Friday, April 19, 2024
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आलोक वर्मा को पद से हटाए जाने के बाद सीबीआई प्रमुख की दौड़ में जायसवाल, ओ.पी. सिंह, मोदी शामिल

सूत्रों ने बताया कि सीबीआई निदेशक पद की दौड़ में 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी और मुंबई पुलिस आयुक्त सुबोध कुमार जायसवाल, उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओ.पी. सिंह और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के प्रमुख वाई.सी. मोदी आगे चल रहे हैं।

IANS Reported by: IANS
Updated on: January 12, 2019 7:41 IST
आलोक वर्मा को पद से हटाए जाने के बाद सीबीआई प्रमुख की दौड़ में जायसवाल, ओ.पी. सिंह, मोदी शामिल- India TV Hindi
आलोक वर्मा को पद से हटाए जाने के बाद सीबीआई प्रमुख की दौड़ में जायसवाल, ओ.पी. सिंह, मोदी शामिल

नई दिल्ली: आलोक वर्मा को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीइआई) के निदेशक पद से हटाए जाने के एक दिन बाद कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने एजेंसी के नए निदेशक की तलाश तेज कर दी है। विभाग महानिदेशक स्तर के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 10 अधिकारियों में से अंतिम नामों में से अपनी संक्षिप्त सूची बनाने की कवायद में जुटा हुआ है। सूची में 1983, 1984 और 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी शामिल हैं। 

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सूत्रों ने बताया कि सीबीआई निदेशक पद की दौड़ में 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी और मुंबई पुलिस आयुक्त सुबोध कुमार जायसवाल, उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओ.पी. सिंह और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के प्रमुख वाई.सी. मोदी आगे चल रहे हैं। 

डीओपीटी द्वारा करीब तीन-चार अधिकारियों के नाम सीबीआई निदेशक पद के लिए चुने जाने के बाद उनको चयन समिति के पास भेजा जाएगा। तीन सदस्यीय चयन समिति में प्रधानमंत्री, भारत के प्रधान न्यायाधीश और लोकसभा में कांग्रेस के नेता शामिल हैं, जो दो साल के तय कार्यकाल के लिए इनमें से एक नाम पर अंतिम फैसला लेंगे। 

वर्मा का कार्यकाल 31 जनवरी को समाप्त होने वाला था। नए नाम पर फैसले की घोषणा इस महीने के अंतिम सप्ताह से पहले या अंतिम सप्ताह में हो सकती है। नाम नहीं बताने की शर्त पर गृह मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि डीओपीटी को दिसंबर 2018 में सीबीआई निदेशक के चयन के लिए 17 अधिकारियों की सूची भेजी गई थी। 

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि डीओपीटी अधिकारी के नामों की संक्षिप्त सूची बनाने की प्रक्रिया में जुटे हैं। सूची भ्रष्टाचार निरोध के मामलों की जांच में अधिकारियों का अनुभव, सीबीआई में पहले कार्य करने का अनुभव, काडर में सतर्कता के मामलों का निष्पादन और उनकी निष्ठा के आधार पर बनाई जाती है। 

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2004 में तय दिशानिर्देशों के अनुसार, आईपीएस के चार सबसे पुराने बैच के सेवारत अधिकारी शीर्ष पद के दावेदार होंगे। वरीयता और भ्रष्टाचार निरोध के मामलों की जांच में अनुभव के कारण अधिकारियों की सूची में 1983 बैच की अधिकारी और गृह मंत्रालय में विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) रीना मित्रा, उत्तर प्रदेश के महानिदेशक ओ.पी. सिंह और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के महानिदेशक राजीव राय भटनागर के नाम शामिल हैं। 

1984 बैच के कुछ प्रमुख नामों में एनआईए प्रमुख मोदी, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के महानिदेशक सुदीप लखटकिया, पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के प्रमुख ए.पी. माहेश्वरी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलोजी एंड फॉरेंसिक साइंस के निदेशक एस. जावेद अहमद, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक रजनीकांत मिश्रा और भारत-तिब्ब्त सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के प्रमुख एस.एस. देसवाल शामिल हैं। 

1985 बैच के आईपीएस अधिकारी और मुंबई पुलिस आयुक्त सुबोध कुमार जायसवाल भी दावेदार हैं। रीना मित्रा और मोदी के पास सीबीआई और भ्रष्टाचार निरोधक शाखाओं में काम करने का लंबा अनुभव है। सूत्रों के अनुसार, जायसवाल के नाम पर मुहर लगने की संभावना है। जायसवाल ने रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) में सेवा प्रदान की है और वह मुंबई पुलिस आयुक्त बनने से पहले कैबिनेट सचिवालय में बतौर अतिरिक्त सचिव कार्यरत थे। 

रीना मित्रा के अलावा, ओ.पी. सिंह और राजीव राय भटनागर 1983 बैच के अधिकारी हैं और सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बैच के हैं। राकेश अस्थाना उनके खिलाफ उनकी ही एजेंसी द्वारा दाखिल एफआईआर को निरस्त करवाने की कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।

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