Saturday, April 20, 2024
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सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर देवस्वओम बोर्ड का यू टर्न, कहा- महिलाओं के प्रवेश का करता है समर्थन

केरल के सबरीमला मंदिर का संचालन करने वाले त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय में अपना रुख बदलते हुये कहा कि वह मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने संबंधी फैसले का समर्थन करता है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: February 06, 2019 15:45 IST
Sabarimala row- India TV Hindi
Sabarimala row

नयी दिल्ली: केरल के सबरीमला मंदिर का संचालन करने वाले त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय में अपना रुख बदलते हुये कहा कि वह मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने संबंधी फैसले का समर्थन करता है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष बोर्ड की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि यह उचित समय है कि किसी वर्ग विशेष के साथ उसकी शारीरिक अवस्था की वजह से पक्षपात नहीं किया जाये। 

द्विवेदी ने कहा कि अनुच्छेद 25 (1) सभी व्यक्तियों को धर्म का पालन करने का समान अधिकार देता है। त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड में राज्य सरकार के प्रतिनिधि भी शामिल होते हैं। बोर्ड ने इससे पहले इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन की जनहित याचिका का जबर्दस्त विरोध करते हुये कहा था कि सबरीमला मंदिर में भगवान अयप्पा का विशेष धार्मिक स्वरूप है और संविधान के तहत इसे संरक्षण प्राप्त है। 

द्विवेदी ने कहा कि शारीरिक अवस्था की वजह से किसी भी महिला को अलग नहीं किया जा सका। समानता हमारे संविधान का प्रमुख आधार है। उन्होंने कहा कि जनता को सम्मान के साथ शीर्ष अदालत का निर्णय स्वीकार करना चाहिए। शीर्ष अदालत 28 सितंबर, 2018 के संविधान पीठ के निर्णय पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। संविधान पीठ ने 4:1 से बहुमत के अपने में कहा था कि आयु वर्ग के आधार पर महिलाओं का प्रवेश वर्जित करना उनके साथ लैंगिक आधार पर भेदभाव करना है।

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