Friday, April 19, 2024
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RAJAT SHARMA BLOG: अयोध्या के फॉर्मूले पर उलेमाओं की सहमति के लिए श्री श्री ने काफी मेहनत की

तीन फरवरी को मौलाना सलमान नदवी ने 100 से ज्यादा मुस्लिम नेताओँ को लखनऊ में बुलाया और श्री श्री रविशंकर ने कोचीन में बैठकर उनसे स्काइप के जरिए बात की। इसके बाद आठ फरवरी की मीटिंग में मौजूद मुस्लिम नेताओं ने इस मुद्दे पर गतिरोध तोड़ने के लिए श्री श्री

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: February 10, 2018 17:54 IST
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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना सैय्यद सलमान नदवी ने पहली बार अयोध्या में विवादित स्थल पर राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का समर्थन किया है। उन्होंने यह भी कहा कि मस्जिद का निर्माण विवादित स्थल के पास एक वैकल्पिक जमीन पर किया जा सकता है। अयोध्या मुद्दे पर गतिरोध को दूर करने के लिए मौलाना नदवी कुछ अन्य उलेमाओं के साथ आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के साथ बातचीत कर रहे थे। 

असल में राम मंदिर निर्माण का यह फॉर्मूला सिर्फ एक दिन की मीटिंग में नहीं निकला। श्री श्री ने मुस्लिम विद्वानों को साथ लेकर इस जटिल मुद्दे के सामाधन के लिए भरपूर प्रयास किया। श्री श्री रविशंकर ने सबसे पहले 19 जनवरी को सौ से ज्यादा मुस्लिम उलेमाओं और मौलानाओं से लखनऊ में वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए बात की और इस फॉर्मूले पर सबको राजी किया कि विवादित जमीन पर मंदिर का निर्माण हो और मस्जिद कहीं और बने। इसके बाद श्री श्री रविशंकर ने दक्षिण भारत के 60 प्रमुख मुस्लिम नेताओं को अपने बैंगलोर आश्रम में बुलाया और उनको समझाया।

तीन फरवरी को मौलाना सलमान नदवी ने 100 से ज्यादा मुस्लिम नेताओँ को लखनऊ में बुलाया और श्री श्री रविशंकर ने कोचीन में बैठकर उनसे स्काइप के जरिए बात की। इसके बाद आठ फरवरी की मीटिंग में मौजूद मुस्लिम नेताओं ने इस मुद्दे पर गतिरोध तोड़ने के लिए श्री श्री रविशंकर के फॉर्मूले पर मुहर लगाई। लेकिन अभी इस मामले में कई चुनौतियां हैं। एक तरफ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड है और दूसरी तरफ विश्व हिंदू परिषद, इन दोनों का राजी होना जरूरी है।

श्री श्री रविशंकर की प्रशंसा करनी होगी कि उन्होंने कई तरह की मुश्किलों के बावजूद राम मंदिर पर रास्ता निकालने की कोशिश जारी रखी। ज्यादातर लोगों ने कहा कि अब कोई रास्ता निकलना मुश्किल है और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तो श्री श्री रविशंकर के इस मामले में हाथ डालने पर ही सवाल उठाए। लेकिन उन्होंने प्रयास जारी रखा और दोनों तरफ की चिंताओं को ध्यान में रखकर एक फॉर्मूला सामने रखा। 

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस फॉर्मूले को खारिज कर दिया। फिर भी, इस पर पुनर्विचार करने के लिए पर्याप्त वक्त है और अगर हिंदुओँ की आस्था और मुस्लिमों की भावना का आदर करते हुए कोई रास्ता निकलता है तो यह पूरे राष्ट्र के लिए बेहतर होगा। (रजत शर्मा)

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