Friday, April 26, 2024
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नरोदा पाटिया दंगा: सुप्रीम कोर्ट ने 4 दोषियों को जमानत दी, हाईकोर्ट ने सुनाई थी 10 साल की सजा

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात में 2002 के दंगों से संबंधित नरोदा पाटिया नरसंहार मामले के 4 दोषियों को मंगलवार को जमानत दे दी। इस नरसंहार में उग्र भीड़ ने 97 व्यक्तियों की हत्या कर दी थी।

PTI Reported by: PTI
Published on: January 23, 2019 23:29 IST
Supreme Court grants bail to 4 convicts in 2002 Naroda...- India TV Hindi
Supreme Court grants bail to 4 convicts in 2002 Naroda Patiya riot case

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात में 2002 के दंगों से संबंधित नरोदा पाटिया नरसंहार मामले के 4 दोषियों को मंगलवार को जमानत दे दी। बता दें कि हाईकोर्ट ने इन चारों आरोपियों को 10 साल की सजा सुनाई थी। इस नरसंहार में उग्र भीड़ ने 97 व्यक्तियों की हत्या कर दी थी। गुजरात हाई कोर्ट ने पिछले साल 20 अप्रैल को इस मामले में 29 में से 12 आरोपियों को दोषी ठहराने के निचली अदालत के निर्णय को सही ठहराया था जबकि भाजपा की पूर्व मंत्री माया कोडनानी सहित 17 अन्य को बरी कर दिया था।

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने मंगलवार को चार दोषियों- उमेशभाई सुराभाई भाडवाड, राजकुमार, पद्मेन्द्रसिंह जसवंतसिंह राजपूत और हर्षद उर्फ मुंगदा जिला गोविन्द छड़ा परमार को नियमित जमानत दी। शीर्ष अदालत ने एक अन्य दोषी प्रकाशभाई सुरेशभाई राठौड़ को 10 फरवरी को अपनी बेटी के विवाह में शामिल होने के लिए 19 दिन की अंतरिम जमानत भी दी है।

न्यायालय ने कहा कि वह 28 जनवरी से 15 फरवरी तक जमानत पर रहेगा और इसी दिन उसे जेल में वापस समर्पण करना होगा। इस बीच, न्यायलाय ने दोषी व्यक्तियों की अपील विचारार्थ स्वीकार कर ली।

शीर्ष अदालत ने उमेशभाई सुराभाई भाडवाड को दोषी ठहराने के उच्च न्यायालय के आदेश को ‘संदिग्ध’ और ‘बहस योग्य’ करार दिया। भाडवाड एचआईवी से ग्रस्त है। पीठ ने कहा कि इसमें कोई विवाद नहीं है कि मुकदमे की पूरी सुनवाई के बाद अपीलकर्ता को इस आधार पर निचली अदालत ने बरी किया था कि उसका नाम प्राथमिकी में नहीं था और सिर्फ दो पुलिस अधिकारियों ने ही उसका नाम लिया।

न्यायालय ने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने घटना के चार दिन बाद उसका नाम लिया और दावा किया कि घटनास्थल पर एकत्र 15,000 लोगों की भीड़ में उसे देखा गया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय ने सिर्फ दो पुलिस गवाहों के आधार पर ही निचली अदालत का निर्णय उलट दिया। राजकुमार और पद्मेन्द्रसिंह को जमानत देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि इन दोनों को दोषी ठहराने के मामले में उच्च न्यायालय का नजरिया ‘संदिग्ध’ लगता है। न्यायालय ने कहा कि घटनास्थल पर उनकी उपस्थिति साबित होने के आधार पर ही उनकी रिहाई को निरस्त कर दिया गया।

गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में 59 व्यक्तियों के जिन्दा जलाने की घटना के एक दिन बाद नरोदा पाटिया इलाके में यह घटना हुई थी। गुजरात में अहमदाबाद के निकट नरोदा पाटिया इलाके में 28 फरवरी, 2002 को हुए दंगे में उग्र भीड़ ने अल्पसंख्यक समुदाय के 97 व्यक्तियों की हत्या कर दी थी।

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