Friday, April 19, 2024
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अब ‘शिमला’ होगा ‘श्यामला’, नाम बदलने की तैयारी में हिमाचल सरकार!

उल्लेखनीय है कि सोशल मीडिया पर पिछले कई दिनों से शिमला का नाम बदलने को लेकर अलग अलग पक्ष सामने आ रहे हैं। कुछ लोग इसके पक्ष में हैं तो कुछ विरोध भी कर रहे हैं।

India TV News Desk Edited by: India TV News Desk
Published on: October 21, 2018 12:09 IST
shimla- India TV Hindi
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नई दिल्ली: देश में शहरों के नाम बदलने की कवायद के तहत अब नया निशाना ‘शिमला’ है। राज्य में शिमला का नाम बदलकर ‘श्यामला’ करने को लेकर बाकायदा अभियान शुरू हो गया है। भाजपा नेता एवं राज्य के स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार ने कहा कि देश के विभिन्न क्षेत्रों के पौराणिक आधार पर नाम थे, उन नामों को फिर रखने में कोई बुराई नहीं है।

शिमला का नाम श्यामला करने को लेकर जारी बहस के बारे में उन्होंने कहा कि इसके बारे में अगर लोगों की राय बनती है, तब इस पर विचार करने में कोई बुराई नहीं है।

उल्लेखनीय है कि सोशल मीडिया पर पिछले कई दिनों से शिमला का नाम बदलने को लेकर अलग अलग पक्ष सामने आ रहे हैं। कुछ लोग इसके पक्ष में हैं तो कुछ विरोध भी कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरभजन सिंह भज्जी ने शिमला का नाम बदलने की कवायद पर सवाल उठाते हुए पूछा, ‘‘इसका औचित्य क्या है?’’ उन्होंने कहा कि शिमला का नाम बिल्कुल नहीं बदला जाना चाहिए। यह ऐतिहासिक शहर है और ऐसे नाम बदलने से तो ऐतिहासिक चीजें खत्म हो जाएंगी।

भज्जी ने कहा कि शिमला नाम में क्या बुराई है? नाम बदलने से क्या विकास हो जाएगा? नाम बदलने की कवायद छोड़कर सरकार विकास पर ध्यान दे। विश्व हिन्दू परिषद के पदाधिकारी अमन पुरी के अनुसार, श्यामला को शिमला किया गया, क्योंकि अंग्रेज श्यामला नहीं बोल पाते थे। उन्होंने इसका नाम ‘सिमला’ कर दिया, जो बाद में शिमला हो गया। अंग्रेजों ने 1864 में इस शहर को बसाया था।

अंग्रेजों के शासनकाल में शिमला ब्रिटिश साम्राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी। सन् 1947 में आजादी मिलने तक शिमला का यही दर्जा रहा। शिमला को बसाए जाने में सी. प्रैट कैनेडी की अहम भूमिका रही। कैनेडी को अंग्रेजों ने पहाड़ी रियासतों का पॉलिटिकल ऑफिसर नियुक्त किया था। सन 1822 में उन्होंने यहां पहला घर बनाया जिसे 'कैनेडी हाउस' के नाम से जाना गया।

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