को लगने लगा है कि उनका इस देश में कुछ नहीं है, वे मारे-मारे फिर रहे हैं। आज जरूरत है कि आंदोलन सिर्फ आंदोलन के लिए नहीं हो बल्कि व्यवस्था बदलाव के लिए होना चाहिए।"

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