Saturday, April 20, 2024
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क्‍या है आईपीसी की धारा 497 जिसे सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित कर दिया है

इस कानून के तहत अगर आरोपी पुरुष पर आरोप साबित होते है तो उसे अधिकत्‍तम पांच साल की सजा हो सकती है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: September 27, 2018 15:00 IST
क्‍या है आईपीसी की धारा 497 जिसे सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित कर दिया है- India TV Hindi
क्‍या है आईपीसी की धारा 497 जिसे सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित कर दिया है

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फैसले में व्यभिचार (अडल्टरी) कानून को असंवैधानिक करार देते हुए इसे अपराध मानने से इनकार कर दिया है। अदालत की पांच जजों की पीठ ने कहा कि यह कानून असंवैधानिक और मनमाने ढंग से लागू किया गया था। फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि पति पत्नी का मालिक नहीं है। न्यायमूर्ति मिश्रा ने अपनी और न्यायमूर्ति खानविलकर की ओर से फैसला पढ़ते हुए कहा, ‘‘हम विवाह के खिलाफ अपराध से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धारा 497 और सीआरपीसी की धारा 198 को असंवैधानिक घोषित करते हैं।’’

अलग से अपना फैसला पढ़ते हुए न्यायमूर्ति नरीमन ने धारा 497 को पुरातनपंथी कानून बताते हुए न्यायमूर्ति मिश्रा और न्यायमूर्ति खानविलकर के फैसले के साथ सहमति जतायी। उन्होंने कहा कि धारा 497 समानता का अधिकार और महिलाओं के लिए समान अवसर के अधिकार का उल्लंघन करती है।

क्‍या है आईपीसी की धारा 497

आईपीसी की धारा 497 के तहत अगर शादीशुदा पुरुष किसी अन्‍य शादीशुदा महिला के साथ संबंध बनाता है तो यह अपराध है लेकिन इसमें शादीशुदा महिला के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है। इस धारा में सबसे जरूरी बात ये है विवाहित महिला का पति भी अपनी पत्‍नी के खिलाफ केस दर्ज नहीं करा सकता है। इस मामले में शिकायतकर्ता विवाहित महिला से संबंध बनाने वाले पुरुष की पत्‍नी ही शिकायत दर्ज करा सकती है।

इस कानून के तहत अगर आरोपी पुरुष पर आरोप साबित होते है तो उसे अधिकत्‍तम पांच साल की सजा हो सकती है। इस मामले की शिकायत किसी पुलिस स्‍टेशन में नहीं की जाती है बल्कि इसकी शिकायत मजिस्‍ट्रेट से की जाती है और कोर्ट को सबूत पेश किए जाते हैं।

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