Saturday, April 20, 2024
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रजनीकांत की पत्नी पर चलेगा केस, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का आदेश निरस्त किया

सुप्रीम कोर्ट ने ने एक विज्ञापन एजेंसी को बकाये का कथित रूप से भुगतान नहीं करने के मामले में सुपरस्टार रजनीकांत की पत्नी लता रजनीकांत के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही का रास्ता साफ करते हुये आज कर्नाटक हाईकोर्ट का आदेश निरस्त कर दिया। 

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: July 10, 2018 19:38 IST
Rajnikant with wifeRajinikanth's wife to face trial over alleged non-payment of dues, SC sets aside - India TV Hindi
Image Source : PTI/FILE Rajinikanth's wife to face trial over alleged non-payment of dues, SC sets aside HC's order

नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने ने एक विज्ञापन एजेंसी को बकाये का कथित रूप से भुगतान नहीं करने के मामले में सुपरस्टार रजनीकांत की पत्नी लता रजनीकांत के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही का रास्ता साफ करते हुये आज कर्नाटक हाईकोर्ट का आदेश निरस्त कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह ऐसा मामला है जिसमें विज्ञापन एजेंसी की शिकायत के बाद सुनवाई होनी चाहिये थी। अदालत ने कहा कि लता उचित मंच पर आरोपमुक्त होने के लिये याचिका दायर कर सकती हैं। 

इस विज्ञापन एजेन्सी ने अपनी निजी शिकायत में आरोप लगाया था कि वे 2014 में ‘कोचादायीयान’ के निर्माण के बाद के कारोबार में शामिल हुये थे। इस फिल्म का निर्माण मेसर्स मीडियावन ग्लोबल इंटरटेनमेन्ट लि ने किया था और लता की व्यक्तिगत गारंटी पर उसने इसके लिये दस करोड़ रूपए दिये थे। वह इस निर्माण कंपनी की एक निदेशक थीं।

जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस नवीन सिन्हा की खंडपीठ ने कहा कि लता के खिलाफ कार्यवाही रद्द करने की हाईकोर्ट की कार्यवाही न्यायोचित नहीं थी। विज्ञापन एजेन्सी एडी-ब्यूरो एडवर्टाइजिंग प्रा. लि. की शिकायत पर निचली अदालत ने लता के खिलाफ कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया था। पीठ ने कहा, ‘‘यह ऐसा मामला है जिसकी सुनवाई होनी चाहिए थी। आप (लता) उचित अवसर पर इससे आरोप मुक्त करने के लिये आवेदन कर सकती हैं।’’ 

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के 10 मार्च, 2016 के आदेश के खिलाफ विज्ञापन एजेन्सी की अपील पर यह आदेश दिया। विज्ञापन एजेन्सी का दावा था कि मीडियावन ग्लोबल एंटरटेनमेन्ट को उसे दस करोड़ रूपए और 1.2 करोड़ रूपए ‘ गारंटी लाभ ’ की राशि वापस करनी थी परंतु यह धन नहीं लौटाया गया है। इस मामले में आज सुनवाई के दौरान लता के वकील ने कहा कि एजेन्सी 20 करोड़ रूपए देने पर राजी हुयी थी परंतु उसने बाद में सिर्फ दस करोड़ रूपए का भी भुगतान किया था। 

इस पर पीठ ने कहा,‘‘क्योंकि उन्होंने आपको 20 करोड़ रूपए नहीं दिये, इसलिए आप वह रकम भी रोक लेंगी जो उसने आपको दी थी।’’ इससे पहले , सुनवाई शुरू होते ही विज्ञापन एजेन्सी के वकील ने कहा कि लता रजनीकांत ने शीर्ष अदालत को दिये गये आश्वासन देने के बाद भी उसे धन का भुगतान नहीं किया। 

इस पर पीठ ने कहा, ‘‘हमने इस अध्याय को बंद कर दिया है। हम अब गुण दोष पर फैसला करेंगे। आप बतायें कि क्या शिकायत थी और किस आधार पर हाईकोर्ट ने इसे रद्द किया था।’’ विज्ञापन एजेन्सी के वकील ने हाईकोर्ट का आदेश पढ़कर सुनाया और कहा कि कार्यवाही इस आधार पर निरस्त कर दी गयी कि यह दीवानी सरीखा विवाद था। पीठ ने हाईकोर्ट का आदेश निरस्त करते हुये लता के वकील से कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत मामले की अलग अलग चरण होते हैं और उन्हें उचित राहत के लिये अदालत जाने का अधिकार है। (भाषा)

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