Friday, March 29, 2024
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सहकर्मी को स्तनपान कराना जरूरी, ये हैं दुनिया के कुछ अजीबोगरीब फतवे

फ़तवा यानी राय जो किसी को तब दी जाती है जब वह अपना कोई निजी मसला लेकर मुफ्ती के पास जाता है। फ़तवा का शाब्दिक अर्थ असल में सुझाव ही है और इसका मतलब यह है कि कोई इसे मानने के लिए कानूनी रूप से बाध्य नहीं है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: February 17, 2018 9:31 IST
fatwa- India TV Hindi
fatwa

नई दिल्ली: दारुल उलूम देवबंद के उलेमा का एक नया फतवा जारी हुआ है जिसमें ये कहा गया है कि मुस्लिम महिलाओं का गैर मर्दों से चूड़ी पहनना इस्लामिक नहीं है। देवबंद के अनुसार जो महिलाएं बाजार में पराए मर्दों के हाथों से चूड़ियां पहनती हैं, वह गुनाह है। इस बारे में शौहर ने मुफ्ती की राय मांगी थी। इससे पहले महिलाओं के सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीर पोस्ट करने को गैर इस्लामी करार देते हुए दारुल उलूम ने फतवा जारी किया था। दारुल उलूम का कहना है कि महिला का अपनी तस्वीरें फेसबुक, ट्वीटर या किसी अन्य सोशल साइट्स पर डालना इस्लाम के खिलाफ है। फ़तवा यानी राय जो किसी को तब दी जाती है जब वह अपना कोई निजी मसला लेकर मुफ्ती के पास जाता है। फ़तवा का शाब्दिक अर्थ असल में सुझाव ही है और इसका मतलब यह है कि कोई इसे मानने के लिए कानूनी रूप से बाध्य नहीं है। यह सुझाव भी सिर्फ उसी व्यक्ति के लिए होता है और वह भी उसे मानने या न मानने के लिए आज़ाद होता है। इसे आलिम-ए-दीन की शरियत के मुताबिक जारी किया जाता है।

आज हम आपको उन्हीं फ़तवों की एक लंबी फेहरिस्त के बारे में बताने जा रहे हैं जिसको जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे। साथ ही सोच में पड़ जाएंगे कि आख़िर धर्म के जानकार लोग जिन्हें ज्ञानी माना जाता है वह ऐसे फतवे जारी करते वक्त क्या सोचते हैं जो इतने अजीब-ओ-ग़रीब फ़तवे जारी कर देते हैं। तो चलिए जानते हैं कुछ अजब फ़तवों की ग़ज़ब फ़ेहरिस्त…

सानिया मिर्ज़ा का स्कर्ट

कोलकाता के एक इस्लामी संगठन को टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्ज़ा के स्कर्ट से ही परेशानी होने लग गई थी जिसको लेकर उसने एक फ़तवा जारी कर दिया कि सानिया ''क़ायदे'' के कपड़े पहनकर खेलें, नहीं तो उन्हें खेलने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सानिया का शॉर्ट स्कर्ट और टाइट टॉप युवाओं को भ्रष्ट करता है।

कामकाजी महिलाएं पुरुषों को दूध पिलाएं

मिस्र के मुफ्तियों ने कुछ ही दिन पहले नौकरीपेशा महिलाओं द्वारा अपने साथ काम करने वाले कुंआरे पुरुषों को कम से कम 5 बार अपनी छाती का दूध पिलाने का फतवा जारी किया। तर्क यह दिया गया कि इससे उनमें मां-बेटों का रिश्ता बनेगा और अकेलेपन के दौरान वे किसी भी इस्लामिक मान्यता को तोड़ने से बचेंगे।

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