Friday, March 29, 2024
Advertisement

कौन हैं सुप्रीम कोर्ट के वो चार जज जिन्होंने भारत के इतिहास में पहली बार की प्रेस कॉन्फ्रेंस

आंध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले में 23 जून को जन्में जस्ती चेलमेश्वर सुप्रीम कोर्ट के जज रहने से पहले केरल के उच्च न्यायालय और गौहाती उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस रह चुके हैं।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: January 12, 2018 15:20 IST
Who-are-the-four-Supreme-Court-judges-that-took-on-Chief-Justice-of-India- India TV Hindi
कौन हैं सुप्रीम कोर्ट के वो चार जज जिन्होंने भारत के इतिहास में पहली बार किया प्रेस कॉन्फ्रेंस

नई दिल्ली: आज देश के इतिहास में अभूतपूर्व घटना हुई। पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चार सिटिंग जज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सीनियर मोस्ट जज जस्टिस चेलमेश्वर के अलावा जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस जोसेफ और जस्टिस मदन लोकूर ने मीडिया से बात की। इन जजों का कहना है कि वो देश के कर्जदार हैं और वो नहीं चाहते हैं कि 20 साल बाद उन पर आरोप लगाए जाएं इसलिए आज उनके पास मीडिया से बात करने के अलावा कोई रास्ता नहीं रह गया है। भारतीय इतिहास में ये पहली बार है जब सुप्रीम कोर्ट के जजों ने कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस की हो। आईये जानते हैं कौन हैं ये चारों जज।

1. जे. चेलमेश्वर: आंध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले में 23 जून को जन्में जस्ती चेलमेश्वर सुप्रीम कोर्ट के जज रहने से पहले केरल के उच्च न्यायालय और गौहाती उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। इसके साथ ही उन्होंने आंध्र प्रदेश के उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में भी काम किया है। इसके बाद साल 2007 में वह गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने। अक्टूबर 2011 में उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में दर्जा दिया गया। करियर में उन्होंने बहुत से ऐतिहासिक फैसले लिए जिसमें से एक है भारतीय पुलिस को ईमेल या अन्य इलेक्ट्रॉनिक संदेशों को पोस्ट करने के आरोपी जो कि किसी घटना का कारण बन सकती है, उसको गिरफ्तार करने की पावर देना। इसके साथ ही उन्होंने आधार कार्ड से भी जुड़ा एक बहुत ही अहम फैसला सुनाया था जिसके अंतर्गत आधार कार्ड के बिना कोई भी भारतीय नागरिक बुनियादी सेवाओं और सरकारी सब्सिडी से वंचित नहीं हो सकता है।

2. रंजन गोगोई: सुप्रीम कोर्ट में जज रहने से पहले पंजाब उच्च न्यायालय में चीफ जस्टिस रह चुके हैं। अक्टूबर 2018 में उन्हें भारत के जीफ जस्टिस का पद दिया गया था। वे भारत के पूर्वोत्तर से इस पद को बनाए रखने वाले पहले न्यायाधीश हैं। साल 1978 में रंजन गोगोई ने गौहती हाईकोर्ट में अपनी प्रैक्टिस शुरू की जिसके बाद साल 2001 मरें उन्हें स्थायी न्यायाधीश बना दिया गया था। इसके बाद साल 2010 में उन्हें पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया। साल 2011 में उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।

3. मदन लोकुर: नई दिल्ली से अपनी पढ़ाई पूरी करने वाले मदन लोकुर ने इलाहाबाद के सेंट स्टीफंस कॉलेज में आईएससी की परीक्षा के लिए भाग लिया। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी कानून की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने साल 1977 में अपनी कानून की प्रैक्टिस की शुरूआत की। मदन लोकुन ने एडवोकेट ऑन रिकार्ड (एओआर) की परीक्षा उत्तीर्ण की है और साल 1981 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट के एओआर के रूप में नामांकित किया गया।

4. कुरियन जोसेफ: उन्होंने अपने कानूनी करियर की शुरुआत साल 1979 में की। इससे पहले साल 1977 से 1978 तक वो केरल विश्वविद्यालय के शैक्षणिक परिषद के सदस्य रहे। इसके साथ ही साल 1978 में वो केरल विश्वविद्यालय संघ के महासचिव भी रहे। साल 1996 में उन्हें वरिष्ठ वकील के रूप में नामित किया गया।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement