Saturday, April 20, 2024
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Rajat Sharma's Blog: कैसे शरद पवार महाराष्ट्र की राजनीति में 'महानायक' बनकर उभरे

शरद पवार ने कहा था- बीजेपी को महाराष्ट्र को गोवा, कर्नाटक या मणिपुर नहीं समझना चाहिए और यहां उनकी कोई चालाकी काम नहीं आएगी। मंगलवार को पवार ने इसे सही साबित कर दिया।

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: November 27, 2019 17:48 IST
Rajat Sharma's Blog: How Sharad Pawar emerged as the 'Mahanayak' of Maharashtra politics- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Rajat Sharma's Blog: How Sharad Pawar emerged as the 'Mahanayak' of Maharashtra politics

अनिश्चितता के बादल छंट चुके हैं और अब तस्वीर बिल्कुल साफ है। शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री होंगे और एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार महा विकास अघाड़ी गठबंधन की सरकार पर अपनी नजर बनाए रखेंगे वहीं वे राज्य की राजनीति के केंद्र में भी होंगे। उधर, सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी विपक्ष में बैठेगी।

 
अब शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने कहा, 'मैं एनसीपी में था, मैं एनसीपी में हूं और मैं एनसीपी में रहूंगा', इसका मतलब है कि उनकी घर वापसी पूरी हो गई है। हो सकता है कि उन्हें नई सरकार में मंत्री बनाया जा सकता है, और अगर ऐसा होता है तो कई तरह की चर्चा हो सकती है और लोग कह सकते हैं कि इस पूरे सर्कस के पीछे शरद पवार का हाथ हो सकता है।

लोग यह कह सकते हैं कि शरद पवार ने पहले शिवसेना को अपनी जाल में फंसाया और फिर अपने भतीजे को बीजेपी खेमे में भेजा, लेकिन मुझे लगता है कि ये सच नहीं है। महाराष्ट्र में दो महीने के राजनीतिक हलचल को देखने के बाद कोई भी कह सकता है कि शरद पवार ने सोमवार को जो कहा, वह सच था। शरद पवार ने कहा था- बीजेपी को महाराष्ट्र को गोवा, कर्नाटक या मणिपुर नहीं समझना चाहिए और यहां उनकी कोई चालाकी काम नहीं आएगी। मंगलवार को पवार ने इसे सही साबित कर दिया।

पूरे हालात का मूल्यांकन करें तो जो कुछ हुआ वो न तो उद्धव ठाकरे की जीत है और न ही बीजेपी की हार है। यह शरद पवार के पॉलिटिकल मैनेजमेंट और राजनीतिक कौशल का नतीजा है। बीजेपी ने शरद पवार को दुश्मन बनाकर बड़ी गलती की। 78 वर्षीय पवार ने तो राजनीति से रिटायर होने का फैसला कर लिया था और वे इसकी घोषणा भी कर चुके थे कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। लेकिन जब बीजेपी ने शरद पवार और उनका साथ देनेवाले प्रफुल्ल पटेल व अन्य नेताओँ के खिलाफ ईडी और सीबीआई को छोड़ दिया तो शरद पवार मैदान में आ गए और बीजेपी को हराने में पूरी ताकत लगा दी।

चुनाव प्रचार के दौरान भारी बारिश में भींगते हुए भी शरद पवार ने जनसभा को संबोधित किया। जब चुनाव का परिणाम बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के पक्ष में गया तो वे निराश जरूर हुए लेकिन शिवसेना अपने-आप उनकी झोली में आकर गिर गई। इसके बाद की पूरी लड़ाई उन्होंने एक शेर की तरह लड़ी। 

उन्होंने सबसे पहले शिवसेना से हाथ मिलाकर उसे अटकाया और लगातार कांग्रेस को गठबंधन में शामिल होने के लिए राजी करते रहे। महागठबंधन बनाने और उद्धव ठाकरे को इस गठबंधन का नेता घोषित करने के बाद जब वे घर गए तो पता चला कि उनके भतीजे अजित पवार ने बगावत कर दी है। इस उम्र में भी पवार ने रात भर जागकर फिर से जी-तोड़ मेहनत की। सारे विधायकों को वापस लाए और संभाल कर रखा। अंत में अजित पवार भी वापस लौट आए। 

लेकिन बिडंबना देखिए कि पहले शरद पवार पर कांग्रेस ने शक किया कि कहीं वो बीजेपी से मिल तो नहीं गए क्योंकि महाराष्ट्र में किसानों के मुद्दे पर वे पीएम मोदी से मिलकर आए थे। वहीं अब बीजेपी शक कर रही कि कहीं अजित पावर को शरद पवार ने धोखा देने के लिए तो उनके पास नहीं भेजा था। चाहे जो कुछ भी हो अंतत: शरद पवार जीते और महाराष्ट्र की राजनीति में वे 'महानायक' बन कर उभरे।
 
प्रदेश के मौजूदा कार्यवाहक मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जिन्होंने पांच साल तक प्रदेश में सफलतापूर्वक सरकार चलाई, अंतत: उनका नाम महाराष्ट्र की राजनीति में धोखा खाने वालों की लिस्ट में रखा जाएगा। पांच साल तक सरकार में रहने के बावजूद शिवसेना मुख्यमंत्री की लगातार टांग खीचती रही और उनकी कड़ी आलोचना करती रही। शिवसेना ने उनकी ऐसी आलोचना की जो विरोधी भी नहीं करेंगे। इसके बावजूद फडणवीस ने शिवसेना पर भरोसा किया और उनके साथ मिलकर चुनाव लड़ा।

जब चुनाव का परिणाम सामने आया तो उद्धव ठाकरे ने शरद पवार के साथ हाथ मिला लिया और जब शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने फडणवीस से संपर्क कर यह  दावा किया कि उनके पास एनसीपी के इतने विधायक हैं, जिससे वे सदन में बहुमत साबित कर सकते हैं, तो फडणवीस ने अजित पवार की बातों पर भरोसा कर लिया और सरकार बना ली। अंतत: फिर उन्हें धोखा मिला और वे जीतकर भी हार गए। लेकिन मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि 'धोखा देना अपराध होता है, धोखा खाना नहीं।'
 
और उद्धव ठाकरे? यह मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए उनकी जिद थी जो आखिरकार पूरी हो रही है। ठाकरे ने साबित कर दिया कि जिद के आगे जीत है। वह शरद पवार ही थे जिन्होंने उद्धव के लिए हर काम किया। हालांकि इस प्रक्रिया में उद्धव ने कई परंपराओं को तोड़ दिया।

ठाकरे परिवार में पहली बार उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने विधानसभा चुनाव लड़ा और सफलता पाई। पहली बार मुख्यमंत्री बनने के लिए दांव लगाया और अब खुद उद्धव महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री होंगे। उद्धव ने अपनी पार्टी की भगवा विचारधारा को तिलांजलि दी और कांग्रेस से हाथ मिला लिया। अब देखना ये है कि उद्धव ठाकरे बिना किसी प्रशासनिक अनुभव के इस तरह तीन दलों की मिलजुली सरकार को सफलता से कैसे और कब तक चला पाते हैं। (रजत शर्मा)

देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 26 नवंबर 2019 का पूरा एपिसोड

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