Friday, April 26, 2024
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Rajat Sharma's Blog: बीमार हेल्थ केयर सिस्टम को ठीक करने के लिए स्थाई समाधान खोजें योगी

सबसे दुखद बात यह है कि हमारे पास भले ही अस्पताल, डॉक्टर, दवाइयां और उपकरण हैं, लेकिन संवेदनशीलता नाम की बुनियादी चीज ही गायब है। जब संवेदनशीलता मर जाती है, तो एक जीवित इंसान और मृत शरीर के बीच कोई अंतर नहीं रह जाता। 

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: June 21, 2019 16:31 IST
Rajat Sharma's Blog: Yogi must find permanent solution to fix the ailing health care system- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Rajat Sharma's Blog: Yogi must find permanent solution to fix the ailing health care system

इंडिया टीवी ने गुरुवार की रात को अपने 'आज की बात' कार्यक्रम में दिखाया था कि कैसे 4 दिन की बच्ची, जिसका जन्म समय से पहले हो गया था, बरेली के एक सरकारी अस्पताल की सीढ़ियों पर दम तोड़ देती है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उस मासूम को इसी अस्पताल के 2 विभाग एक-दूसरे के यहां भेजते रहे, और दोनों में से ही किसी भी विभाग के डॉक्टर बच्ची को अपने यहां ऐडमिट करने के लिए तैयार नहीं थे। बच्ची का परिवार तीन घंटे से ज्यादा समय तक इस अस्पताल के पुरुष एवं महिला विंगों के चक्कर काटता रहा, और इसी बीच बच्ची की सांसों ने उसका साथ छोड़ दिया। बच्ची के बीमार पड़ने और सांस लेने में तकलीफ होने पर उसके किसान पिता योगेंद्र पाल उसे त्वरित इलाज के लिए अस्पताल लेकर आए थे।

बच्ची के पिता उसे लेकर पहले पुरुष विंग की ओपीडी में गए। बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एस. एस. चौहान ने बच्ची की जांच की और उसे लगभग 500 मीटर की दूरी पर स्थित महिला विंग को रेफर किया, जहां सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट (SNCU) मौजूद है। SNCU के डॉक्टर ने बच्ची को भर्ती करने से इनकार कर दिया और अस्पताल की पर्ची पर लिखा ‘बिस्तर उपलब्ध नहीं है, कृपया अपने यहां ऐडमिट करें’। इसके बाद जब मासूम के पिता पुरुष विंग की ओपीडी में वापस आए तो डॉक्टर चौहान ने उन्हें फिर से महिला विंग में जाने का निर्देश दिया। 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर के. एस. गुप्ता को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने और महिला विंग की CMS डॉक्टर अलका शर्मा को ड्यूटी में लापरवाही बरतने के लिए उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही का आदेश दिया है। निलंबित CMS डॉक्टर गुप्ता ने कहा कि डॉक्टर चौहान को ‘नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (NICU)’ में बच्ची को भर्ती कर लेना चाहिए था, जहां 4 में से 2 इन्फैंट रेडिएंट वॉर्मर कॉट्स उपलब्ध थे। वही, डॉक्टर अलका शर्मा ने कहा कि NICU में कुल 6 बच्चे थे, और वहां 4 इन्फैंट रेडियंट वॉर्मर कॉट्स पहले से ही इस्तेमाल में थे। इंडिया टीवी ने एक वीडियो दिखाया था जिसमें डॉक्टर आपस में झगड़ रहे थे और बच्ची के परिजन उसकी लाश को लेकर खड़े थे।

यहां मूल मुद्दा एक बीमार बच्ची की मौत का नहीं है, बल्कि यह घटना हमारे ‘बीमार’ हेल्थ केयर सिस्टम की मौत को दिखाती है। सबसे दुखद बात यह है कि हमारे पास भले ही अस्पताल, डॉक्टर, दवाइयां और उपकरण हैं, लेकिन संवेदनशीलता नाम की बुनियादी चीज ही गायब है। जब संवेदनशीलता मर जाती है, तो एक जीवित इंसान और मृत शरीर के बीच कोई अंतर नहीं रह जाता। बरेली में अस्पताल के बाहर बच्ची की लाश नहीं आई थी, बल्कि वह हमारे बीमार हेल्थ केयर सिस्टम का बेजान शरीर था जो इस घिनौने रूप में सामने आया था। 

मैं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा CMS को निलंबित करने और दूसरे डॉक्टर के खिलाफ विभागीय कार्यवाही का आदेश देने की तत्काल कार्रवाई की सराहना करता हूं, लेकिन यह कोई स्थाई समाधान नहीं है। हमारे हेल्थ केयर सिस्टम में मौजूद खराबी को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री को अब गंभीर कदम उठाने होंगे। अन्यथा हम इस तरह की घिनौनी घटनाओं को देखते रहेंगे, और हमारे बच्चे मरते रहेंगे, चाहे बरेली में हों या मुजफ्फरपुर (बिहार) में। (रजत शर्मा)

देखें, 'आज की बात, रजत शर्मा के साथ', 20 जून 2019 का पूरा एपिसोड

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