Wednesday, April 24, 2024
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पाकिस्तान जैसा बन रहा है बांग्लादेश: तस्लीमा नसरीन

नई दिल्ली: बांग्लादेशी लेखिका और महिला मानवाधिकार कार्यकर्ता तस्लीमा नसरीन ने कहा है कि अगर किसी देश की बुनियाद धर्म के आधार पर रखी जाएगी, तो वह कट्टरपंथी हो जाएगा। उनका मानना है कि बांग्लादेश

IANS IANS
Updated on: March 18, 2016 19:34 IST
taslima nasrin- India TV Hindi
taslima nasrin

नई दिल्ली:  बांग्लादेशी लेखिका और महिला मानवाधिकार कार्यकर्ता तस्लीमा नसरीन ने कहा है कि अगर किसी देश की बुनियाद धर्म के आधार पर रखी जाएगी, तो वह कट्टरपंथी हो जाएगा। उनका मानना है कि बांग्लादेश भी पाकिस्तान जैसा बन रहा है। वहां ब्लॉगरों की सरेआम हत्या की जा रही है और सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।

नई दिल्ली में 'स्प्रिंग फीवर 2016' के तीसरे दिन गुरुवार को पाकिस्तान पर हुए सत्र में तस्लीमा नसरीन एक खास पैनल में शामिल हुईं। पैनल में कांग्रेस सांसद शशि थरूर, रिटायर्ड आईएफएस और लेखक टी. सी. राघवन (जिनकी आखिरी नियुक्ति पाकिस्तान के उच्चायुक्त के रूप में हुई थी) और दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त नीरज कुमार भी शामिल थे।

उर्दू के सबसे पुराने दैनिक 'डेली मिलाप' के संपादक ऋषि सूरी ने 'पाकिस्तान दर्शकों की नजर में' शीर्षक वाले इस सत्र की अध्यक्षता की। पाकिस्तानी बुद्धिजीवी और पूर्व राजनयिक हुसैन हक्कानी इस सत्र में मौजूद नहीं थे। उन्होंने वीडियो टॉक से अपना नजरिया सामने रखा। हक्कानी ने कहा कि पाकिस्तान एक नया देश है। पाकिस्तान का अस्तित्व इसलिए नहीं है कि अंग्रेजों ने इसका गठन किया, बल्कि यह उस समय बहुसंख्यकों की ओर से किया गया फैसला था। यह केवल मुसलमानों का निर्णय भी नहीं था क्योंकि मुस्लिम लीग में केवल 15 फीसदी मुसलमान ही वोट दे सकते थे।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में सेना का मजबूत वजूद पाकिस्तान और भारत के मुश्किल रिश्तों की बदौलत ही सामने आया है। मस्जिद और सेना ने पाकिस्तान के आइडिया को आकार दिया है। पाकिस्तान को अपनी विविधता पहचाननी चाहिए और भारत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों पर फोकस करना चाहिए। सांसद शशि थरूर ने कहा कि उनकी नजर में पाकिस्तान का दिल कबूतर का और दिमाग बाज का है। उन्होंने कहा कि भारत के साथ पाकिस्तान का विवादास्पद मुद्दा कश्मीर नहीं है, बल्कि पाकिस्तान देश की प्रकृति है। सेना ही पाकिस्तान का संचालन करती है।

रिटायर्ड आईएफएस और लेखक टी.सी. राघवन ने कहा कि हम पाकिस्तान को कम आंकते हैं, जबकि यह ऐसा देश है जहां लोगों को अपने पर विश्वास है। उन्होंने कहा कि केवल बातचीत से पाकिस्तान में कुछ नहीं सुधरेगा। इसके लिए पाकिस्तान को सेना की भूमिका में कटौती करनी होगी। तस्लीमा नसरीन ने 1971 के युद्ध के त्रासदीपूर्ण पलों को याद किया जब पाकिस्तान की सेना ने बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) में उनका घर लूट लिया था और उनके पिता को प्रताड़ित किया था। उस समय उनकी उम्र केवल 9 साल की थी। उन्हें डर था कि पाकिस्तान सेना उन्हें कैंप में ले जाएगी और उनका भी शारीरिक शोषण होगा।

उन्होंने कहा कि तब से लेकर अब तक वह पाकिस्तानी लोगों के डर के साए में ही रही हैं। लेकिन, उन्होंने साथ में यह भी कहा कि पूरे विश्व में कई सम्मलेनों में उन्होंने शिरकत की, जिसमें वह अपने जैसे पाकिस्तानी लोगों से मिलीं, जिन्होंने उन्हें बताया कि पाकिस्तान बदल रहा है। नसरीन ने कहा कि धर्म के आधार पर बनाया गया कोई कानून महिलाओं को समान अधिकार नहीं दे सकता। लिंग आधारित समानता के लिए धार्मिक कानूनों को हटाना होगा।

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