Friday, March 29, 2024
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डोकलाम विवाद के चलते भारत में कम हुई चीनी राखियों की मांग

डोकलाम विवाद के चलते चीन के व्यापार पर काफी असर पड़ रहा है। इन दिनों बहनों का त्यौहार रक्षाबंधन में भी चीनी राखियों की मांग न के बराबर है। जिसके कारण मार्केट में चीनी राखियों की बिक्री 85 फीसदी तक कम हुई है।

India TV News Desk Edited by: India TV News Desk
Published on: August 06, 2017 12:37 IST
rakhi- India TV Hindi
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रायपुर: डोकलाम विवाद के चलते चीन के व्यापार पर काफी असर पड़ रहा है। इन दिनों बहनों का त्यौहार रक्षाबंधन में भी चीनी राखियों की मांग न के बराबर है। जिसके कारण मार्केट में चीनी राखियों की बिक्री 85 फीसदी तक कम हुई है। ज्यादातर बहनें अब चीनी राखियां खरीदने से परहेज कर रही हैं। देश की युवापीढ़ी दोबारा कच्चेधागों की ओर लौटती दिखाई दे रही है। (डोकलाम विवाद: भारत के खिलाफ चीन की नई चाल, बढ़ सकती हैं मुश्किलें)

छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अमर पारवानी ने कहा, "अब बाजार में चीनी राखियां तो नहीं हैं, पर भारत में बनी हुई राखियों पर चीन में बने सामान लगाए गए हैं। ये कोलकाता में बनी हुई बताई जा रही हैं।"

उनका कहना है कि चीनी सेना के डोकलाम में दादागीरी दिखाने का नुकसान उसे भारतीय बाजारों में उठाना पड़ रहा है। कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो एक बार फिर से देश की युवापीढ़ी कच्चे धागों की ओर लौटती दिखाई दे रही है।

दीपावली और होली के त्योहारों पर हुए चीनी सामानों के बहिष्कार से अभी चीनी बाजार उबर भी नहीं पाया था कि डोकलाम में उसकी सेनाओं की बेवकूफी की वजह से उसको भारी नुकसान उठाना पड़ा। यह बात भी सर्वविदित है कि चीन के क्वानझाऊ और फूजीयान में ऐसे सामानों का लगभग सात किलोमीटर लंबा बाजार है। जहां अब लगभग वीरानी छाई हुई है।

पहले जहां रोजाना कई सौ करोड़ रुपये के ऑर्डर मिला करते थे, वहीं अब दुकाने सामानों से ठसी तो पड़ी हैं, मगर खरीदार न के बराबर ही दिखाई दे रहे हैं। दुकानों के मालिक अब पैसों के अभाव में कर्मचारियों की छंटनी करने पर मजबूर हो गए हैं।

गोलबाजार के व्यवसायी धनराज जैन ने कहा, "राखी आज जो बाजार में दिख रही है भले ही वह भारत में बन रही है, लेकिन कच्चा माल चीन से ही आ रहा है। आंखों को चकाचौंध करने वाले स्टोन, धागे चीन से ही आते हैं। कोलकाता, अहमदाबाद, मुंबई, राजकोट में तैयार ये राखियां चीन के बिना कुछ नहीं। हालांकि रक्षाबंधन टैक्स फ्री है, लेकिन राखी के बाजार पर जीएसटी का कुछ असर देखने को मिल रहा है।"

गोलबाजार के व्यवसायी अजीज मामदानी ने कहा, "संसद में ऐसा प्रस्ताव आना चाहिए, जिससे हम चीन पर निर्भर न रहें। मेक इन इंडिया को जीवंत करें। हम कच्चे माल के लिए पूरी तरह से चीन के भरोसे हैं। राखियां भी यहां जरूर बनती हैं, पर यहां टेक्नोलॉजी की कमी है।"

वहीं, अमर पारवानी ने कहा, "ऐसा नहीं है कि लोग जागरूक नहीं हैं, जागरूकता आ रही है। केंद्र और राज्य सरकार मिलकर लघु उद्योगों को बढ़ावा दें। साथ ही व्यवसाय करने के लिए फंड दें। शहर के बाहर बड़े उद्योगपतियों को ही जमीन देने के बजाय, छोटे व्यवसायियों को 5-6 किलोमीटर की दूरी पर गाला बनाकर दें।"

उन्होंने कहा, "छत्तीसगढ़ में रक्षाबंधन के बाजार में 40 फीसदी चीन के गिफ्ट आइटम हावी हैं। छत्तीसगढ़ में एक लाख व्यापारी वैट से और 90 हजार व्यापारी जीएसटी से रजिस्टर्ड हैं। मेक इन इंडिया प्रधानमंत्री की सोच है, लेकिन उस पर अमल आम लोगों को भी करना जरूरी है।"

राजधानी रायपुर के युवा भी चीनी सामान के पक्ष में नहीं हैं। उनका कहना है कि जब भारत में ही उस गुणवत्ता और मांग के अनुसार में सामान बनने शुरू हो जाएंगे, तो लोग अपने आप ही आकर्षित होंगे। चीन के सामान आकर्षक और सस्ते होते हैं इसलिए लोगों की पहली पसंद हो गए हैं।

लाखे नगर की जिनी शर्मा का कहना है, "बाजार में आकर्षक स्टोन और सामान मिल जाते हैं, जो संभवत: चीनी उत्पाद ही होते हैं। आकर्षक दिखने वाले प्रोडक्टस पहली पसंद बन जाते हैं। जिनी ने इस बार कुछ अलग करने की सोची है। अपने भाइयों के कलाई में होममेड राखी ही बांधेगी।"

लाखे नगर की गृहिणी ममता खत्री जो राखी खरीदने पहुंचीं। उनका कहना है, "हर बार कुछ नया और आकर्षक दिखने वाली राखी चाहिए होती है। इन चमक-धमक के बीच जैसे डोरे वाली राखियां दब सी जाती हैं। वे डोरों वाली राखियां लेना पसंद करती हैं।"

वहीं, सुंदर नगर निवासी गुलाब चंद देवांगन का कहना है, "चीन के प्रोडक्ट्स धीरे-धीरे बंद हो सकते हैं। हमें दिखावे से बचना चाहिए। लोगों को चीन के सामानों का बहिष्कार करना होगा।"

आमापारा में रहने वाले अजीत मढरिया का कहना है, "लोग चीन के फैंसी प्रोडक्टस को ज्यादा पसंद करते हैं। कम लोग ही होते हैं जो साधारण दिखने वाली चीजों को लेते हैं। जब तक सरकार ही इस ओर गंभीर नहीं होगी तो पब्लिक कहां से होगी।"

राजधानी के डॉ. आर.एस. बघेल का कहना है, "हमें चीनी सामानों से दूर रहने की जरूरत है। उनके निर्माण में उपयोगी कैमिकल्स के कारण त्वचा से संबंधित गंभीर समस्या हो सकती है। शरीर में इंफेक्शन व आंखों में जलन की समस्या हो सकती है। लोगों को इस ओर सतर्क रहने की जरूरत है।"

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