नई दिल्ली: एनसीजी में भारत की सदस्यता पर विरोध कर रहे पाकिस्तान को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। न्यूज एजेंसी एएनआई ने खबर दी है कि पाकिस्तान अभी भी नार्थ कोरिया को परमाणु साम्रगी बेच रहा है जबकि बावजूद इसके वह खुद भी एनसीजी सदस्यता को लेकर पुरजोर कोशिश में जुटा हुआ है। यही नहीं, भारत का विरोध करने के लिए उसे चीन का भी समर्थन मिला है।
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, अमेरिकी सूत्रों ने दावा किया है कि तेहरान में नॉर्थ कोरिया के दो डिप्लोमैट्स किम योंग चोई और जैंग योंग सन ने 2012 से 2015 के बीच 8 बार पाकिस्तान का दौरा किया था। इस दौरान नार्थ कोरिया के अफसर ने न्यूक्लियर प्रोग्राम से जुड़े पाकिस्तानी अफसरों से भी मुलाकात की थी। इन अफसरों को उस वक्त वेस्टर्न एजेंसियों के अफसरों ने ट्रैक किया था।
न्यूज एजेंसी ने आगे लिखा है, 'पाकिस्तान परमाणु ऊर्जा आयोग संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों का उल्लंघन करते हुए नार्थ कोरिया को अभी भी प्रतिबंधित वस्तुओं की आपूर्ति कर रहा है। यही नहीं, नार्थ कोरिया को जो परमाणु सामग्री सप्लाई की जा रही है उसमें वह सामग्री भी शामिल है जो चीन की संस्थाओं ने पाकिस्तान एटमी एनर्जी कमीशन (PAEC) को दी है।'
ये वस्तुएं पाकिस्तान को चीन की ओर से दिए गए थे। चीन की ये वस्तुएं जब नॉर्थ कोरिया के पास पहुंचे तो हाल में ही चाइना एटमिक एनर्जी अथॉरिटी के पास इसे लेकर शिकायत आई थी। बीजिंग सनटेक टेक्नॉलाजी कंपनी लिमिटेड के वस्तुओं को पाकिस्तान की ओर से नॉर्थ कोरिया को दिया गया था।
हालांकि, चीन ने इन आरोपों को यह कहते हुए दरकिनार किया है कि एनएसजी की सदस्यता को लेकर पाकिस्तान का समर्थन करने की वजह से ऐसी बातें सामने आ रही हैं।
1990 से 1998 के बीच पाकिस्तान ने पहली बार नॉर्थ कोरिया को परमाणु तकनीक बेचे थे। प्योंगयांग में उस दौरान हर महीने दो प्लेन पाकिस्तान में उतरते थे। बदनाम साइंटिस्ट ए.क्यू. खान ने न्यूक्लियर वेपन्स डेवलप करने की टेक्नीक नॉर्थ कोरिया को बेची थी।