Friday, April 26, 2024
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पाकिस्तान ने पीओके के कश्मीरियों की पहचान नष्ट कर दी है: आर्मी चीफ बिपिन रावत

सेना प्रमुख बिपिन रावत ने बुधवार को कहा कि पाकिस्तान ने पाक के कब्जे वाले कश्मीर की जनसांख्यिकी को बदल दिया है।

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: November 29, 2018 8:42 IST
Pakistan has altered demography of PoK, says Army Chief Bipin Rawat | PTI File- India TV Hindi
Pakistan has altered demography of PoK, says Army Chief Bipin Rawat | PTI File

नई दिल्ली: सेना प्रमुख बिपिन रावत ने बुधवार को कहा कि पाकिस्तान ने पाक के कब्जे वाले कश्मीर की जनसांख्यिकी को बदल दिया है। उन्होंने कहा कि उस तरफ के कश्मीरियों की पहचान योजनाबद्ध तरीके से नष्ट कर दी गई है। उन्होंने कश्मीर में थोड़ी सी भी शांति होने पर सुरक्षा बलों को वापस ‘बैरक’ में भेजने के सुझावों पर असहमति जताते हुए कहा कि इससे आतंकवादियों को अपने नेटवर्कों को फिर से जिंदा करने का वक्त मिल जाएगा और साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ‘स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए’ लगातार दबाब बनाए रखने की जरूरत है।

यशवंतराव चव्हाण स्मरण व्याख्यान देते हुए रावत ने आतंकवादियों की शव यात्रा निकालने की अनुमति दिए जाने पर चिंता जताई और कहा कि यह आतंकवादियों को शहीदों के तौर पर पेश करता और ‘संभवत: ज्यादा लोगों को आतंकवादी समूह में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करता है।’ पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का संदर्भ देते हुए रावत ने कहा, ‘पाकिस्तान ने बहुत ही चालाकी से तथाकथित पाक अधिकृत कश्मीर, गिलगिट-बाल्टीस्तान की जनसांख्यिकी बदल डाली है। इस बारे में निश्चित नहीं हुआ जा सकता कि असल कश्मीरी कौन है।’

उन्होंने कहा, ‘क्या वह कश्मीरी है या पंजाबी है जो वहां आया और उस इलाके में कब्जा कर लिया। गिलगिट-बाल्टीस्तान के लोग भी अब धीरे-धीरे वहां आकर बसने लगे हैं। अगर हमारे तरफ के कश्मीरियों और दूसरे तरफ के कश्मीरियों के बीच कोई पहचान है तो यह पहचान वाली चीज धीरे-धीरे खत्म हो चुकी है। यह ऐसा मुद्दा है जिस पर हमें गौर करना चाहिए।’ सेना प्रमुख ने कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ सफल अभियान का श्रेय स्थानीय लोगों को यह कहते हुए दिया कि वे ‘मजबूत खुफिया जानकारियां’ देते हैं।

उन्होंने कहा, ‘स्थिति नियंत्रण में आ जाएगी और चीजें नियंत्रण में आ भी चुकी हैं लेकिन लगातार दबाव बनाए रखने की जरूरत है।’ रावत ने कहा कि स्थिति को उस स्तर तक लाना होगा जहां आतंकवादी समूह फिर से सिर न उठा पाएं। उन्होंने कहा कि ये कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन पर हम धीरे-धीरे ध्यान दे रहे हैं। साथ ही उन्होंने इस बात पर भी ध्यान दिलाया कि सेना सख्ती से काम नहीं लेना चाहती जिससे कि घाटी में हिंसा को बल मिले। रावत ने प्रदर्शनों और ‘बंदूक उठाने की संस्कृति’ से युवाओं को दूर रखने के लिए उनके साथ सकारात्मक तरीके से बात करने पर जोर दिया।

इसके अलावा उन्होंने कहा कि सेना कश्मीर से मौलवियों को ‘सद्भावना यात्राओं’ पर अजमेर शरीफ, आगरा जैसे स्थानों तक लेकर जाएगी और उन्हें दिखाएगी कि भारत में किसी भी धार्मिक अल्पसंख्यकों का दमन नहीं हो रहा है।

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