Wednesday, April 24, 2024
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Rajat Sharma Blog: हम सभी को चुनाव आयोग और अपनी ईवीएम पर भरोसा करना चाहिए

फर्जी नाम के साथ चेहरे को ढंककर सामने आए हैकर ने दावा किया कि उसने ईवीएम बनाने वाली कंपनी इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया में 5 साल तक काम किया है।

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: January 22, 2019 14:45 IST
Rajat Sharma | India TV- India TV Hindi
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सोमवार को लंदन में इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन (यूरोप) और फॉरेन प्रेस एसोसिएशन द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई, जिसमें अमेरिका के रहने वाले और खुद को सैयद शुजा बताने वाले एक शख्स ने स्काइप के जरिए आरोप लगाया कि 2014 के लोकसभा और महाराष्ट्र, दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों के दौरान जिन इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का इस्तेमाल किया गया, उनसे छेड़छाड़ की गई थी।

फर्जी नाम के साथ चेहरे को ढंककर सामने आए हैकर ने दावा किया कि उसने ईवीएम बनाने वाली कंपनी इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया में 5 साल तक काम किया है। उसने यह भी आरोप लगाया कि पूर्व केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की 2014 के आम चुनावों के तुरंत बाद हत्या कर दी गई थी क्योंकि वह ईवीएम हैकिंग के बारे में जान गए थे। इस शख्स ने यह भी दावा किया कि ईवीएम भले ही इंटरनेट से जुड़ी हुई नहीं होती लेकिन उसे लो फ्रीक्वेंसी पर मिलिट्री ग्रेड मॉड्यूलेटर का इस्तेमाल करके हैक किया जा सकता है। हालांकि उसने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए इस प्रक्रिया को लाइव दिखाने से इनकार कर दिया।

कांग्रेस के कुछ नेताओं को भले ही सैय्यद सूजा के दावों में दम दिखता हो, लेकिन मुझे तो इस हैकर के दावे फर्जी लगते हैं। वह मीडिया के सामने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को हैक करके दिखाने में सफल नहीं हुआ। उसने हैकिंग करवाने वाले जिन 2 लोगों के नाम लिए, वे दोनों इस दुनिया में नहीं है। इसलिए कोई उसके आरोपों की सच्चाई नहीं जांच सकता। उस शख्स ने यहां तक दावा किया कि बीजेपी ने ईवीएम के साथ छेड़छाड़ करके कई चुनाव जीते, लेकिन जिन चुनावों में कांग्रेस और अन्य पार्टियां जीतीं, उनके बारे में कहा कि उसने और उसके सहयोगियों ने हस्तक्षेप करके ईवीएम की टैंपरिंग ‘रोक’ दी थी। यह बात गले नहीं उतरती। इसके अलावा, लंदन की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल की मौजूदगी और भी सवाल खड़े करती है। 

मुझे चुनाव आयोग पर पूरा भरोसा है, जो पिछले कई दशकों से सार्वजनिक क्षेत्र की 2 कंपनियों, ईसीआईएल और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड द्वारा निर्मित ईवीएम का उपयोग कर रहा है। 2014 से पहले कई चुनावों में इन ईवीएम का इस्तेमाल किया गया था। ईवीएम इंटरनेट से जुड़ी नहीं होती हैं, और न ही उन्हें मतदान या मतगणना के दौरान किसी भी तरह से बाधित किया जा सकता है। इसलिए इस शख्स के आरोपों को पूरी तरह से नजरअंदाज करना ही बेहतर होगा। उसके आरोपों में दम नहीं है। (रजत शर्मा)

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