नई दिल्ली: अगर ऑपरेशन ब्लू स्टार को समय रहते अंजाम न दिया गया होता तो कभी भी खालिस्तान की घोषणा हो सकती थी। ये रहस्योद्घाटन किया था भारत सरकार और ऑपरेशन ब्लूस्टार के सैन्य कमांडर मेजर जनरल केएस बराड़ ने।
आज से 31 साल पहले भारतीय सेना ने स्वर्ण मंदिर को खालिस्तान समर्थक जनरैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों से मुक्त कराने के लिए एक अभियान चलाया था जिसे ऑपरेशन ब्लू स्टार से जाना जाता है। 1984 में ये ऑपरेशन 1 से 6 जून तक चला था।
इस कार्रवाई से जहां पंजाब समस्या ने पूरे विश्व का ध्यान अपनी तरफ़ खींच लिया वहीं इससे सिख समुदाय की भावनाएँ भी बुरी तरह आहत हुईं। पर्यवेक्षक का तो ये भी मानना है कि इस कदम ने बजाए समस्या को सुलझाने के और जटिल बना दिया।
पंजाब में भिंडरावाले की जड़े गहरी होती जा रहीं थी और देखते ही देखते उसके नेतृत्व में अलगाववादी ताकतें मज़बूत होने लगी जिनकी पाकिस्तान हर तरह से मदद कर रहा था।