Friday, April 19, 2024
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मोदी सरकार ने 12 साल तक की बच्ची से रेप पर मौत की सजा को मंजूरी दी, पॉक्‍सो एक्‍ट में होगा बदलाव

फिलहाल इस कानून में दोषियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान नहीं है। वर्तमान में इस जघन्य अपराध के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद है और न्यूनतम सजा सात साल की जेल है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: April 21, 2018 14:23 IST
Modi government approves promulgation of ordinance for death penalty to child rapists- India TV Hindi
मोदी सरकार ने 12 साल तक की बच्ची से रेप पर मौत की सजा को मंजूरी दी, पॉक्‍सो एक्‍ट में होगा बदलाव  

नई दिल्ली: मोदी सरकार ने पॉक्सो एक्ट में बदलाव को मंजूरी दे दी है। यानी पॉक्सो एक्ट में सरकार जल्द अध्यादेश लाएगी जिसके तहत 12 साल से कम उर्म की बच्ची से रेप पर मौत की सजा होगी। शनिवार को प्रधानमंत्री आवास पर केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। कैबिनेट की बैठक में 'प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस' यानी पॉक्सो एक्ट में संशोधन को मंजूरी मिलने से 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप के दोषियों को मौत की सजा दिए जाने का रास्ता साफ हो गया।

फिलहाल इस कानून में दोषियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान नहीं है। वर्तमान में इस जघन्य अपराध के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद है और न्यूनतम सजा सात साल की जेल है। कैबिनेट की बैठक के एक दिन पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका के जवाब में एक पत्र देकर कहा था कि वह पॉक्सो एक्ट में संशोधन करने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है, जिसके तहत 12 साल से कम की बच्चियों के साथ बलात्कार के लिए फांसी की सजा का प्रावधान होगा।

कठुआ में आठ साल की मासूम बच्ची के साथ बलात्कार और उसके बाद हत्या की घटना के बाद से ऐसे अपराध के लिए फांसी की सजा की मांग उठ रही है। केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने जब इस प्रस्ताव के बारे में कहा तो उन्हें हर तरफ से इसको लेकर समर्थन मिला।

उन्नाव और कठुआ की घटनाओं पर अपनी पहली टिप्पणी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सप्ताह कहा था कि किसी अपराधी को छोड़ा नहीं जाएगा और बेटियों को न्याय मिलेगा। दिसंबर 2012 में हुए निर्भया मामले के बाद जब कानून में संशोधन किए गए तो बलात्कार के बाद महिला की मृत्यु हो जाने या उसके मृतप्राय होने के मामले में एक अध्यादेश के माध्यम से मौत की सजा का प्रावधान शामिल किया गया जो बाद में आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम बन गया।

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