Friday, March 29, 2024
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बालिगों की शादी नहीं रोक सकती खाप पंचायतें : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि शादी के लिए सहमत दो बालिगों के बीच विवाह के मामले में खाप पंचायतों का किसी भी तरह का दखल अवैध है और इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: March 27, 2018 22:13 IST
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि शादी के लिए सहमत दो बालिगों के बीच विवाह के मामले में खाप पंचायतों का किसी भी तरह का दखल अवैध है और इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि 'ऑनर किलिंग' के सारे मामलों का निपटारा विशेष/त्वरित अदालतों के जरिए होना चाहिए। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए.एम.खानविल्कर व जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, "ऑनर किलिंग अवैध है और इसे एक पल भी अस्तित्व में रहने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "असहिष्णु समूह जो श्रेष्ठ वर्ग या श्रेष्ठ नस्ल की भावना रखते हैं, वे किसी प्रकार के दर्शन, नैतिक, सामाजिक या स्वघोषित दावों के जरिए लोगों को उनके अधिकार से वंचित नहीं कर सकते।" ऑनर किलिंग को व्यक्तिगत स्वतंत्रता, पसंद के अधिकार और किसी के पसंद के अपनी अनुभूति को समाप्त करने वाला बताते हुए अदालत ने कहा, "यह पूरी तरह से ध्यान में रखा जाना चाहिए कि जब दो वयस्क सहमति से एक-दूसरे को जीवनसाथी चुनते हैं, तो यह उनके चुनने की अभिव्यक्ति है, जिसे संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के तहत पहचान दी गई है।" 

अदालत ने साथ में यह भी निर्देश दिया कि ऑनर किलिंग से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई इस मामले के लिए अधिकृत विशेष अदालतों या त्वरित अदालतों में होनी चाहिए। अदालत ने कहा, "इसके साथ ही मामले की सुनवाई रोजाना आधार पर होनी चाहिए और अपराध के बारे में संज्ञान लेने के छह माह के भीतर इसका निपटारा हो जाना चाहिए।" कोर्ट ने कहा कि यह निर्देश लंबित मामलों पर भी लागू होगा।

यह ऐतिहासिक फैसला एक एनजीओ शक्ति वाहिनी की याचिका पर आया है। शक्ति वाहिनी ने शीर्ष अदालत से खाप पंचायतों जैसी संस्थाओं की रजामंदी के बिना होने वाले विवाहों में उनके दखल और शादी के खिलाफ हुक्म जारी किए जाने को लेकर अपील की थी।

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