Thursday, April 25, 2024
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Rajat Sharma Blog: राहुल गांधी पर अभी भी लटक रही है अवमानना की तलवार

यह न तो नासमझी में दिया गया बयान है और न ही गलती से कही गई बात है। यह जानबूझकर इलेक्शन के दौरान सियासी फायदे के लिए सुप्रीम कोर्ट के नाम के गलत इस्तेमाल का मामला है।

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: May 01, 2019 17:15 IST
Rajat Sharma Blog- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Rajat Sharma Blog

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अस्पष्ट शब्दों वाले हलफनामे के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की खिंचाई की। इस हलफनामे में राहुल ने यह कहने के लिए खेद जताया था कि शीर्ष अदालत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राफेल सौदे में दोषी पाया है। सुप्रीम कोर्ट ने राहुल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा, ‘ब्रैकेट में खेद का क्या मतलब है? क्या खेद जताने के लिए 22 पेज का हलफनामा देने की जरूरत पड़ती है? आप एक बयान देते हैं और उसे उचित ठहराने की कोशिश करते हैं? आपने सार्वजनिक भाषणों में जो कहा, हमने वह कहां कहा था?’

शीर्ष अदालत ने राहुल गांधी को माफी हलफनामा दाखिल करने के लिए 6 मई तक का समय दिया है। कोर्ट ने कहा, ‘हमारा यह मानना है कि यदि प्रतिवादी चाहे तो उसके लिए एक अतिरिक्त हलफनामा दायर करने का विकल्प खुला है, इसके साथ ही हम यह भी स्पष्ट करते हैं कि यदि हलफनामा दाखिल किया जाता है तो उसकी स्वीकार्यता और स्वीकृति अगली तारीख को तय की जाएगी जोकि 10 मई है।’ 

राहुल गांधी और उनके वकीलों को भी लगता है कि 'खेद' का हलफनामा दाखिल करना और वह भी ब्रैकेट में इस शब्द का उल्लेख करना, एक बड़ी गलती थी। सुप्रीम कोर्ट कोई छोटी-मोटी संस्था नहीं है, देश का सर्वोच्च न्यायालय है और इसके आदेश या अवलोकन के बारे में कोई भी गलत टिप्पणी अवमानना की कार्यवाही को दावत दे सकती है। जब राहुल गांधी ने अमेठी और बिहार में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ‘चौकीदार’ (मोदी) को ‘चोर’ (दोषी) कहा है और ‘उसे राफेल सौदे में अनिल अंबानी को 30,000 करोड़ रुपये देने का दोषी पाया है’, तो वह खतरे से खेल रहे थे।

यह न तो नासमझी में दिया गया बयान है और न ही गलती से कही गई बात है। यह जानबूझकर इलेक्शन के दौरान सियासी फायदे के लिए सुप्रीम कोर्ट के नाम के गलत इस्तेमाल का मामला है। बेहतर तो यह होता कि राहुल पहले ही सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांग लेते, लेकिन उनके वकीलों ने एक लंबे हलफनामे का मसौदा तैयार किया, जिसमें 'खेद' व्यक्त किया गया, और वह भी ब्रैकेट में! साफ है कि राहुल गांधी ने इस मामले को खुद ही उलझा दिया है और अब उनके पास बेहद कम विकल्प बचे हैं। अदालत की अवमानना की तलवार अभी भी उनके सिर पर लटकी हुई है। (रजत शर्मा)

देखें, आज की बात, रजत शर्मा के साथ, 30 अप्रैल 2019

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