Tuesday, April 23, 2024
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GST में पहले सै तैयार मकानों के मामले में राहत नहीं, खरीदारों को चुकानी होगी ज्यादा कीमत

माल एवं सेवा कर (GST) के तहत ग्राहकों को रहने के लिहाज से तैयार फ्लैट के लिये अधिक कीमत चुकानी होगी क्योंकि जिन कंपनियों के पास बड़ी संख्या में पहले से तैयार बिना बिके मकान हैं उनके डेवलपर बढ़ी लागत का बोझ उसके खरीदारों पर डालने की योजना बना रहे हैं।

Bhasha Bhasha
Updated on: July 02, 2017 15:49 IST
flats- India TV Hindi
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मुंबई: माल एवं सेवा कर (GST) के तहत ग्राहकों को रहने के लिहाज से तैयार फ्लैट के लिये अधिक कीमत चुकानी होगी क्योंकि जिन कंपनियों के पास बड़ी संख्या में पहले से तैयार बिना बिके मकान हैं उनके डेवलपर बढ़ी लागत का बोझ उसके खरीदारों पर डालने की योजना बना रहे हैं। हालांकि, नये फ्लैट की लागत में कमी आयेगी। इससे उन डेवलपरों को राहत मिलेगी जिनकी नई परियोजनाएं आने वाली हैं या परियोजनाएं शुरूआती चरण में हैं।

जीएसटी के तहत निर्माणधीन परियोजनाओं पर प्रभावी कर की दर 12 प्रतिशत तक होगी। यह 6.5 प्रतिशत वृद्धि होगी। रीयल्टी क्षेत्र पर वास्तिवक जीएसटी दर 18 प्रतिशत है लेकिन डेवलपर द्वारा ली जाने वाली कुल लागत पर जिसपर कर लगाया जायेगा, जमीन की लागत का एक बड़ा हिस्सा उससे अलग रखा जायेगा।

जमीन जायदाद के विकास से जुड़ी कंपनियों का कहना है कि जीएसटी में कच्चे माल पर भुगतान किये गये कर का पूरा लाभ (इनपुट टैक्स क्रेडिट) लेने का विकल्प है लेकिन यह तैयार फ्लैट पर लागू नहीं होगा। इसके परिणामस्वरूप कंपनियों को उच्च कर का बोझ उठाना पड़ेगा या इसका बोझ ग्राहकों पर डालना होगा अथवा नये कर की दर के हिसाब से कीमतें बढ़ानी होंगी।

हाउस आफ हीरानंदानी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सुरेन्द्र हीरानंदानी ने कहा, डेवलपरों को उन परियाजनाओं के संदर्भ में थोड़ा लाभ हो सकता है जो शुरूआती चरण में है। तैयार मकानों के मामले में उन्हें कर का बोझ उठाना पड़ेगा क्योंकि उन्हें जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है।

गेरा डेवलपमेंट्स के प्रबंध निदेशक रोहित गेरा ने कहा कि जीएसटी व्यवस्था में निर्माणधीन परियोजनाओं पर कर 12 प्रतिशत होगा। यह खरीदारों के लिये 6.5 प्रतिशत अधिक है। उन्होंने कहा कि कंपनियों के लिये इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त करने का विकल्प है लेकिन यह तैयार मकानों पर लागू नहीं होगा। गेरा ने कहा कि इसके कारण डेवलपरों को या तो कर का बोझा उठाना पड़ेगा या फिर उसके ग्राहकों पर टालना पड़ेगा अथवा कर के हिसाब से तैयार मकानों के दाम बढ़ाने पड़ेंगे।

बेंगलुरू स्थित कंपनी साइट्रस वेंचर्स के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विनोद एस मेनन का कहना है कि हर कोई जीएसटी की सकारात्मक बातें कह रहा है लेकिन विस्तार में जाने पर इसमें जो समस्या दिखती है, ऐसा लगता है, उसको लेकर किसी के पास भी चीजें स्पष्ट नहीं है। मेनन ने कहा कि हालांकि, एक तिहाई कटौती के कारण प्रभावी दर 12 प्रतिशत है। मौजूदा प्रभावी वैट तथा सेवा कर के हिसाब से यह 9 प्रतिशत बैठता था। इस हिसाब से अब भी इसमें 3 प्रतिशत की वृद्धि है।

उन्होंने कहा कि चूंकि क्रेडिट का पूर्व की तिथि से दावे करने का कोई प्रावधान नहीं है, यह ग्राहकों तथा डेवलपर के बीच विवाद का विषय होगा कि कौन इसका वहन करेगा। हालांकि, नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन शिशिर बैजल ने कहा कि नोटबंदी की तरह जीएसटी से कुछ समस्याएं होंगी लेकिन दीर्घकाल में यह उद्योग के लिये लाभदायक है। उन्होंने कहा, जीएसटी का मकसद पूरी कर प्रणाली में दक्षता लाना है। इसके क्रियान्वयन में कुछ दिक्कतें हैं लेकिन अंतत: इससे देश में अत्यंत प्रभावी कर प्रणाली का रास्ता साफ होगा।

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