Thursday, April 25, 2024
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व्यापमं घोटाले में शिवराज सरकार को सीबीआई ने दी बड़ी राहत

सीबीआई ने अपना आरोप-पत्र विशेष न्यायाधीश की अदालत में पेश करते हुए बताया कि उसने तमाम आरोपों की पड़ताल कर पुलिस द्वारा जब्त की गई हार्ड डिस्क का सीएफएसएल से परीक्षण कराया और अन्य जुटाए गए साक्ष्यों का परीक्षण करने के बाद पाया है कि हार्ड डिस्क से कोई

IANS Reported by: IANS
Published on: November 01, 2017 7:12 IST
Shivraj-Singh-Chauhan- India TV Hindi
Shivraj-Singh-Chauhan

भोपाल: मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले में मंगलवार को शिवराज सिंह चौहान सरकार के लिए राहत भरी खबर आई। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा भोपाल की विशेष अदालत में पेश किए गए आरोप-पत्र में कहा है कि उसने अपनी जांच में हार्ड डिस्क से किसी तरह की छेड़छाड़ होना नहीं पाया है। सीबीआई की ओर से आधिकारिक तौर पर दी गई जानकारी में बताया गया है कि वर्ष 2013 में व्यापमं द्वारा आयोजित पीएमटी परीक्षा में गड़बड़ी की जांच की जा रही है। इस मामले में कुल 490 अभियुक्त हैं। इनमें तीन व्यापमं के अधिकारी, तीन गिरोहबाज, 17 दलाल, 297 सॉल्वर और फायदा पाने वाले छात्रों के अलावा 170 छात्रों के परिजन हैं।

सीबीआई ने अपना आरोप-पत्र विशेष न्यायाधीश की अदालत में पेश करते हुए बताया कि उसने तमाम आरोपों की पड़ताल कर पुलिस द्वारा जब्त की गई हार्ड डिस्क का सीएफएसएल से परीक्षण कराया और अन्य जुटाए गए साक्ष्यों का परीक्षण करने के बाद पाया है कि हार्ड डिस्क से कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है। ज्ञात हो कि सर्वोच्च न्यायालय ने नौ जुलाई 2015 को सीबीआई को व्यापमं घोटाले की जांच के निर्देश दिए थे। सीबीआई ने जांच कर उन लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया, जिनके खिलाफ इंदौर के राजेंद्र नगर थाने में 2013 में प्रकरण दर्ज किए गए थे। इसमें वे लोग थे जो पीएमटी 2013 की परीक्षा में किसी न किसी तौर पर शामिल थे।

सीबीआई के मुताबिक, उसे आरोपियों को खोजने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, क्योंकि उनके पता गलत थे और उन्होंने जो पता दिया, वहां ज्यादा समय तक नहीं रहे। इसके अलावा यह भी पता चला कि सॉल्वर मुख्य तौर पर चिकित्सा महाविद्यालयों के छात्र थे या बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान के उन स्थानों के छात्र थे, जो मध्य प्रदेश की सीमा से लगते हैं। इसके लिए दस लाख छात्रों तक पहुंचा गया। सीबीआई के मुताबिक, उसे बड़ा सहयोग सॉफ्टवेयर और डाटाबेस ने किया, जिसके जरिए 42 सॉल्वर तक पहुंचा जा सका। साथ ही 11 मध्यस्थों को भी पकड़ा गया।

सीबीआई का कहना है कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री (दिग्विजय सिंह) द्वारा हार्ड डिस्क से छेड़छाड़ को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिका के तहत भी जांच की। यह हार्ड डिस्क इंदौर पुलिस ने बरामद की थी। हार्ड डिस्क के अलावा पेन ड्राइव और एक निजी व्यक्ति की पेन ड्राइव का हैदराबाद की सेंटल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी से परीक्षण कराया गया, जिसमें पाया गया है कि हार्ड डिस्क से कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है। वहीं निजी व्यक्ति द्वारा पेश पेन ड्राइव में कई बातें झूठी हैं।

ज्ञात हो कि व्यापमं घोटाला एसटीएफ फिर एसआईटी और अब सीबीआई के पास जांच में है। इस प्रकरण से जुड़े 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं दो हजार से ज्यादा लोग जेल जा चुके हैं। सीबीआई की चार्जशीट दायर किए जाने और उसमें हार्ड डिस्क से किसी तरह की छेड़छाड़ न होने का खुलासा किए जाने पर भाजपा ने खुशी जाहिर की है। प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान का कहना है कि इससे दूध का दूध और पानी का पानी हो गया है। शिवराज सिंह चौहान पाक साफ हैं, यह एक बार फिर साबित हो गया है। दूसरी ओर, कांग्रेस ने इस पर सवाल उठाए हैं।

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