Friday, March 29, 2024
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चंद्रयान-2 में समय पर तकनीकी गड़बड़ी का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने ISRO की तारीफ की

चंद्रयान के प्रक्षेपण में सतर्कता बरतने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की तारीफ करते हुए विभिन्न अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने कहा है कि भारत के दूसरे चंद्रमा मिशन चंद्रयान -2 के प्रक्षेपण को समय रहते रद्द करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी की प्रसंशा करनी चाहिए।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: July 15, 2019 20:26 IST
Scientists hail ISRO for detecting Chandrayaan-2 glitch in time- India TV Hindi
Scientists hail ISRO for detecting Chandrayaan-2 glitch in time

नयी दिल्ली: चंद्रयान के प्रक्षेपण में सतर्कता बरतने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की तारीफ करते हुए विभिन्न अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने कहा है कि भारत के दूसरे चंद्रमा मिशन चंद्रयान -2 के प्रक्षेपण को समय रहते रद्द करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी की प्रसंशा करनी चाहिए। इसरो ने चंद्रमा मिशन के प्रक्षेपण को नियत समय से लगभग एक घंटा पहले कुछ तकनीकी गड़बड़ी के कारण रद्द कर दिया। इस मिशन चंद्रयान-2 को सोमवार को तड़के प्रक्षेपित किया जाना था। 

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इसरो के जनसंपर्क विभाग के एसोसिएट निदेशक बी आर गुरूप्रसाद ने श्रीहरिकोटा में कहा, ‘‘प्रक्षेपण यान प्रणाली में टी- माइनस 56 मिनट पर तकनीकी खामी दिखी। एहतियात के तौर पर चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण आज टाल दिया गया है।’’ उन्होंने हालांकि यह नहीं बताया कि इसमें गड़बड़ी क्या हुई थी। कोलकाता स्थित भारतीय वैज्ञानिक शिक्षा एवं अनुसंधन संस्थान के सेंटर फार एक्सीलेंस इन स्पेस साइंस के प्रमुख राजेश कुम्बले नायक ने बताया, ‘‘प्रक्षेपण प्रणाली के बारे में इसरो की सफलता दर असाधारण है। अंतिम मिनट तक एक रॉकेट में जटिल प्रणालियों की जांच करना और उनका निदान करना अपने आप में एक कला है, जिसमें उन्हें महारत हासिल है।’’ 

नायक ने प्रेट्र को बताया, ‘‘मुझे खुशी है कि इसरो के लोगों ने जल्दबाजी कर एक बड़ी आपदा मोल लेने की बजाए इसके प्रक्षेपण को रद्द करने का फैसला किया । मुझे उम्मीद है कि इस मिशन का प्रक्षेपण कुछ ही हफ्ते में होगा जो असफल होने से बेहतर होगा।’’ वैज्ञानिकों ने उम्मीद जतायी है कि किसी भी तकनीकी समस्या को इसरो दूर करेगा और इसे सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया जाएगा।

मुंबई स्थित टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान (टीआईएफआर) के एसोसिएट प्रोफेसर सुदीप भट्टाचार्य ने कहा कि इस तरह के अंतरिक्ष मिशन के शुभारंभ से पहले, हम अपनी तकनीकी क्षमताओं और वैज्ञानिक संभावनाओं को लेकर जश्न मनाते हैं। इसके साथ ही हमें यह याद रखना चाहिए कि एक अंतरिक्ष मिशन के लिए वाहन और उपग्रहों के हर घटक का बहुत कठोर परीक्षण और निगरानी बार-बार की जाती है। 

उन्होंने प्रेट्र से कहा, ‘‘किसी को आत्मसंतुष्ट नहीं होना चाहिए, और अंतिम क्षण तक सतर्क रहना चाहिए। आज का अस्थायी रोक इस आवश्यक सतर्कता का परिणाम है, जिसने संभवतः दिन बचा लिया है, और इसलिए इसका श्रेय पूरी टीम को जाता है। मुझे उम्मीद है कि किसी भी तकनीकी समस्या को सुलझा लिया जाएगा, और सफलतापूर्वक इसे प्रक्षेपित किया जएगा।’’

चंद्रयान -2 के प्रक्षेपण के लिए अगली तारीख की घोषणा जल्दी ही की जाएगी और भारत को उम्मीद है कि 980 करोड़ रुपये का यह मिशन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला यान होगा। यह चंद्र सतह पर ध्यान केंद्रित करेगा और वहां अन्य चीजों के अलावा पानी तथा खनिजों की खोज करेगा। यह चंद्रमा पर आने वाले भूकंप को भी मापेगा। अगर यह सफल रहता है तो अमरिका, चीन और रूस के बाद भारत चंद्रमा की सतह पर यान भेजने वाला चौथा देश बन जाएगा।

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