Saturday, April 20, 2024
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BLOG: क्यों सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट से बिल्कुल अलग है 2G घोटाले पर ट्रायल कोर्ट का फैसला

स्पेशल कोर्ट का फैसला साफतौर पर उस फैसले के बिल्कुल उलट है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने 2G घोटाले के दौरान मंजूर किए गए सभी 122 लाइसेंसों को रद्द करने का आदेश दिया था...

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: December 22, 2017 17:14 IST
2G Spectrum verdict- India TV Hindi
2G Spectrum verdict

गुरुवार को दिल्ली की एक CBI कोर्ट ने 2G घोटाले के सभी 17 आरोपियों को बरी कर दिया। इन आरोपियों में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा, डीएमके सांसद कनिमोझी समेत कई उद्योगपति और पूर्व नौकरशाह शामिल थे। इसके साथ ही अदालत ने भ्रष्टाचार के ठोस प्रमाण प्रदान करने में नाकाम रहने के लिए विशेष अभियोजक और CBI के लिए कड़े शब्दों का प्रयोग किया।

स्पेशल जज ओ. पी. सैनी ने अपने 1,552 पेज के फैसले में लिखा, ‘बीते करीब 7 साल में, गर्मियों की छुट्टियों सहित सभी कामकाजी दिनों में मैं पूरी शिद्दत से सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुली अदालत में इस इंतजार में बैठा रहता था कि कोई कानूनी रूप से स्वीकार्य सबूत लेकर आएगा, लेकिन सब बेकार चला गया।’ यह फैसला हमारी निचली अदालतों और अभियोजन के बारे में काफी कुछ कहता है। स्पेशल कोर्ट का फैसला साफतौर पर उस फैसले के बिल्कुल उलट है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने 2G घोटाले के दौरान मंजूर किए गए सभी 122 लाइसेंसों को रद्द करने का आदेश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने सभी 2G स्पेक्ट्रम लाइसेंसों को रद्द करते हुए स्पष्ट तौर पर आवंटनों को ‘एकपक्षीय, मनमाना और सार्वजनिक हित के विपरीत’ बताया था। एपेक्स कोर्ट ने अपने फैसले में साफतौर पर कहा था कि मंत्री (ए. राजा) ने ‘एक तरह से महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संपत्ति को औने-पौने दामों में उपहार स्वरूप दे दिया था।’ इसके बावजूद ट्रायल कोर्ट ने राजा और अन्य को बरी कर दिया। ट्रायल कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए CBI ने कहा कि वह इसके खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में अपील करेगी। CBI के प्रवक्ता ने कहा, ‘2G घोटाले से संबंधित फैसले की प्रथम दृष्टया समीक्षा के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि अभियोजन द्वारा आरोपों को आगे बढ़ाने के लिए पेश किए गए प्रमाणों पर संबंधित अदालत ने उचित तरीके से विचार नहीं किया। CBI इस मामले में जरूरी कानूनी कदम उठाएगी।’

एक बात तो बिल्कुल साफ है, CBI और उसके अभियोजक ने अपना काम ठीक से नहीं किया। यदि उन्होंने अपना काम मुस्तैदी से किया होता, तो शायद जज को इस तरह का फैसला देने का मौका न मिलता। जज ने अपने फैसले में 4 पेज पब्लिक प्रॉसिक्युटर की भूमिका के बारे में लिखा है, और बताया है कि कैसे पूरे केस को लापरवाही से लड़ा गया। जज ने अपने फैसले में यह भी लिखा कि किस तरह आरोपी ए. राजा ने अपना केस एक चतुर वकील की तरह लड़ा। यदि फैसले को ध्यान से पढ़ा जाए, तो जज ने यह कहीं नहीं कहा कि टेलीकॉम के लाइसेंस देने में करप्शन नहीं हुआ। जज ने कहा कि CBI ऐसे पुख्ता सबूत पेश नहीं कर सकी जिसके आधार पर आरोपियों को सजा दी जा सके।

2G घोटाले पर फैसला आने के तुरंत बाद कांग्रेस के नेताओं ने दावा किया कि उनकी बात सही साबित हुई। कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने 2G घोटाले का ‘इस्तेमाल’ 2014 के लोकसभा चुनावों में राजनीतिक लाभ लेने के लिए किया। यह बात भी सही है, 2014 के चुनावों के दौरान बीजेपी के नेताओं ने अपने अधिकांश भाषणों में ‘2G, 3G और जीजाजी’ की बात की थी, और 2G घोटाले को देश के इतिहास के सबसे बड़े घोटालों में बताया था।

गुरुवार के फैसले से भारतीय जनता पार्टी को राजनीतिक रूप से नुकसान पहुंच सकता है, क्योंकि एक आम आदमी आमतौर पर पूरा फैसला नहीं पढ़ता। देश की आम जनता में यही संदेश जाएगा कि 2G घोटाले के सारे आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया है। केवल कुछ ही लोग यह बात समझने की कोशिश करेंगे कि यह सुप्रीम कोर्ट ही था जिसने 2G लाइसेंस आवंटन को ‘एकपक्षीय, मनमाना और सार्वजनिक हित के विपरीत’ बताया था और सारे 122 लाइसेंसों को रद्द कर दिया था। अंत में लोगों का परसेप्शन महत्वपूर्ण होता है, और बीजेपी के नेता किस-किसको समझाएंगे कि असल में हुआ क्या। (रजत शर्मा)

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