Thursday, March 28, 2024
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संसद अगले हफ्ते नागरिकता विधेयक पर चर्चा करेगी, कांग्रेस करेगी विरोध

बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में धार्मिक अत्याचार के चलते भारत आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का इसमें प्रावधान किया गया है, भले ही उनके पास उपयुक्त दस्तावेज नहीं हों। 

Bhasha Written by: Bhasha
Published on: December 05, 2019 23:15 IST
Citizenship Amendment Bill- India TV Hindi
Image Source : PTI Students hold placards during a protest rally against the Citizenship Amendment Bill, in Guwahati.

नई दिल्ली। विपक्ष के कड़े विरोध की परवाह नहीं करते हुए विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) विधेयक नौ दिसंबर को लोकसभा में पेश किए जाने की संभावना है। वहीं, अगले दिन इसे सदन में चर्चा और पारित कराए जाने के लिये लिया जा सकता है। इस बीच, कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने एक बैठक की और इस मुद्दे पर सत्तारूढ़ भाजपा को घेरने के लिए आठ सूत्रीय एजेंडा तय किया।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को दी मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को इस विधेयक को अपनी मंजूरी दी थी। यह विधेयक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से शरणार्थी के तौर पर आए उन गैर मुसलमानों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान करता है, जिन्होंने वहां धार्मिक उत्पीड़न झेला है। यह विधेयक नागरिकता अधिनियम,1955 में संशोधन का प्रस्ताव करता है।

लोकसभा में पास होना तय

बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में धार्मिक अत्याचार के चलते भारत आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का इसमें प्रावधान किया गया है, भले ही उनके पास उपयुक्त दस्तावेज नहीं हों। इस विधेयक का संसद के निचले सदन में पारित होना लगभग तय है कि क्योंकि वहां भाजपा और उसके सहयोगी दल के पास प्रचंड बहुमत है। केंद्र सरकार बीजद और टीआरएस जैसे क्षेत्रीय दलों के समर्थन से इस विधेयक के राज्यसभा में पारित होने के प्रति भी आश्वस्त है। इन पार्टियों ने अतीत में अक्सर ही सत्तारूढ़ दल का संसद में साथ दिया है।

कांग्रेस-टीएमसी विरोध में

हालांकि, विधेयक का कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस जैसी (भाजपा की) सख्त विरोधी पार्टियों ने जोरदार विरोध करते हुए दावा किया है कि नागरिकता धर्म के आधार पर नहीं दी जा सकती। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सरकार ने बृहस्पतिवार को कार्य मंत्रणा समिति में विभिन्न दलों के नेताओं को सूचित किया कि वह मंगलवार को निचले सदन में इस विधेयक को चर्चा के लिए लाएगी।

विपक्षी दलों ने की बैठक

सरकार की ओर से नागरिकता संशोधन विधेयक संसद में पेश किए जाने की तैयारी के बीच कांग्रेस ने इस मुद्दे पर रणनीति तय करने के लिए बृहस्पतिवार को प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बैठक की। इस विधेयक को विभाजनकारी और भेदभावपूर्ण करार देने वाली कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को स्पष्ट कर दिया कि वह संसद में इसका विरोध करेगी। पार्टी के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने आज बैठक की और इस मुद्दे पर सत्तारूढ़ भाजपा को घेरने के लिए आठ सूत्रीय एजेंडा भी तय किया।

12 विपक्षी दलों के नेता हुए शामिल

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने संसद भवन परिसर में विपक्ष के नेताओं के साथ बैठक कर नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर रणनीति पर चर्चा की। बैठक में तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक,सपा, आम आदमी पार्टी सहित 12 विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए।

विपक्षी दलों में 8 सूत्रीय एजेंडे पर बनी सहमति

सूत्रों के अनुसार विपक्षी दलों की बैठक में नागरिकता विधेयक के मुद्दे पर भाजपा को घेरने के लिए आठ सूत्रीय एजेंडे पर सहमति बनी। विपक्षी दलों के एजेंडे में यह बात शामिल है कि यह विधेयक उन सिद्धान्तों के खिलाफ हैं जिनकी राष्ट्र निर्माताओं ने कल्पना की थी। साथ ही, नागरिकता के लिए कई ऐसी बुनियाद रखी जा रही हैं जो संविधान के विरुद्ध हैं। बैठक में शामिल नेताओं के बीच यह राय बनी कि ‘सरकार एनआरसी को लेकर अपनी विफलता छिपाने और असल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए नागरिकता संशोधन विधेयक को लायी है।’

नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध करेंगे- राहुल

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने केरल में कहा कि उनकी पार्टी नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस इस देश में किसी भी व्यक्ति के खिलाफ किसी तरह के भेदभाव के खिलाफ है।’’ उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कोई भी व्यक्ति किसी भारतीय के खिलाफ भेदभाव करे, तो हम उसके खिलाफ है। यह हमारा रुख है। हमारा मानना है कि भारत हर किसी का है--सभी समुदायों, सभी धर्मों, सभी संस्कृतियों का।’’

नागरिकता संशोधन विधेयक पूरी तरह विभाजनकारी और असंवैधानिक- मायावती

उधर, लखनऊ में बसपा प्रमुख मायावती ने एक बयान में कहा, ''केन्द्र सरकार द्वारा काफी जल्दबाजी में लाया गया नागरिकता संशोधन विधेयक पूरी तरह विभाजनकारी और असंवैधानिक विधेयक है।’’ उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर नागरिकता देना तथा इस आधार पर नागरिकों में भेदभाव पैदा करना डॉ.भीमराव आंबेडकर के मानवतावादी एवं धर्मनिरपेक्ष संविधान की मंशा और बुनियादी ढांचे के बिल्कुल खिलाफ उठाया गया कदम है। उन्होंने कहा कि नोटबन्दी और जीएसटी की तरह ही नागरिकता संशोधन विधेयक को देश पर जबर्दस्ती थोपने की बजाय केन्द्र सरकार को पुनर्विचार करना चाहिये और बेहतर विचार-विमर्श के लिए इसे संसदीय समिति के पास भेजना चाहिये, ताकि यह विधेयक संवैधानिक रूप में देश की जनता के सामने आ सके।

पूरी ताकत के साथ विरोध करेंगे- पार्था चटर्जी

तृणमूल कांग्रेस ने कोलकाता में कहा कि वह इस विधेयक का और पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को लागू किये जाने का विरोध करेगी। पार्टी महासचिव पार्था चटर्जी ने कहा कि उनकी पार्टी एनआरसी का पूरी ताकत के साथ विरोध करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी पार्टी सुप्रीमो ने कहा कि पार्टी पश्चिम बंगाल में एनआरसी की कभी इजाजत नहीं देगी। नागरिकता (संशोधन) विधेयक हमारे संविधान की मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ हैं। किसी भी व्यक्ति को धर्म के आधार पर नागरिकता कैसे दी जा सकती है? पार्टी धर्म के आधार पर विभाजन के समर्थन में नहीं है।’’

शिवसेना पर रहेगी सबकी नजर

वहीं, लंबे समय तक भाजपा की सहयोगी पार्टी रही शिवसेना अब विपक्षी खेमे में है। विधेयक पर शिवसेना के रुख पर भी नजरें टिकी होंगी क्योंकि यह इस विधेयक की पुरजोर समर्थक रही है लेकिन अब उसने कांग्रेस और राकांपा से हाथ मिला लिया है।

विधेयक को संसद के मौजूदा सत्र में पेश करना सही नहीं- भाकपा

भाकपा ने इस विधेयक से देश के संविधान में प्रदत्त भारतीय नागरिकता के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप में पूरी तरह से बदलाव आने का दावा किया है। वाम दल ने प्रस्तावित नागरिकता संशोधन विधेयक के दूरगामी प्रभाव के बारे में नई दिल्ली में एक बयान जारी कर कहा कि धार्मिक आधार पर नागरिकता देने से जुड़े इस विधेयक को सरकार संसद के मौजूदा सत्र में पेश करना चाहती है, यह सही नहीं है।

असल मुद्दों से ध्यान हटा रही है सरकार- भाकपा

पार्टी ने कहा, ‘‘नागरिकता कानून में प्रस्तावित बदलाव संविधान निर्माताओं द्वारा प्रदत्त भारतीय नागरिकता के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को पूरी तरह से बदल कर भाजपा आरएसएस द्वारा तैयार किये गये ‘बहुसंख्यकवादी डिजाइन’ में तब्दील कर देगा।’’ पार्टी ने कहा कि आर्थिक मोर्चे पर सरकार अपनी नाकामी को छुपाने और वास्तविक मुद्दों से देशवासियों का ध्यान भटकाने के लिये इस प्रकार के मुद्दों को आगे बढ़ा रही है।

पड़ोसी देशों से आए उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों के प्रति भाजपा प्रतिबद्ध- राम माधव

हालांकि, भाजपा महासचिव राम माधव ने कहा कि विधेयक पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से आए उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों के प्रति भाजपा की प्रतिबद्धता है। विधेयक का विरोध करने वालों की आलोचना करते हुए राम माधव ने कहा कि यह विधेयक पिछली लोकसभा में पारित हो गया था लेकिन राज्यसभा में नहीं आ पाया और इसकी मियाद समाप्त हो गई थी । माधव ने ट्वीट किया,‘‘संशोधित विधेयक आ रहा है।’’ उन्होंने कहा कि यह पड़ोस (के देश) में उत्पीड़न के शिकार हुए लोगों को आश्रय देने की भारतीय परंपरा के अनुरूप है।

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