चुनाव आयोग ने 19 जनवरी को भारत के राष्ट्रपति को सूचित किया कि आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए जो कि दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री के समतुल्य संसदीय सचिव के पद पर आसीन रहे हैं। इस सलाह पर राष्ट्रपति ने आम आदमी पार्टी (AAP) के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया। AAP के विधायक अब राष्ट्रपति द्वारा जारी अधिसूचना को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती देंगे। नव नियुक्त मुख्य चुनाव आयुक्त ओम प्रकाश रावत ने कहा कि AAP के विधायक चुनाव आयोग के सामने मौखिक तौर पर अपनी बात रख सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
यही समस्या है कि जब अरविंद केजरीवाल चुनाव हारते हैं, तो EVM मशीन पर आरोप लगाते हैं। जब उनके साथी मंत्री आपराधिक मामलों में पकड़े जाते हैं तब वे नरेन्द्र मोदी को जिम्मेदार ठहराते हैं। अब लाभ के पद (ऑफिस ऑफ प्रॉफिट) में उनके 20 विधायक अयोग्य घोषित कर दिए गए तब वे कभी चुनाव आयोग पर तो कभी राष्ट्रपति दफ्तर जैसी संवैधानिक संस्थाओं पर इल्जाम लगा रहे हैं। लेकिन केजरीवाल यह भूल गए कि इस केस की सुनवाई दो साल दस महीने तक चली। अयोग्य करार करार दिए गए 20 विधायकों को कई बार सफाई का मौका दिया गया।
अब यह साफ लग रहा है कि केजरीवाल को न सरकार चलाना आता है और न ही असेंबली। इसी चक्कर में उनके 20 विधायकों की कुर्सी चली गई और अभी 27 विधायक ऐसे हैं जिनके ऊपर तलवार लटकी है। अब यह केजरीवाल के लिए बड़ी चिंता का विषय है साथ ही आनेवाले दिन और मुसीबत भरे हो सकते हैं। (रजत शर्मा)