नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को विश्व सूफी मंच का दिल्ली में उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत में ही सबका स्वागत कर शांति का संदेश देत हुए इस्लाम का अर्थ समझाया। उन्होंने यहां पर सीरिया समेत कई मुल्कों की चर्चा करते हुए कई संतों का जिक्र भी किया। आपको बता दें कि जिस वक्त प्रधानमंत्री मंत्र पर भाषण देने आए थे भारत माता की जय से पूरा हॉल गूंज उठा।
पीएम मोदी ने यहां पर कहा, “मैं, भारत, हमारे पड़ोसी देशों और दूर देशों से आए हुए मेहमानों का अभिनंदन करता हूं। आपका इस स्थल में स्वागत है, जो असीमित समय से शांति का फौवारा है, जो परंपराओं और आस्थाओं के प्राचीन स्रोत है, और विश्व के सभी धर्मों का स्वागत किया और उन्हे जगह दी। इस देश में आपका स्वागत है, जो प्राचीन समय से 'वसुधैव कुटम्बकम्' में विश्वास रखता है, अर्थात जिसके लिए पूरा विश्व ही एक परिवार है। विश्वास जो पवित्र कुरान के दैवीय संदेश के अनुरूप है वह यह है कि मनुष्य जाति एक ही समुदाय है और बाद में वे अपने बीच भेद करने लगे।
उन्होंने कहा, “विश्वास, जो महान पर्शियन सूफी कवि सादी के शब्दों में सुनाई देता है जिसे यूनाइटेड नेशन्स में लिखा गया है कि सभी मनुष्य एक ही स्रोत से आते हैं और हम एक परिवार हैं। इस प्राचीन शहर दिल्ली में आपका स्वागत है – जो अनेक लोगों, संस्कृतियों और विश्वासों की श्रेष्ठता से बना है। इस देश की तरह,दिल्ली के दिल में सभी आस्थाओं के लिए जगह है। चाहे धर्म के मानने वाले की संख्या कम हो या चाहे किसी धर्म के मानने वाले करोड़ों में हों। इसके शानदार धार्मिक स्थलों में सूफी संतों महबूब-ए-इलाही और हजरत बख्तियार काकी की दरगाहें शामिल हैं जो सभी धर्मों और विश्व के सभी कोनों से आने वाले लोगों को आकर्षित करती हैं। यह संसार के लिए बड़ी महत्ता रखने वाला असाधारण कार्यक्रम है, जो मानव जाति के लिए समय की मांग है। जब जवान हंसी को बंदूकें खामोश कर रही हैं, ऐसे समय में आपकी आवाज मरहम है। जहां विश्व न्याय और शांति के लिए सभा आयोजित करने के लिए कोशिश करता है, यह उन लोगों की सभा है जिनका जीवन स्वयं ही शांति, सहनशीलता और प्रेम का संदेश है।”
पीएम ने कहा, “मिस्र और पश्चिमी एशिया से शुरू हो कर सूफी वाद दूर-दूर तक पहुंचा –मानवीय मूल्यों और आस्था का झण्डा लिए हुए, अन्य सभ्यताओं के आध्यात्मिक विचारों से सीख लेते हुए, और अपने संतों के जीवन और संदेश से लोगों को आकर्षित करते हुए चाहे वह अफ्रीका का सहारा क्षेत्र हो, दक्षिण पूर्व एशिया, तुर्की हो या मध्य एशिया, ईरान हो या भारत, हर स्थिति में सूफीवाद ने मनुष्य की उस इच्छा को व्यक्त किया है जिसमें वह धार्मिक रीतियों और मान्यताओं से आगे बढ़ कर ईश्वर के साथ गहराई से जुड़ना चाहता है और इस आध्यात्मिक जिज्ञासा में सूफियों ने ईश्वर के चिरकालिक संदेश का अनुभव किया। कि मानव जीवन में उत्तमता उन गुणों में दिखायी देती है जो ईश्वर को प्रिय हैं। कि सभी प्राणी भगवान के द्वारा बनाए गए हैं और अगर हम ईश्वर से प्रेम करते हैं तो हमें उसकी सब रचनाओं से प्रेम करना चाहिए।
पीएम मोदी ने कहा, “जब हम अल्लाह के 99 नामों के बारे में सोचते हैं तो उनमें से कोई भी बल और हिंसा का संदेश नहीं देता है। अल्ला रहमान है और रहीम भी। सूफीवाद शांति, क्षमा, सह-अस्तित्व और संतुलन का प्रतीक है। यह पूरे संसार में भाइचारे का संदेश देता है। जिस तरह इस्लामिक सभ्यता का मुख्य केन्द्र भारत बना, उसी तरह हमारा देश सूफीवाद का एक सबसे जीवंत और प्रभावी केन्द्र के रूप में उभरा। पाक कुरान और हदीस में मजबूत जड़ें जमायें हुए, सूफीवाद भारत में इस्लाम का चेहरा बना।”