Saturday, April 20, 2024
Advertisement

हम सभी निगल रहे हैं धुआं, अभी से संभल जाएं तो बेहतर : विशेषज्ञ

विशेषज्ञों ने आह्वान किया कि अपने साथ-साथ आने वाली पीढ़ी को पर्यावरण प्रदूषण के खतरे से बचाने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: October 11, 2017 22:19 IST
Air pollution- India TV Hindi
Air pollution

नयी दिल्ली: राजधानी में सर्दी का मौसम नजदीक आने और दिवाली के आसपास वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंचने की चिंताओं के बीच आज जानेमाने चिकित्सकों और विशेषज्ञों ने आह्वान किया कि अपने साथ-साथ आने वाली पीढ़ी को पर्यावरण प्रदूषण के खतरे से बचाने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा। 

सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिवाली पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में एक नवंबर तक पटाखों की बिक्री पर रोक लगाने के आदेश की पृष्ठभूमि में विशेषज्ञों ने आज यहां एक समारोह में यह भी कहा कि हमें केवल दिवाली के मौके पर पटाखों से होने वाले प्रदूषण से ही नहीं बल्कि सालभर जहरीली हवा से बचने के लिए तैयार होना है। 

इमाई राइट टू ब्रीद अभियान के तले आयोजित समारोह में सर गंगाराम अस्पताल के मुख्य थोरेसिक सर्जन डॉ. अरविंद कुमार ने कहा कि यह खुद को और अपने बच्चों को साफ हवा देने की एक मुहिम है जिसमें सभी को शामिल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुद्दा केवल दिवाली के मौके पर पटाखों पर रोक से जुड़ा नहीं है। हम हर तरह के वायु प्रदूषण के खतरे को कम करने की बात कर रहे हैं। पटाखे केवल उन कारकों में हैं जिनसे हम बच सकते हैं और बिना आतिशबाजी के भी त्योहार अच्छे से मना सकते हैं। 

डॉ. कुमार ने कहा कि आज से 20 साल पहले उनके पास आने वाले लंग कैंसर के रोगियों में से केवल धूम्रपान करने वालों के फेफड़े काले होते थे लेकिन आज सिगरेट नहीं पीने वालों के फेफड़े भी गुलाबी से काले होते जा रहे हैं और इस जहरीली हवा में हम सभी स्मोकर हैं, कोई नॉन-स्मोकर नहीं है। 

कार्यक्रम में सभी वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि इस मुहिम को किसी धार्मिक विषय से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। यह सभी के भविष्य और स्वास्थ्य की बात है। 

अपोलो अस्पताल के ब्रेस्ट सर्जन डॉ. सिद्धार्थ साहनी ने बताया कि महिलाओं में स्तन कैंसर के बढ़ते मामलों के पीछे भी यह वायु प्रदूषण एक बड़ा कारक है। सुप्रीम कोर्ट में वायु प्रदूषण से संबंधित जिस याचिका पर उक्त फैसला आया है, उसे दाखिल करने वाले याचिकाकर्ताओं के वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि हमारी याचिका में प्रदूषण से जुड़े 12 कारक थे, जिनमें पटाखों की बिक्री पर रोक का अंतरिम आदेश केवल एक कारक से जुड़ा है। हमें आगे भी उम्मीद हैं। 

उन्होंने कहा कि पटाखे वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण नहीं हैं लेकिन बहुत बड़ा हिस्सा इनका है। दिल्ली में दो दिन की आतिशबाजी का सालभर के पर्यावरण प्रदूषण में दो प्रतिशत हिस्सा है। अपोलो अस्पताल के बाल रोग विशेषग्य डॉ अनुपम सिब्बल ने कहा कि पटाखों का धुआं और जहरीले तत्व हमारे बच्चों के फेफड़ों को खराब कर रहे हैं और कई बीमारियों को पैदा कर रहे हैं। एक बार फेफड़े में ये जहर पहुंच जाता है तो लंबे वक्त तक नुकसानदायक है। कार्यक्रम को राज्यसभा के पूर्व महासचिव शमशेर के शरीफ और पूर्व क्रिकेटर कपिल देव ने भी संबोधित किया। 

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement