Saturday, April 20, 2024
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विजय दिवस: ये हैं करगिल युद्ध के कुछ चौंकाने वाले राज़

करगिल सेक्टर में 1999 में भारतीय और पाकिस्तानी सैनिकों के बीच लड़ाई शुरू होने से कुछ सप्ताह पहले जनरल परवेज मुशर्रफ ने एक हेलिकॉप्टर से नियंत्रण रेखा पार की थी और भारतीय भूभाग में करीब 11 किमी अंदर एक स्थान पर रात भी बिताई थी।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: July 26, 2018 11:20 IST
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विजय दिवस: ये हैं करगिल युद्ध के कुछ चौंकाने वाले राज़

नई दिल्ली: करगिल की लड़ाई अपने आप में कई राज छुपाए हुए है। उस समय क्या हुआ था ये कोई नहीं जानता। हर कोई अलग-अलग अंदाजा लगाता है। हम आज आपको बताने जा रहे हैं करगिल से जुड़े कुछ अहम राज जिन्हें जानकर आप हैरान हो जाएंगे। करगिल की लड़ाई में हमारे सैनिकों ने पाकिस्तानी फौज का जमकर मुकाबला किया था। पाकिस्तानी घुस्पैठियों ने लगातार गोलियां चलाई और हमारे सैनिकों ने उन्हें सामने से जवाब दिया। भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में करगिल युद्ध हुआ था। इसकी शुरुआत हुई थी 8 मई 1999 से जब पाकिस्तानी फौजियों और कश्मीरी आतंकियों को कारगिल की चोटी पर देखा गया था। (विजय दिवस: जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान को नाकों चने चबवाया)

यह लड़ाई 14 जुलाई तक चली थी। माना जाता है कि पाकिस्तान इस ऑपरेशन की 1998 से तैयारी कर रहा था। ये हैं करगिल युद्ध के कुछ चौंकाने वाले राज़-

-एक बड़े खुलासे के तहत पाकिस्तान का दावा झूठा साबित हुआ कि करगिल लड़ाई में मुजाहिद्दीन शामिल थे। यह लड़ाई पाकिस्तान के नियमित सैनिकों ने लड़ी। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व अधिकारी शाहिद अजीज ने यह राज उजागर किया था।

-करगिल सेक्टर में 1999 में भारतीय और पाकिस्तानी सैनिकों के बीच लड़ाई शुरू होने से कुछ सप्ताह पहले जनरल परवेज मुशर्रफ ने एक हेलिकॉप्टर से नियंत्रण रेखा पार की थी और भारतीय भूभाग में करीब 11 किमी अंदर एक स्थान पर रात भी बिताई थी। मुशर्रफ के साथ 80 ब्रिगेड के तत्कालीन कमांडर ब्रिगेडियर मसूद असलम भी थे। दोनों ने जिकरिया मुस्तकार नामक स्थान पर रात बिताई थी।

-जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान ने 1998 में परमाणु हथियारों का परीक्षण किया था। कई लोगों का कहना है कि कारगिल की लड़ाई उम्मीद से ज्यादा खतरनाक थी। हालात को देखते हुए मुशर्रफ ने परमाणु हथियार तक इस्तेमाल करने की तैयारी कर ली थी।

-पाकिस्तानी सेना करगिल युद्ध को 1998 से अंजाम देने की फिराक में थी। इस काम के लिए पाक सेना ने अपने 5000 जवानों को करगिल पर चढ़ाई करने के लिए भेजा था।

-करगिल की लड़ाई के दौरान पाकिस्तानी एयर फोर्स के चीफ को पहले इस ऑपरेशन की खबर नहीं दी गई थी। जब इस बारे में पाकिस्तानी एयर फोर्स के चीफ को बताया गया तो उनहोंने इस मिशन में आर्मी का साथ देने से मना कर दिया था।

-उर्दू डेली में छपे एक बयान में नवाज शरीफ ने इस बात को स्वीकारा था कि करगिल का युद्ध पाकिस्तानी सेना के लिए एक आपदा साबित हुआ था। पाकिस्तान ने इस युद्ध में 2700 से ज्यादा सैनिक खो दिए थे। पाकिस्तान को 1965 और 1971 की लड़ाई से भी ज्यादा नुकसान हुआ था।

-भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी सैनिकों के खिलाफ करगिल युद्ध में मिग-27 और मिग-29 का प्रयोग किया था। मिग-27 की मदद से इस युद्ध में उन स्थानों पर बम गिराए जहां पाक सैनिकों ने कब्जा जमा लिया था। इसके अलावा मिग-29 करगिल में बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ। इस विमान से पाक के कई ठिकानों पर आर-77 मिसाइलें दागी गईं थीं।

-8 मई को करगिल युद्ध शुरू होने के बाद 11 मई से भारतीय वायुसेना की टुकड़ी ने इंडियन आर्मी की मदद करना शुरू कर दिया था। करगिल की लड़ाई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस युद्ध में वायुसेना के करीब 300 विमान उड़ान भरते थे।

-करगिल की ऊंचाई समुद्र तल से 16000 से 18000 फीट ऊपर है। ऐसे में उड़ान भरने के लिए विमानों को करीब 20,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ना पड़ता है। ऐसी ऊंचाई पर हवा का घनत्व 30% से कम होता है। इन हालात में पायलट का दम विमान के अंदर ही घुट सकता है और विमान दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है।

-भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए करगिल युद्ध में तोपखाने (आर्टिलरी) से 2,50,000 गोले और रॉकेट दागे गए थे। 300 से अधिक तोपों, मोर्टार और रॉकेट लॉन्चरों ने रोज करीब 5,000 बम फायर किए थे। लड़ाई के महत्वपूर्ण 17 दिनों में प्रतिदिन हर आर्टिलरी बैटरी से औसतन एक मिनट में एक राउंड फायर किया गया था। दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह पहली ऐसी लड़ाई थी, जिसमें किसी एक देश ने दुश्मन देश की सेना पर इतनी अधिक बमबारी की थी।

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