Friday, April 19, 2024
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पुण्यतिथि: महात्मा गांधी की हत्या की कहानी, कभी नाथूराम गोडसे के आदर्श हुआ करते थे बापू

नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या की थी। गोडसे ने वारदात को दिल्ली के बिड़ला भवन में अंजाम दिया था।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: January 30, 2019 0:01 IST
नाथूराम गोडसे ने 30...- India TV Hindi
Image Source : PTI नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या की थी।

नई दिल्ली: नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या की थी। जिस वक्त गोडसे ने बापू की हत्या को अंजाम दिया उस वक्त वो दिल्‍ली के बिड़ला भवन में शाम की प्रार्थना सभा से उठ रहे थे। गोडसे ने अपनी सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल से एक के बाद एक तीन गोलियां बापू के जिस्म पर दाग दीं। वारदात के तुरंत  बाद ही नाथूराम गोडसे को गिरफ्तार कर लिया गया था। बापू की हत्या के आरोप में गिरफ्तार गोडसे पर शिमला की अदालत में ट्रायल चला और 15 नवम्बर, 1949 को उसे फांसी की सजा सुना दी गई। 

कभी गोडसे के आदर्श हुआ करते थे गांधी

ये पढ़कर भले ही आपको आश्चर्य हो लेकिन ये सच है कि किसी जमाने में नाथूराम गोडसे के आदर्श भी महात्मा गांधी ही थे। महात्मा गांधी के सत्याग्रह आंदोलन के सिलसिले में नाथूराम गोडसे को पहली बार जेल जाना पड़ा था। लेकिन, देश के बंटवारे के बाद नाथूराम गोडसे का मन बापू और उनके विचारों के विपरीत दिशा में बहने लगा। गोडसे के मन में बापू के प्रति कटुता बढ़ती चली गई। इस दौरान वीर सावरकर को गोडसे अपना गुरु मान चुका था।

गोडसे ने बापू को क्यों मारा?

दरअसल, गोडसे के मन में गांधी के खिलाफ कटुता तो पहले ही पनप चुकी थी लेकिन आजादी के वक्त कई फैसलों और घटनाओं ने गोडसे को और मजबूत कर दिया। बताया जाता है कि गोडसे, महात्मा गांधी के उस फैसले के खिलाफ था जिसमें वह चाहते थे कि पाकिस्तान को भारत की तरफ से आर्थिक मदद दी जाए। इसके लिए बापू ने उपवास भी रखा था। उसे य् भी लगता था कि सरकार की मुस्लिमों के प्रति तुष्टीकरण की नीति गांधीजी के कारण है। गोडसे का मानना तो ये भी था कि भारत के विभाजन और उस समय हुई साम्प्रदायिक हिंसा में लाखों हिन्‍दुओं की हत्या के लिए महात्मा गांधी जिम्मेदार थे।

अदालत में नाथूराम गोडसे ने क्या बयान दिया?

नाथूराम गोडसे ने 8 नवम्‍बर 1948 को कोर्ट के सामने 90 पन्नों का बयान पढ़ा था, जिसमें गोडसे ने कहा था कि ‘मैंने वीर सावरकर और गांधी जी के लेखन और विचार का गहराई से अध्‍ययन किया है। जिसने मेरा विश्‍वास पक्‍का किया कि बतौर राष्‍ट्रभक्‍त और विश्‍व नागरिक मेरा पहला कर्तव्‍य हिन्‍दुत्‍व और हिन्‍दुओं की सेवा करना है। 32 सालों से इकट्ठा हो रही उकसावेबाजी, नतीजतन मुसलमानों के लिए उनके आखिरी अनशन ने आखिरकार मुझे इस नतीजे पर पहुंचने के लिए प्रेरित किया कि गांधी का अस्तित्‍व तुरंत खत्‍म करना ही चाहिए।’

बापू की हत्या के बाद उनके बेटे से मिला था गोडसे

बापू की हत्या करने के बाद और फांसी की सजा सुनाए जाने से पहले गोडसे उनके बेटे देवदास गांधी से मिला था। इस संदर्भ में ''मैंने गांधी वध क्यों किया'' में लिखा है कि, ''देवदास (गांधी के पुत्र) शायद इस उम्मीद में आए होंगे कि उन्हें कोई वीभत्स चेहरे वाला, गांधी के खून का प्यासा कातिल नजर आएगा। लेकिन, नाथूराम सहज और सौम्य थे। उनका आत्म विश्वास बना हुआ था। देवदास ने जैसा सोचा होगा, उससे एकदम उलट।''

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