Friday, March 29, 2024
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उत्तर प्रदेश: तंग आ चुकी औरतों ने तलाक-ए-तफ़वीज़ के जरिये पाया शौहरों से छुटकारा

तलाक-ए-तफ़वीज़ में व्यवस्था है कि अगर मियां-बीवी के बीच किसी बात को लेकर अलग होने की नौबत आ जाए तो औरत खुद भी शौहर को तलाक दे सकती है। इसमें यह प्रतिबंध नहीं होता है कि मर्द ही तलाक दे।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: June 24, 2018 14:34 IST
चित्र का इस्तेमाल...- India TV Hindi
Image Source : PTI चित्र का इस्तेमाल प्रतीक के तौर पर किया गया है।  

बरेली: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में दो महिलाओं ने अपने शौहरों को तलाक-ए-तफ़वीज़ देकर उनसे निजात हासिल कर ली। बरेली के महेशपुरा अटरिया की रहने वाली निशा हामिद नामक महिला ने शनिवार को कचहरी पहुंचकर दो गवाहों की मौजूदगी में अपने शौहर जावेद को उसके सामने तलाक दे दी। निशा का कहना है कि वर्ष 2005 में उसका निकाह बरेली जिले के फरीदपुर कस्बे के निवासी जावेद अंसारी से हुआ था। यह तलाक कराने वाले वकील काजी जुबेर अहमद के मुताबिक निशा का आरोप है कि ससुराल में उसके साथ खराब रवैया अपनाया जाता था। इससे तंग आकर उसने मुकदमा भी कर रखा है। उसका कहना है कि जावेद ना तो उसे तलाक दे रहा था और ना ही सुलह करना चाहता था, बल्कि उसे जिंदगी बर्बाद करने की धमकी दे रहा था। इसी वजह से उसने कल कचहरी परिसर में अपने शरई हक का इस्तेमाल किया। 

अहमद ने बताया कि ऐसी ही तलाक का दूसरा मामला बरेली जिले के देवरनिया थाने के एक गांव का है, जहां जनवरी 2014 को अरबाज नामक व्यक्ति को ब्याही यासमीन नामक महिला ने भी कल तलाक-ए-तफ़वीज़ का इस्तेमाल करके अपने अपने शौहर से रिश्ता खत्म कर लिया। यासमीन का कहना है कि अरबाज ने वर्ष 2014 में उसे अग़वा कर लिया था। बाद में पंचायत के निर्णय पर परिवारों के बीच सुलह-समझौता हुआ और उसी साल दोनों की शादी कर दी गयी। महिला का आरोप है कि शादी के बाद उसे ससुराल में दहेज के लिये प्रताड़ित किया जाता था। इस बीच, ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि तलाक-ए-तफवीज एक शरई व्यवस्था है। तफवीज के मायने अपना अख्तियार दूसरे को देना है। इस प्रावधान के तहत शौहर अपनी बीवी को एक साथ तीन तलाक नहीं दे सकता। अगर वह तीन तलाक दे भी देगा तो वह मान्य नहीं होगी। साथ ही अगर मर्द ने दूसरी शादी कर ली तो भी पहली शादी टूट जाएगी। 

उन्होंने कहा कि तलाक-ए-तफ़वीज़ में व्यवस्था है कि अगर मियां-बीवी के बीच किसी बात को लेकर अलग होने की नौबत आ जाए तो औरत खुद भी शौहर को तलाक दे सकती है। इसमें यह प्रतिबंध नहीं होता है कि मर्द ही तलाक दे। हालांकि ऐसा नहीं है कि तलाक-ए-तफवीज में शौहर को तलाक देने का हक नहीं रह जाता। मर्द चाहे तो थोड़े-थोड़े वक्त पर एक-एक करके तलाक दे सकता है। मौलाना खालिद ने बताया कि पर्सनल लॉ बोर्ड के मॉडल निकाहनामे में तलाक-ए-तफ़वीज़ की व्यवस्था पहले से ही शामिल है। मगर दोनों पक्षों की रजामंदी पर ही इस कॉलम को मुकम्मल किया जाता है। उन्होंने कहा कि जहां तक बरेली के इन दो मामलों का सवाल है तो हो सकता है कि उनमें निकाह के वक्त तलाक-ए-तफ़वीज़ का प्रावधान किया गया हो। 

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