Thursday, March 28, 2024
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Rajat Sharma Blog: पेट्रोल, डीजल, एलपीजी, सीएनजी को जीएसटी के दायरे में लाना चाहिए

भारत ईंधन की जरूरतों के लिए तेल उत्पादन करने वाले देशों के भरोसे रहता है। अमेरिका ने ईरान पर पाबंदियां लगा रखी हैं जिसकी वजह से वहां तेल उत्पादन में तेजी से गिरावट आई है।

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: September 05, 2018 17:20 IST
Rajat Sharma Blog: Petrol, diesel, LPG, CNG should be brought under GST- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Rajat Sharma Blog: Petrol, diesel, LPG, CNG should be brought under GST

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी की वजह से मंगलवार को लगातार 10वें दिन पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान छूती रहीं। ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी से आम आदमी बुरी तरह प्रभावित हुआ और चुनावी साल में ऐसी स्थिति सत्ताधारी दल के लिए चिंता की वजह बन सकती है। 

 
भारत ईंधन की जरूरतों के लिए तेल उत्पादन करने वाले देशों के भरोसे रहता है। अमेरिका ने ईरान पर पाबंदियां लगा रखी हैं जिसकी वजह से वहां तेल उत्पादन में तेजी से गिरावट आई है। 

ईरान से भारत और चीन करीब 18 लाख बैरल तेल हर रोज लेते हैं। उत्पादन कम होने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत करीब 85 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई है। कहा ये भी जा रहा है कि जब इस साल नवंबर तक ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध पूरी तरह लागू हो जाएंगे तब वहां तेल उत्पादन 10 लाख बैरल प्रतिदिन तक गिर जाएगा। इससे आने वाले वक्त में कच्चे तेल की कीमतें और बढ़ेंगी।

यह भी सच है कि हाल वर्षों में पेट्रोल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क 105 फीसदी बढ़ गया जो कि 19.48 रुपये प्रति लीटर है और डीजल की बात करें तो यह वृद्धि करीब 331 फीसदी है। इसके अलावा कई राज्य सरकारें भी ज्यादा से ज्यादा राजस्व अर्जित करने के लिए टैक्स लगाती हैं। 

पिछले साल आम आदमी को राहत देने के लिए केंद्र ने ईंधन पर लगाए जानेवाले टैक्स में मामूली कमी की और पांच राज्यों ने भी केंद्र की इस पहल की तर्ज पर अपने यहां टैक्स की दरों में कमी की। अब जबकि अर्थव्यवस्था ने जीडीपी में 8.2 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है, केंद्र को चाहिए कि वह ईंधन पर लगाए जानेवाले टैक्स की दरों में कमी करे और बीजेपी शासित राज्य सरकारों को भी ऐसा करने के लिए राजी करे। इससे आम आदमी को बड़ी राहत मिल सकती है और आर्थिक विकास को भी गति मिल सकती है। यह एक तात्कालिक कदम होगा लेकिन इसका ठोस समाधान यही है कि पेट्रोलियम उत्पादों को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के दायरे में लाया जाए। इस कदम से पूरे देश में ईंधन की कीमतें एक जैसी होंगी और जीएसटी काउंसिल में टैक्स घटाने का फैसला केन्द्र सरकार राज्यों की सहमति से कर सकेगी। (रजत शर्मा)

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