Friday, April 26, 2024
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आज होगा पेश 3 तलाक बिल, जानें 8 कारण जिन पर है मुस्लिम संगठनों को ऐतराज़

लोक सभा में ट्रिपल तलाक विधेयक ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट’ पेश होगा. लेकिन कुछ मुस्लिम संगठनों को इस पर भारी ऐतराज़ है.

India TV Sports Desk Written by: India TV Sports Desk
Published on: December 28, 2017 9:06 IST
Triple Talaq- India TV Hindi
Triple Talaq

लोक सभा में ट्रिपल तलाक विधेयक ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट’ पेश होगा. इस विधेयक को लेकर सिसायत गरमा चुकी है हालंकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इसका समर्थन करने का फ़ैसला किया है लेकिन कुछ मुस्लिम संगठनों को इस पर भारी ऐतराज़ है. इस विधेयक के तहत एक बार में बोलकर, फ़ोन पर, SMS या फिर व्हाट्सऐप के ज़रिये दिया गया तलाक़ अपराध माना जाएगा. विदेयक में इस अपराध पर तीन साल की सज़ा का प्रावधान किया गया है. विधेयक के प्रावधानों के तहत ट्रिपल तलाक़ देने पर पति को तीन साल की सज़ा के अलावा जुर्माना भी लग सकता है. 

मुस्लिम समाज का एक बड़ा तबका इसका विरोध कर रहा है. एक तरफ जहां सरकार इस विधेयक को मुस्लिम महिलाओं के हक़ के लिए क्रांतिकारी बता रही है इसके प्रावधानों को लेकर मुस्लिम संगठनों से लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को ऐतराज़ हैं. हम यहां बता रहे हैं क्यों ये संगठन इसका विरोध कर रहे हैं.

1- एक समय में तीन तलाक देने को सुप्रीम कोर्ट ग़ौर-क़ानूनी क़रार दे चुका है इसलिए जब तीन तलाक माना ही नहीं जाएगा तो उसके लिए सज़ा कैसी?

2- ट्रिपल तलाक के साथ सरकार तलाक के अन्य प्रावधानों को भी ख़त्म करना चाहती है. तलाक मुस्लिम पुरुषों को शरियत से मिला हक़ है. सरकार इस अधिकार को कैसे छीन सकती है?

3- तलाक का मामला सिविल एक्ट के तहत आता है यानी ये क्रिमिनल एक्ट में नहीं आता लेकिन सरकार बिल के ज़रिये क्रिमिनल एक्ट बना रही है. अगर ऐसा हुआ तो तलाक के बाद पति-पत्नी के बीच सुलह की गुंजाइश खत्म नहीं हो जाएगी.

4- सरकार की नीयत ठीक नहीं. वह इस बिल के ज़रिये इस्लामिक शरियत में दख़ल देना चाहती है. मुस्लिम समुदाय को अपने धर्म के हिसाब से जीने का अधिकार संविधान से मिला है इसलिए ये बिल मुसलमानों की धार्मिक आज़ादी और संवैधानिक अधिकार का हनन है.

5- मोदी सरकार का दावा है कि वह मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के लिए बिल ला रही है जो क्रांतिकारी है लेकिन उसने क़ानून बनाते समय मुस्लिम धर्मगुरुओं, मुस्लिम महिला संगठनों और न ही मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से चर्चा की. 

6- बिल में बच्चों की कस्टडी का भी प्रावधान है यानी महिला अपने नाबालिग बच्चे की निगरानी की मांग कर सकती है. इससे गरीब परिवारों पर बोझ बढ़ेगा, जो महिलाएं बच्चों को साथ नहीं रखना चाहती, उन्हें मजबूरी में बच्चों को रखना पड़ेगा. मुस्लिम समाज यूं भी आर्थिक रुप से कमज़ोर है.

7- नए बिल के प्रावधान के तहत कोई अनजान व्यक्ति भी तीन तलाक को लेकर शिकायत कर सकता है, इसमें पत्नी की शिकायत जरूरी नहीं रखी गई है. ऐसे में अगर पत्नी नहीं चाहती कि उसका पति जेल जाए, तो भी किसी दूसरे की शिकायत पर उसे जेल भेज दिया जाएगा. ज़ाहिर है ऐसे में परिवार बिखर जाएगा.

8-तीन तलाक देकर जब पति जेल चला जाएगा तो उसकी पत्नी को गुजारा भत्ता कौन और कैसे देगा?

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