Friday, April 26, 2024
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Rajat Sharma Blog: जम्मू-कश्मीर में परिसीमन क्यों करना चाहती है केंद्र सरकार?

परिसीमन प्रक्रिया के अंतर्गत एक रिपोर्ट तैयार करनी होगी, उसके बाद एक आयोग की स्थापना करनी होगी, फिर उस आयोग द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी और फिर संसद को उस रिपोर्ट को अनुमोदित करना होगा।

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: June 05, 2019 16:01 IST
Rajat Sharma Blog: Why Centre wants to carry out delimitation work in J&K?- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Rajat Sharma Blog: Why Centre wants to carry out delimitation work in J&K?

देश के नए गृह मंत्री अमित शाह को गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर मंगलवार को एक विस्तृत ब्यौरा दिया। भारतीय जनता पार्टी के पास जम्मू और कश्मीर को लेकर कई योजनाएं हैं और राज्य के तीनों डिवीजनों (जम्मू, कश्मीर एवं लद्दाख) के लिए विधानसभा सीटों की संख्या निर्धारित करने के लिए परिसीमन आयोग को गठित करने की दिशा में कदम उठाना उन योजनाओं में से एक है। 

भाजपा ने 2019 के अपने लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में वादा किया था कि वह जम्मू-कश्मीर को विशेषाधिकार देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और कश्मीर घाटी के लोगों को विशेष अधिकार देने वाले अनुच्छेद 35ए को रद्द करने के लिए काम करेगी। बीजेपी परिसीमन प्रक्रिया के माध्यम से जम्मू क्षेत्र के लिए अधिक सीटें चाहती है। पार्टी जम्मू क्षेत्र के साथ हुए ‘भेदभाव को खत्म’ करना चाहती है और सभी आरक्षित श्रेणियों को प्रतिनिधित्व प्रदान करना चाहती है।

2002 में तत्कालीन फारूक अब्दुल्ला सरकार ने राज्य संविधान में संशोधन करते हुए 2026 तक परिसीमन आयोग पर रोक लगाई थी। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के पास संशोधन को निरस्त करने की शक्तियां हैं, लेकिन इसके लिए इस तरह का अध्यादेश जारी करने के बाद 6 महीने के भीतर संसद की सहमति की जरूरत होगी। जम्मू और कश्मीर में 87 विधानसभा सीटों में से 7 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं, और ये सभी जम्मू घाटी में हैं क्योंकि कश्मीर घाटी में इस समुदाय का कोई व्यक्ति नहीं हैं। 1996 से इन आरक्षित सीटों को दूसरी सीटों से बदला नहीं गया है। सूबे की विधानसभा में कश्मीर से 46, जम्मू क्षेत्र से 37 और लद्दाख से 4 विधायक चुनकर आते हैं।

परिसीमन के कदम पर कश्मीर घाटी के नेताओं ने अपेक्षा के मुताबिक कड़ी प्रतिक्रियाएं दी हैं। JKPDP प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने परिसीमन पर रोक हटाने के कदम का विरोध किया है। इस कदम की आलोचना करने वालों को ध्यान देना चाहिए कि परिसीमन का काम 2 महीने के भीतर करना संभव नहीं है। देश के चुनाव आयोग ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा है कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों की तारीखों पर फैसला अगस्त में अमरनाथ यात्रा के खत्म होने के बाद किया जाएगा। इस हिसाब से यदि अक्टूबर में विधानसभा चुनाव शुरू होते हैं, तो परिसीमन का काम तब तक पूरा नहीं हो पाएगा।

परिसीमन प्रक्रिया के अंतर्गत एक रिपोर्ट तैयार करनी होगी, उसके बाद एक आयोग की स्थापना करनी होगी, फिर उस आयोग द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी और फिर संसद को उस रिपोर्ट को अनुमोदित करना होगा। इसके बाद राज्यपाल को फारूक अब्दुल्ला सरकार द्वारा 2026 तक परिसीमन पर रोक लगाने के लिए किए गए संशोधन को निरस्त करना होगा, और यह सब करने में वक्त लगेगा। इसलिए यह तय है कि जम्मू-कश्मीर में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव सीटों की वर्तमान स्थिति के हिसाब से ही होंगे। 

हालांकि इस बात की पूरी उम्मीद है कि केंद्र सरकार परिसीमन कार्य को गति देने की कोशिश करेगी, लेकिन यह आरोप लगाना गलत है कि ऐसा जम्मू-कश्मीर में एक हिंदू मुख्यमंत्री को लाने के लिए किया जा रहा है। राजनीतिक दलों के नेताओं को ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर इस तरह के हल्के बयान देने से बचना चाहिए। (रजत शर्मा)

देखें, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 4 जून 2019 का पूरा एपिसोड

 

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