Friday, April 19, 2024
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अजब MP में गजब आदेश : जांच में देरी पर 6 घोटालेबाजों का निलंबन खत्म

मध्य प्रदेश देश का अजब राज्य है, जिसकी कहानी भी गजब है। तभी तो करोड़ों के घोटाले में शामिल अफसरों को सिर्फ इसलिए निलंबन के बाद बहाल कर दिया गया, क्योंकि जांच में देरी हो रही थी।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: January 11, 2018 22:45 IST
shivraj singh chauhan- India TV Hindi
shivraj singh chauhan

भोपाल: मध्य प्रदेश देश का अजब राज्य है, जिसकी कहानी भी गजब है। तभी तो करोड़ों के घोटाले में शामिल अफसरों को सिर्फ इसलिए निलंबन के बाद बहाल कर दिया गया, क्योंकि जांच में देरी हो रही थी। इस मामले को लेकर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने गुरुवार को मुख्यमंत्री आवास के बाहर लगी शिकायत पेटी में अपनी शिकायत का लिफाफा डाल दिया। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने इंदौर में हुए 75 करोड़ से अधिक के आबकारी घोटाले में आरोपी अधिकारी-कर्मचारियों को बहाल करने के भाजपा सरकार के निर्णय को एक और बड़ा घोटाला बताया है।

उन्होंने कहा कि जिस तरीके और कारण के साथ छह अधिकारी-कर्मचारियों का निलंबन खत्म किया गया है, वह मध्य प्रदेश के इतिहास में अभूतपूर्व भ्रष्टाचार की मिसाल है। सिंह ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं न खाऊंगा न खाने दूंगा, वहीं शिवराज सिंह चौहान भ्रष्टाचार में जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं। दूसरी ओर आबकारी विभाग के उन अफसरों को बहाल कर दिया जाता है, जो करोड़ों के घपले में शामिल हैं।"

यहां बताना लाजिमी होगा कि बुधवार की रात वाणिज्यिक कर विभाग के उपसचिव अदिति कुमार त्रिपाठी के हस्ताक्षर से जारी आदेश में कहा गया है कि जांच में संबंधित अधिकारियों को जवाबदेह पाया गया है, आरोपपत्र जारी हुआ है और विभागीय जांच हो रही है। इस प्रक्रिया में लगने वाले समय को ध्यान में रखते हुए 'तब तक के लिए' अधिकारियों व कर्मचारियों का निलंबन खत्म कर उन्हें बहाल किया जाता है। 

नेता प्रतिपक्ष ने गुरुवार इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री निवास के सामने भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत करने के लिए लगाई गई पेटी में अपनी शिकायत डाली। सिंह ने शिकायत पेटी में डाले अपने पत्र में कहा कि राज्य सरकार ने बुधवार की देर रात को वर्ष 2017 के बड़े आबकारी घोटाले के आरोपियों को बहाल करने का आदेश निकाला। इसकी जांच भी पूरी नहीं हुई है। लोकायुक्त के साथ यह मामला उच्च न्यायालय में चल रहा है। सरकार ने जिस चोरी छुपे तरीके से बहाली का जो आदेश निकाला है, वह घोटाले में एक और घोटाले होने का संकेत दे रहा है। 

सिंह ने पत्र में स्मरण कराते हुए कहा कि एक सितंबर को उच्च न्यायालय में राज्य सरकार की ओर से आबकारी घोटाले के मामले में जो जवाब न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया था, उसमें स्पष्ट यह उल्लेख किया गया था कि इस आर्थिक गड़बड़ी के प्राथमिक जिम्मेदार सहायक आयुक्त संजीव दुबे ही हैं। जवाब में यह भी लिखा गया था कि इस आर्थिक गड़बड़ी की जांच चार वरिष्ठ अधिकारियों ने की।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हैरान करने वाली बात यह है कि बहाली के जो आदेश सरकार ने जारी किए हैं, उसमें भी इन अधिकारियों-कर्मचारियों को दोषी माना है, फिर भी बहाली का आदेश दिया गया है। उन्होंने सवाल उठाया, "सरकार के सामने ऐसी क्या मजबूरी थी कि 75 करोड़ से अधिक का चूना लगाने वाले और अमानत में खयानत करने वाले इन अधिकारियों-कर्मचारियों को बहाल करना पड़ा?"

नेता प्रतिपक्ष ने शिकायती पत्र में लिखा है कि जब सरकार ने पूरी तरह सहायक आबकारी आयुक्त संजीब दुबे के साथ अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों को दोषी माना है, तो उन्हें बहाल क्यों किया गया? उन्होंने अंदेशा जताते हुए सवाल उठाया, "क्या आरोपियों ने इस घोटाले में सत्ताशीर्ष से जुड़े लोगों के नाम उजागर करने की धमकी दी थी?" नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री को लिखा, "आप इस मामले की जांच कराने में सक्षम नहीं हैं। इसलिए इस पूरे मामले की जांच सीबीआई या उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में समिति गठित कर कराई जाए।" 

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